ICC Rankings Explained in Hindi: आईसीसी रैंकिंग कैसे बनती है, खिलाड़ी नंबर 1 कैसे बनता है? जानिए पूरा गणित

Authored By: Ranjan Gupta

Published On: Wednesday, December 24, 2025

Last Updated On: Wednesday, December 24, 2025

ICC Rankings Explained in Hindi: जानें ICC रैंकिंग कैसे बनती है और खिलाड़ी नंबर 1 कैसे बनता है, पूरा गणित सरल शब्दों में.
ICC Rankings Explained in Hindi: जानें ICC रैंकिंग कैसे बनती है और खिलाड़ी नंबर 1 कैसे बनता है, पूरा गणित सरल शब्दों में.

हर महीने जारी होने वाली ICC Rankings में कौन सा खिलाड़ी नंबर 1 बनेगा और कौन नीचे खिसकेगा, यह सिर्फ रन और विकेट पर निर्भर नहीं करता. इसके पीछे एक जटिल गणित, एल्गोरिथ्म और कई खास पैमाने होते हैं. इस लेख में जानिए आईसीसी रैंकिंग कैसे काम करती है, खिलाड़ियों को प्वाइंट्स कैसे मिलते हैं और रैंकिंग व रेटिंग में क्या फर्क है.

Authored By: Ranjan Gupta

Last Updated On: Wednesday, December 24, 2025

ICC Rankings Explained in Hindi: क्रिकेट फैंस के लिए आईसीसी रैंकिंग सिर्फ आंकड़ों की सूची नहीं होती, बल्कि यह खिलाड़ियों के फॉर्म, निरंतरता और दबाव में प्रदर्शन की असली तस्वीर पेश करती है. हर महीने जब इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) नई रैंकिंग जारी करती है, तो किसी खिलाड़ी का नाम नंबर 1 पर होता है तो कोई टॉप-10 से बाहर हो जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आईसीसी आखिर किस आधार पर यह रैंकिंग तय करती है? क्या सिर्फ रन और विकेट ही सब कुछ होते हैं या इसके पीछे कोई खास सिस्टम काम करता है?

इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि ICC Rankings कैसे बनती हैं, खिलाड़ियों को रेटिंग प्वाइंट्स कैसे दिए जाते हैं, बल्लेबाज और गेंदबाजों की रैंकिंग किन मानकों पर तय होती है, और आखिर एक खिलाड़ी को टॉप रैंक हासिल करने के लिए कितने प्वाइंट्स की जरूरत होती है.

क्या है ICC रैंकिंग?

आईसीसी रैंकिंग एक तरह की प्वाइंट्स टेबल होती है. इसमें दुनिया भर के क्रिकेट खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंक दी जाती है. खिलाड़ियों को 0 से लेकर 1000 तक रेटिंग पॉइंट्स दिए जाते हैं. जिस खिलाड़ी के पास सबसे ज्यादा अंक होते हैं, वह रैंकिंग में पहले स्थान पर रहता है. वहीं, जिसके अंक कम होते हैं, वह नीचे की रैंक में चला जाता है.

आईसीसी रैंकिंग पूरी तरह खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर निर्भर करती है. अगर कोई खिलाड़ी पिछले कुछ महीनों या सालों में लगातार अच्छा प्रदर्शन करता है और आने वाले मैचों में भी उसी तरह खेल दिखाता है, तो उसके रेटिंग पॉइंट्स बढ़ते हैं और वह रैंकिंग में ऊपर पहुंच जाता है. इसके उलट, अगर खिलाड़ी के प्रदर्शन में गिरावट आती है, रन नहीं बनते या विकेट नहीं मिलते, तो उसके अंक घटते हैं और वह रैंकिंग में नीचे खिसक जाता है.

किसने बनाई थी ICC रैंकिंग?

आईसीसी की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, इस रेटिंग सिस्टम को स्टेटिस्टिशियन और स्कोरर डेविड कॉलिन केंडिक्स ने तैयार किया था. मौजूदा समय में जो आईसीसी रैंकिंग सिस्टम काम कर रहा है, उसकी बुनियाद उसी गणितीय मॉडल पर रखी गई थी. समय के साथ इसमें कई बदलाव और सुधार किए गए, लेकिन मूल ढांचा वही रहा.

