About Author: रमेश यादव ने राष्ट्रीय और राजनीतिक समाचारों के क्षेत्र में व्यापक लेखन और विश्लेषण किया है। उनके लेख राजनीति के जटिल पहलुओं को सरलता और गहराई से समझाते हैं, जो पाठकों को वर्तमान राजनीतिक घटनाओं और नीतियों की बेहतर समझ प्रदान करते हैं। उनकी विशेषज्ञता सिर्फ सूचनाओं तक सीमित नहीं है; वे अपने अनुभव के आधार पर मार्गदर्शन और प्रासंगिक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करते हैं। रमेश यादव की लेखनी तथ्यों पर आधारित और निष्पक्ष होती है, जिससे उन्होंने पत्रकारिता और विश्लेषण के क्षेत्र में अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है।
Posts By: रमेश यादव
इस बार महिलाओं, किसानों और युवाओं के लिए मोदी सरकार कुछ नए और बड़े ऐलान कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार कहते रहे हैं कि उनका तीसरा कार्यकाल बड़े फैसलों वाला होगा। पिछले 10 साल का कार्य तो सिर्फ ट्रेलर है। जब उन्हें एनडीए संसदीय दल का नेता चुना गया तब भी उन्होंने ये बातें दोहराई थी।
18वीं लोकसभा के लिए आज अंतिम चरण का मतदान हो रहा है। मतदान संपन्न होते ही एग्जिट पोल का दौर शुरू होगा, जिसमें चुनावी नतीजों का अनुमान लगाया जाएगा।
पूर्व मंत्री एवं पूर्वांचल के बड़े भूमिहार नेता नारद राय ने सातवें और अंतिम चरण के मतदान से ठीक पहले समाजवादी पार्टी को झटका देकर भगवा रंग में रंग गए हैं।
बांग्लादेशी सांसद अनवारुल अजीम अनार और अख्तरुज जमान मिलकर सोने की तस्करी का काम करते थे। पैसों को लेकर दोनों के बीच विवाद हुआ और अख्तरुज जमान ने इस नृशंस हत्या की साजिश रच डाली।
मशहूर सट्टा बाजार ‘फलोदी’ की मानें तो नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं। हालांकि न तो भाजपा की सीटें 370 आ रही हैं और न ही एनडीए 400 का आंकड़ा छू रहा है।
शराब के नशे में पिता की दी हुई दो करोड़ की पोर्श कार से दो लोगों को रौंद देने के बाद 15 घंटे में ही वह अमीरजादा जिस तरह जमानत पर बाहर निकल आया, उससे तुलसीदास रचित रामचरित मानस की एक चौपाई का अंश समरथ को नहीं दोष गुसाईं पूर्णतः सत्य प्रतीत हो रही है।
"जिभिया ऐसी बावरी, बोलत नहीं संभार। आप बोल भीतर गई जूता खात कपार।" रहीम का यह दोहा इस बात को रेखांकित करने के लिए काफी है कि चुनावों में बदजुबानी का खामियाज अधिकांशतः स्वयं ही भुगतना पड़ता है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा अपने भाषण में सत्ता में आने पर लोगों की संपत्ति का एक्सरे करने की बात पर कांग्रेस के ओवरसीज अध्यक्ष सैम पित्रोदा के बयान पर बवाल मच गया। पित्रोदा ने कहा था कि अमेरिका जैसे देश में उत्तराधिकार कर लगता है। इसके तहत किसी के मर जाने पर उसकी संपत्ति का 55 प्रतिशत सरकार ले लेती है और उसके बच्चों को उस संपत्ति का 45 प्रतिशत ही मिलता है। यह व्यवस्था भारत में भी हो सकती है। हालांकि बाद में पित्रोदा ने इसे अपनी निजी राय बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की। कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने भी इसे उनकी निजी राय बताया। लेकिन लोकसभा चुनाव के बीच में कांग्रेस के लिए इस तरह का बयान उलटा पड़ता नजर आ रहा है...
सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल (जिस दिन लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की 88 सीटों पर मतदान हो रहा था) को ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और वीवीपैट (वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) की प्रामाणिकता व संदेह को लेकर दायर की गई तमाम याचिकाओं को खारिज करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि आज के तकनीकी दौर में बैलट पेपर से चुनाव संभव नहीं है। ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं पेश किया जा सका, जिससे ईवीएम और वीवीपैट की प्रामाणिकता संदिग्ध साबित होती हो। हालांकि न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को इस सिस्टम को और प्रामाणिक बनाने के लिए उपाय करने का निर्देश दिया है...
हर चुनाव में सिनेमा के चर्चित सितारे किसी न किसी राजनीतिक दल से मैदान में उतरते हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में कंगना रनौत (मंडी), अरुण गोविल (मेरठ) जैसे चर्चित सितारे जहां भाजपा का दामन थाम कर जनता के बीच पहुंचे हैं, वहीं हेमामालिनी श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा से तीसरी बार अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं...