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दिल्ली में फिर दहशत का साया, जानें कब-कब दहली देश की राजधानी!
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Tuesday, November 11, 2025
Last Updated On: Tuesday, November 11, 2025
Delhi Bomb Blast History 1985-2025: दिल्ली एक बार फिर धमाके की दहशत में है. 10 नवंबर 2025 की शाम लाल किले के सामने हुए ब्लास्ट ने राजधानी को झकझोर दिया. लेकिन यह पहली बार नहीं जब दिल्ली आतंक की लपटों में झुलसी हो. कभी संसद भवन, तो कभी कनॉट प्लेस, सरोजिनी नगर और हाईकोर्ट, हर हमले ने इस शहर की रगों में डर, दर्द और सवाल छोड़ दिए.
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Tuesday, November 11, 2025
Delhi Bomb Blast History Timeline 1985-2025: 10 नवंबर 2025, सोमवार की शाम करीब 6:50 बजे दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के सामने एक कार में हुए जोरदार धमाके ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया. चांदनी चौक की सड़कों पर कुछ ही पलों में अफरा-तफरी मच गई, पुलिस और एनएसजी की टीमें मौके पर पहुंचीं और राजधानी एक बार फिर खौफ के साए में डूब गई.
दरअसल, यह धमाका सिर्फ एक हादसा नहीं बल्कि उन जख्मों की याद भी ताजा कर गया जो दिल्ली ने बीते दशकों में कई बार झेले हैं. कभी 2011 का हाईकोर्ट ब्लास्ट, कभी 2008 के सीरियल धमाके या फिर 2001 का संसद हमला, हर बार दिल्ली ने अपने लोगों को खोया, लेकिन जज़्बे से फिर खड़ी हुई.
हालांकि, यह पहली बार नहीं था जब किसी धमाके से दिल्ली दहली थी. बेशक पिछले 14 सालों में यह पहला धमाका था. मगर, 14 साल के पहले दिल्ली में एक या दो नहीं बल्कि सिलसिलेवार तरीके से कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया जा चुका है.
दिल्ली हाईकोर्ट ब्लास्ट 2011
7 सितंबर 2011 को दिल्ली हाईकोर्ट के गेट नंबर 5 पर जोरदार धमाका हुआ था. विस्फोट इतना भयंकर था कि मौके पर ही अफरा-तफरी मच गई. इस हमले में 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 76 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. पूरा इलाका कुछ देर में सुरक्षाबलों से घिर गया और जांच एजेंसियां तुरंत हरकत में आ गईं.
2008 के सीरियल ब्लास्ट
13 सितंबर 2008 की शाम दिल्ली के लिए दहशत भरी साबित हुई. कुछ ही मिनटों के अंतराल में शहर में 3 बड़े धमाके हुए. आतंकियों ने दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस (सीपी) को भी निशाना बनाया. इसके अलावा ग्रेटर कैलाश और करोल बाग की गफ्फार मार्केट में भी जोरदार विस्फोट हुए. इन हमलों में 30 लोगों की मौत हुई और 90 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इन धमाकों ने दिल्ली को हिला दिया था.
2005 के सीरियल ब्लास्ट
29 अक्टूबर 2005, दीवाली से कुछ ही दिन पहले, दिल्ली की रौनक मातम में बदल गई. उस दिन शहर के तीन भीड़भाड़ वाले इलाकों सरोजनी नगर, पहाड़गंज और कालकाजी में एक के बाद एक धमाके हुए. चारों तरफ चीख-पुकार मच गई. इस दर्दनाक घटना में 59 लोगों की जान चली गई और 210 से अधिक लोग घायल हुए. त्योहार के मौसम की खुशियां एक झटके में खत्म हो गईं.
संसद भवन हमला 2001
13 दिसंबर 2001 की सुबह देश की संसद पर आतंकी हमला हुआ था. पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों ने संसद परिसर में घुसकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. सुरक्षाबलों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की, लेकिन इस हमले में 9 लोगों की जान चली गई. यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे साहसिक और खतरनाक हमला माना जाता है.
लाजपत नगर ब्लास्ट 1996
21 मई 1996 की शाम लाजपत नगर मार्केट लोगों से खचाखच भरी थी. तभी अचानक जोरदार धमाका हुआ. चारों तरफ धुआं और चीखें गूंज उठीं. इस विस्फोट में 13 लोगों की मौत हुई और 38 से ज्यादा लोग घायल हुए. जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. उस वक्त कश्मीर में बढ़ते आतंकवाद की लपटें दिल्ली तक पहुंच चुकी थीं.
आजादी के बाद की पहली बड़ी आतंकी वारदात (1985)
10 मई 1985 का दिन दिल्ली की यादों में हमेशा दर्ज रहेगा. उस दिन ट्रांजिस्टर में लगाए गए बमों में एक साथ कई जगह धमाके हुए. इन धमाकों में सिर्फ दिल्ली में ही 49 लोगों की मौत हुई और 127 लोग घायल हुए. ये विस्फोट बसों, बाजारों और सार्वजनिक जगहों पर किए गए थे. आजादी के बाद की यह पहली बड़ी आतंकी वारदात थी, जिसने राजधानी को हिला दिया और लोगों के दिल में डर बैठा दिया.
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