ICC रैंकिंग कौन देता है?

आईसीसी रैंकिंग किसी इंसान द्वारा तय नहीं की जाती. इसके लिए पहले से एक तय एल्गोरिदम मौजूद है. यह एल्गोरिदम खिलाड़ियों के आंकड़ों का विश्लेषण करता है और उसी के आधार पर रेटिंग पॉइंट्स तय करता है.

यह सिस्टम सिर्फ खिलाड़ी के ओवरऑल प्रदर्शन को नहीं देखता, बल्कि यह भी ध्यान में रखता है कि खिलाड़ी के रन या विकेट का मैच के नतीजे पर कितना असर पड़ा. आसान शब्दों में कहें तो खिलाड़ी को मिलने वाले रेटिंग पॉइंट्स ही उसकी रैंकिंग तय करते हैं. किसी खिलाड़ी के रेटिंग पॉइंट्स 0 से 1000 के बीच हो सकते हैं.

खिलाड़ियों को प्वाइंट्स कैसे दिए जाते हैं?

हर मैच में खिलाड़ी जैसा प्रदर्शन करता है, उसी के आधार पर एल्गोरिदम के जरिए उसकी गणना की जाती है. बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों के लिए अंकों की गणना के पैमाने अलग-अलग होते हैं. अलग-अलग परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए खिलाड़ियों को अंक दिए जाते हैं.
अगर कोई खिलाड़ी टीम के लिए मुश्किल समय में योगदान देता है, जैसे कि हार की कगार से टीम को निकालकर जीत दिला देता है, तो उसे अतिरिक्त या बोनस अंक मिलते हैं. यानी सिर्फ रन बनाना या विकेट लेना ही नहीं, बल्कि उस प्रदर्शन का मैच पर असर भी बहुत मायने रखता है.

इस आधार पर होती है बल्लेबाजों की रैंकिंग

बल्लेबाजों की रैंकिंग कई बातों को ध्यान में रखकर तय की जाती है. सिर्फ रन की संख्या ही सब कुछ नहीं होती. यह भी देखा जाता है कि रन कब और किसके खिलाफ बने.

  • बल्लेबाज ने कितने रन बनाए, इसके आधार पर उसे रेटिंग पॉइंट्स मिलते हैं.
  • अगर बल्लेबाज नॉटआउट रहता है, तो उसे बोनस अंक दिए जाते हैं.
  • विरोधी टीम की गेंदबाजी जितनी मजबूत होती है, उसके खिलाफ बनाए गए रन उतने ही ज्यादा अंक दिलाते हैं.
  • पहली पारी की तुलना में दूसरी पारी में चेज करते हुए बनाए गए रनों को ज्यादा महत्व दिया जाता है.
  • टीम के लिए मुश्किल हालात में रन बनाकर जीत दिलाने पर बल्लेबाज को अतिरिक्त अंक मिलते हैं.
  • हाई स्कोरिंग मैच में रन बनाने पर कम अंक और लो स्कोरिंग मैच में रन बनाने पर ज्यादा अंक दिए जाते हैं.
  • मजबूत टीम के खिलाफ रन बनाकर जीत दिलाने पर बल्लेबाज को बोनस अंक मिलते हैं.

इस आधार पर होती है गेंदबाजों की रैंकिंग

  • गेंदबाजों की रैंकिंग भी सिर्फ विकेटों की संख्या पर निर्भर नहीं होती. यहां भी कई फैक्टर काम करते हैं.
  • गेंदबाज द्वारा लिए गए विकेट और दिए गए रनों के आधार पर अंक मिलते हैं.
  • रैंकिंग में मौजूद टॉप बल्लेबाजों को आउट करने पर गेंदबाज को बोनस अंक दिए जाते हैं.
  • हाई स्कोरिंग मैच में विकेट लेने पर ज्यादा अंक मिलते हैं, जबकि लो स्कोरिंग मैच में विकेट लेने पर कम अंक मिलते हैं.
  • मैच के दौरान ज्यादा ओवर डालने वाले गेंदबाज को भी अंक मिलते हैं, खासकर जब वह मुश्किल वक्त में गेंदबाजी करता है.

खिलाड़ियों के लिए कितने प्वाइंट्स माने जाते हैं बेहतर?

रेटिंग पॉइंट्स खिलाड़ी की स्थिति
500 पॉइंट्स अच्छा खिलाड़ी
750 पॉइंट्स टॉप 10 में बने रहने की संभावना
900+ पॉइंट्स टॉप रैंकिंग खिलाड़ी

आईसीसी रैंकिंग में टॉप 10 में बने रहने के लिए खिलाड़ी को आमतौर पर कम से कम 750 रेटिंग पॉइंट्स की जरूरत होती है. 500 रेटिंग पॉइंट्स हासिल करने वाले खिलाड़ियों को अच्छा खिलाड़ी माना जाता है. वहीं, 900 या उससे ज्यादा रेटिंग पॉइंट्स वाले खिलाड़ी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में गिने जाते हैं.

ICC रैंकिंग की शुरुआत कब हुई?

आईसीसी रैंकिंग की शुरुआत साल 1987 में हुई थी. उस समय खिलाड़ियों की रैंकिंग मुख्य रूप से बल्लेबाजी औसत के आधार पर तय की जाती थी. उस सिस्टम में कई कमियां थीं. बाद में इन्हीं कमियों को दूर करने के लिए रैंकिंग सिस्टम में लगातार बदलाव किए गए. आज का आईसीसी रैंकिंग सिस्टम पहले के मुकाबले ज्यादा आधुनिक, संतुलित और सटीक माना जाता है.

अन्य जरूरी बातें

बल्लेबाजी और गेंदबाजी की रैंकिंग को मिलाकर ऑलराउंडर की रैंकिंग तय की जाती है. विकेटकीपर और फील्डर्स के लिए अलग से कोई आईसीसी रैंकिंग नहीं होती.

अगर कोई खिलाड़ी टीम से बाहर हो जाता है, लंबे समय तक नहीं खेलता या संन्यास ले लेता है, तो उसका नाम आईसीसी रैंकिंग लिस्ट से हटा दिया जाता है.

आईसीसी टेस्ट रैंकिंग हर 12 घंटे में अपडेट होती है. वनडे रैंकिंग सीरीज खत्म होने के बाद अपडेट की जाती है, जबकि टी20 रैंकिंग आमतौर पर मंगलवार और बुधवार को अपडेट होती है.

रैंकिंग और रेटिंग में अंतर

आईसीसी की तालिका में खिलाड़ी की जो स्थिति होती है, उसे रैंकिंग कहा जाता है. वहीं, खिलाड़ी को मिलने वाले कुल अंक उसकी रेटिंग कहलाते हैं. रेटिंग पॉइंट्स के आधार पर ही रैंकिंग तय होती है.

यह जानना भी जरूरी है कि आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में उन्हीं खिलाड़ियों को शामिल किया जाता है, जिन्होंने पिछले 12 से 15 महीनों के दौरान क्रिकेट खेला हो. वहीं, वनडे और टी20 रैंकिंग के लिए 9 से 12 महीनों का समय तय किया गया है.

यह भी पढ़ें :- IND-W vs SL-W 3rd T20I: सीरीज पर कब्जे के इरादे से उतरेगी टीम इंडिया, जानें प्लेइंग-11 और मैच प्रेडिक्शन

About the Author: Ranjan Gupta
रंजन कुमार गुप्ता डिजिटल कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें डिजिटल न्यूज चैनल में तीन वर्ष से अधिक का अनुभव प्राप्त है. वे कंटेंट राइटिंग, गहन रिसर्च और SEO ऑप्टिमाइजेशन में माहिर हैं. शब्दों से असर डालना उनकी कला है और कंटेंट को गूगल पर रैंक कराना उनका जुनून! वो न केवल पाठकों के लिए उपयोगी और रोचक लेख तैयार करते हैं, बल्कि गूगल के एल्गोरिदम को भी ध्यान में रखते हुए SEO-बेस्ड कंटेंट तैयार करते हैं. रंजन का मानना है कि "हर जानकारी अगर सही रूप में दी जाए, तो वह लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर सकती है." यही सोच उन्हें हर लेख में निखरने का अवसर देती है.
Leave A Comment

अन्य खेल खबरें