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यूपीएससी (UPSC) परीक्षा : देश की कठिनतम परीक्षा में सफल होने के लिए फोकस के साथ सही रणनीति का होना है जरूरी
यूपीएससी (UPSC) परीक्षा : देश की कठिनतम परीक्षा में सफल होने के लिए फोकस के साथ सही रणनीति का होना है जरूरी
Authored By: अंशु सिंह
Published On: Wednesday, September 11, 2024
Updated On: Wednesday, February 5, 2025
सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे प्रतिष्ठित एवं कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है, जो कैंडिडेट्स के ज्ञान, योग्यता एवं दृढ़ता का परीक्षण करती है। यह किसी मैराथन रेस से कम नहीं है। वर्षों लग जाते हैं परीक्षा उत्तीर्ण करने में। अभ्यर्थियों को प्रीलिम्स, मेन्स एवं इंटरव्यू तक के सफर में काफी उतार-चढ़ाव से संघर्ष करना पड़ता है। लंबे समय तक सतत् अध्ययन एवं फोकस्ड होकर तैयारी करने के पश्चात ही तीनों चरण क्लियर हो पाते हैं। बावजूद इसके, भारतीय युवाओं के बीच यूपीएससी परीक्षा को लेकर गजब-सा जुनून देखा जाता है। हर वर्ष देश भर से लाखों कैंडिडेट्स इसमें शामिल होते हैं। आगामी 20 सितंबर को सिविल सर्विस की मेन्स परीक्षा होने जा रही है। आइये जानते हैं कि इसमें सफलता के लिए किन-किन बातों का रखना होता है खास ध्यान....
Authored By: अंशु सिंह
Updated On: Wednesday, February 5, 2025
Highlights:
- लंबे मैराथन रेस की तरह है परीक्षा
- नौकरी में स्थायित्व के साथ जुड़ी है ताकत
- वर्दी के प्रति आकर्षण एवं देश भक्ति की भावना करती है प्रेरित
- आंकड़े बताते हैं कि यूपीएससी की सफलता दर 1% से भी कम है
भारत में यूपीएससी (UPSC) को लेकर दीवानगी नई बात नहीं है, क्योंकि इस नौकरी में स्थायित्व के साथ ताकत जुड़ी है। आपको ऐसे अनेक परिवार, मित्र-संबंधी आसपास मिल जाएंगे, जो इसे एक करियर विकल्प के रूप में लेने को लेकर बच्चों को प्रोत्साहित करते रहते हैं। इसके अलावा, वर्दी के प्रति आकर्षण एवं देश भक्ति की गहरी भावना युवाओं को इस ओर आने के लिए प्रेरित करती है। तभी तो हर वर्ष लाखों की संख्या में कैंडिडेट्स परीक्षा में शामिल होते हैं और बहुसंख्यक इसकी तैयारी के लिए दिल्ली जैसे बड़े शहरों का रुख करते हैं। राजधानी के पुराने राजिंदर नगर या मुखर्जी नगर इलाके में स्टूडेंट्स की सरगर्मी दर्शाती है कि सिविल सेवा उत्तीर्ण करने को लेकर स्टूडेंट्स कितना कुछ त्याग करते हैं। महीनों-सालों परिवार से दूर एक कमरे में सीमित हो जाती है उनकी दुनिया। दीवारों पर चस्पा हो जाते हैं नक्शे एवं तमाम दूसरे नोट्स। लगातार प्रयासों के बावजूद अगर कहीं सफलता हाथ नहीं लगती, तो मानसिक स्थिति बिगड़ने में देर नहीं लगती। फिर भी अभ्यर्थी परीक्षा का मोह त्याग नहीं कर पाते और अपनी कमी-कमजोरियों को दूर कर आगे बढ़ते रहते हैं।
योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ने से फायदे
एक लोक सेवक का पद काफी सम्मानित पद माना जाता है। देश में सिविल सेवा परीक्षा की लोकप्रियता की प्रमुख वजह भी यही है। इस प्रशासनिक पद पर पहुंचने के पश्चात युवाओं को असाधारण लाभ एवं सम्मान मिलते हैं। करियर में उन्नति की भरपूर संभावनाएं होती हैं। जो लोग जमीनी स्तर पर काम करना चाहते हैं, उन्हें इसके बेहतर अवसर मिलते हैं। इससे वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला पाते हैं। अपने पहले प्रयास में यूपीएससी में 56वां रैंक हासिल करने वाले सुयश कहते हैं कि जब मैंने परीक्षा की तैयारी शुरू की थी, तो लोगों ने