About Author: स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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भारतीय एयरोस्पेस मेडिसिन सोसायटी के एयरोस्पेस मेडिसिन संस्थान सम्मेलन (Indian Society of Aerospace Medicine Conference 2025) में हाइब्रिड प्रारूप में सैन्य और नागरिक उड्डयन से एयरोस्पेस चिकित्सा के प्रतिष्ठित देश और दुनिया भर से लगभग 300 पेशेवर प्रतिभागी शामिल होंगे। इनमें डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के प्रमुख सदस्यों और इसरो के वैज्ञानिकों सहित संबद्ध संस्थानों के शोधकर्ता भी शामिल हैं।
महाकुम्भ में श्रद्धालुओं को भारत का नक्शा वाला शिवालय पार्क दिखेगा। पार्क में ज्योतिर्लिंगों के दर्शनार्थ रामेश्वरम मंदिर, केदारनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, वैद्यनाथ मंदिर, जगन्नाथ पुरी मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर जैसे प्रमुख मंदिरों के स्वरूप को बनाकर तैयार किया गया है। पार्क में अयोध्या का प्रभु श्रीराम मंदिर भी बनाया गया है।
मांसपेशियां शरीर को आकार प्रदान करती हैं। हाथ और पैरों की मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए स्कंध चालन क्रिया, कोहनी शक्ति विकासक क्रिया, भुजबल्ली शक्ति विकासक क्रिया तथा घुटना चालन व भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।
बदरीनाथ धाम कपाट बंद होने के बाद मास्टर प्लान के कार्यों ने रफ्तार पकड़ ली है। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए बदरीनाथ महायोजना का काम शीतकाल में भी लगातार जारी है। इस सीजन में बर्फबारी से पहले अधिकांश कार्यों को पूरा करने का लक्ष्य (Badrinath Dham) रखा गया है।
हेल्थ और वेलनेस के 100 से अधिक विशेषज्ञ द्वारा विविध सत्रों का आयोजन किया जाएगा। इससे सभी को संतुलित, स्वस्थ और आनंदमय जीवन शैली के लिए प्रेरणा मिलेगी। स्वास्थ्य, योग, फिटनेस और ध्यान पर भी सत्र होंगे।
मार्गशीर्ष अमावस्या को अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पूजा, तिल तर्पण और पिंड दान जैसे अनुष्ठानों के माध्यम से पूर्वजों का सम्मान करने का यह दिन है। माना जाता है कि ये कार्य पूर्वजों की आत्माओं को मुक्ति दिलाने में मदद करती हैं।
एड्स के इलाज से जुड़े मिथ और स्टिग्मा को खत्म करना, स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करना और एक सपोर्टिव समाज को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है। पूरे समाज को साथ मिलकर इस मिथ को खत्म करना चाहिए। इससे प्रत्येक व्यक्ति को वह सम्मान, देखभाल और स्वीकृति मिल सकेगी, जिसके वे हकदार हैं।
प्राचीन भारतीय ज्योतिष और वास्तु विद्या को आधुनिक समाज से जोड़ने का उद्देश्य न केवल लोगों को जागरूक करना होता है, बल्कि उन्हें यह समझाना भी होता है कि यह विद्या उनके जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।
हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ के संतुलन से ही हम स्वस्थ रहते हैं। इनके कारण होने वाली बीमारियों से हम प्रकृति परीक्षण कराकर सुरक्षित रह सकते हैं।
द लैंसेट में प्रकाशित 2021 के एक अध्ययन में पाया गया कि सप्ताह में 55 या उससे अधिक घंटे काम करने से स्ट्रोक का जोखिम 35% और इस्केमिक हृदय रोग का जोखिम 17% बढ़ जाता है।