कहा था कि यह लंबे मैराथन रेस की तरह है। तीन से चार साल लग सकते हैं इसे क्लियर करने में। लेकिन उससे घबराना नहीं। दरअसल, जब हम यूपीएससी की तैयारी की यात्रा शुरू करते हैं, तो ऊर्जा एवं सकारात्मकता से भरे होते हैं। लेकिन वक्त बीतने के साथ बाहरी प्रभाव, मिस गाइडेड होने का खतरा बढ़ जाता है। सही दिशा-निर्देश न मिलने के कारण समय बर्बाद होते देर नहीं लगती है। ऐसे में जितनी जल्दी हम अपनी गलतियों को भांप कर उसे ठीक कर लेते हैं। योजनाबद्ध तरीके से सही एटीट्यूड के साथ आगे बढ़ते हैं, सफल होने की गुंजाइश उतनी बढ़ जाती है। तैयारी के दौरान हम जिस प्रक्रिया से गुजरते हैं, उससे जीवन में अनुशासन आता है। मेहनत करने से डर नहीं लगता है और साथ-साथ जिम्मेदारी उठाने का साहस भी आ जाता है। सिविल सेवा एक ऐसा विकल्प है जिसे हम अपनी कमियों एवं कौशल का आकलन करने के बाद किसी भी समय चुन सकते हैं। हालांकि, पहले अन्य व्यवहार्य विकल्प तलाशने में कोई बुराई नहीं है।
अंधी रेस में फंसने से बचें
हमारे यहां का एक स्याह सच यह है कि आज भी कई लोगों को अपनी पसंद का करियर बनाने की आजादी नहीं है। सामाजिक अपेक्षाएं और पारिवारिक दबाव युवाओं के अधिकांश निर्णय को प्रभावित करते हैं। यूपीएससी के साथ कुछ ऐसा ही है। सोशल मीडिया के अलावा स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान सभी स्टूडेंट्स की रुचि का ठीक से विश्लेषण किए बिना यूपीएससी का सपना, उम्मीद बेचने लगते हैं। एक अंधी रेस शुरू हो जाती है। कोचिंग संस्थान किसी एक सफल कैंडिडेट की इस हद तक मार्केटिंग करते हैं कि दूसरे किसी भी विद्यार्थी को लगने लगता है कि अमुक कर सकता है, तो वे क्यों नहीं। युवा भी इस मिथ्या झांसे में फंस इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि हर साल यूपीएससी-पीसीएस आदि परीक्षा की तैयारी करने के बावजूद लाखों उम्मीदवारों में से क्यों कुछेक ही अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन दे पाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि यूपीएससी की सफलता दर 1% से भी कम है। कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण हर किसी के लिए इसमें सफल होना मुश्किल होता है। सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार एक निश्चित संख्या में ही अटेम्प्ट ले सकते हैं, जो उनकी उम्र भी निर्भर करती है। इस तरह, सिविल सेवा के लिए उम्मीदवारों को परीक्षा उत्तीर्ण करने में औसतन दो साल से अधिक समय लगता है। वहीं, चुने जाने की संभावना बढ़ाने के लिए लगभग तीन से चार अटेम्प्ट लेने पड़ते हैं। बावजूद इसके इस परीक्षा को लेकर एक अजीब-सा आकर्षण होता है। 2022 की यूपीएससी परीक्षा में 226वां रैंक हासिल करने वाले गौरव त्रिपाठी (Gaurav Tripathi) बताते हैं कि कई छात्र केवल अनुभव के लिए परीक्षा में बैठते हैं। उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि वे सफल होते हैं या नहीं। वे सालों-साल तैयारी में ही बिता देते हैं। लेकिन इससे बाकी विद्यार्थियों पर जो दबाव पैदा होता है, उस पर काबू पाना मुश्किल होता है। बायजूस (Byju’s) के एक अध्ययन के अनुसार, परीक्षा में बैठने वाले लाखों उम्मीदवारों में से केवल कुछ हजार ही इसके प्रति गंभीर होते हैं। इसलिए यूपीएससी (UPSC) का सपना देखने वालों और वास्तव में इसमें सफलता हासिल करने का लक्ष्य रखने वालों के बीच की रेखा काफी महीन होती है।
सिलेबस को समझना है जरूरी
प्रश्न उठता है कि आखिर वह कौन-सी बातें हैं, जो इस परीक्षा को कठिन एवं जटिल बनाती हैं। कई बार अभ्यर्थी पूरी कोशिश के बाद भी इसमें सफल नहीं हो पाते हैं। यूपीएससी परीक्षा 2019 में ऑल इंडिया 76वां रैंक प्राप्त करने वाले सूर्यतेजा के अनुसार, परीक्षा का सिलेबस इतना वृहद होता है कि उसे अगर सही तरीके से पूरा नहीं किया गया, तो नतीजे प्रभावित हो सकते हैं। इसमें इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, साइंस, टेक्नोलॉजी एवं करेंट अफेयर्स जैसे बहुविषयों से प्रश्न पूछे जाते हैं। यानी कैंडिडेट्स को इन तमाम विषयों की अच्छी नॉलेज एवं समझ होनी चाहिए। इसके अलावा, हर वर्ष हजारों की संख्या में उच्च शिक्षित एवं आत्मविश्वास से भरपूर अभ्यर्थी सीमित सीट्स के लिए परीक्षा में शामिल होते हैं। प्रतिस्पर्धा इतनी कड़ी होती है कि जो अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देता है, वही सफलता प्राप्त करता है। यहां सफलता एवं असफलता के बीच काफी महीन अंतर होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात। यूपीएससी परीक्षा का कलेवर हर बार नया होता है। नए टॉपिक्स के जुड़ने एवं क्वैश्चन का पैटर्न बदलने से प्रश्नों का अनुमान लगाना मुश्किल होता है। जो कैंडिडेट करेंट अफेयर्स से जितना अपडेटेड रहते हैं, उन्हें उतना फायदा होता है।
तैयारी से पहले करें खुद का आकलन
2016 में यूपीएससी क्रैक करने वाले अवधेश मीणा का कहना है कि सिर्फ रोट लर्निंग से सिविल सेवा की परीक्षा को क्लियर नहीं किया जा सकता है। यहां अभ्यर्थियों को कई बिंदुओं पर परखा जाता है कि वे किस हद तक क्रिटिकल थिंकिंग कर पाते हैं। अमुक परिस्थिति या समस्या का किस प्रकार व्यावहारिक समाधान निकाल पाते हैं। यूपीएससी परीक्षा में एस्पीरेंट्स की निर्णय क्षमता को भी टेस्ट किया जाता है कि वह उच्च दबाव वाली स्थिति में कैसे सही निर्णय ले पाते हैं। इसका सब्जेक्टिव नेचर भी इसे एक कठिन परीक्षा बनाता है। इसलिए हर साल परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद हम सफलता और असफलता की ढेरों कहानियां सुनते हैं। इसमें दो मत नहीं कि इस क्षेत्र में रसूख बहुत होता है, लेकिन यह सुखी एवं आरामदायक जीवन की गारंटी नहीं देता है। यह देखा भी गया है कि सभी सफल उम्मीदवार अपनी नौकरी से खुश और संतुष्ट नहीं होते हैं। ऐसे में अच्छा यही होगा कि आप आगे बढ़ने से पहले निर्धारित कर लें कि यह परीक्षा आपके लिए उपयुक्त है या नहीं? किसी भी परीक्षा और करियर की आवश्यकताओं को पूरी तरह से समझना महत्वपूर्ण है।
रणनीति के साथ बढ़ें आगे
अब अगर आपने मन बना लिया है और आपका लक्ष्य यूपीएससी परीक्षा को क्लियर करना है, तो इसके लिए बकायदा रणनीति के तहत तैयारी आवश्यक है। सही रणनीति एवं कड़ी मेहनत से कोई भी इस परीक्षा को क्रैक कर सकता है। इसके लिए आपका कॉलेज टॉपक होना या किसी नामी-गिरामी यूनिवर्सिटी से स्नातक होना जरूरी नहीं है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां औसत अकादमिक रिकॉर्ड वाले अभ्यर्थियों ने भी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पायी है। दरअसल, यह सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि एक सफर है जो कैंडिडेट की बुद्धि, धैर्यता एवं दृढ़ता को टेस्ट करती है। परीक्षा का विशाल सिलेबस, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा, कई चरणों में इसका आयोजन इसे एक कठिन परीक्षा बनाता है। लेकिन एक बार जो इन तमाम चुनौतियों को पार कर सफलता प्राप्त करता है, वही देश के प्रतिष्ठित इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस को ज्वाइन कर पाता है।