पावर भूलकर प्यार में पागल हुए नीतीश कुमार, आधी रात दौड़ाई बाइक, सुशासन बाबू की सीक्रेट लव स्टोरी
Authored By: Nishant Singh
Published On: Saturday, September 6, 2025
Last Updated On: Saturday, September 6, 2025
कभी सोचा है, एक बड़े नेता, जो आज सत्ता की कुर्सी पर राज कर रहे हैं, वही कभी आधी रात बाइक दौड़ाकर अपनी मोहब्बत से मिलने निकले थे? विधायक बनने की पहली जीत, चारों ओर शोर-शराबा… लेकिन उनके दिल में बस एक ही नाम गूंज रहा था. कौन थी वो लड़की, जिसके इश्क़ ने गंभीर चेहरे वाले इस नेता को फिल्मी हीरो बना दिया? जानिए इस सनसनीखेज़ कहानी में…
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Saturday, September 6, 2025
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार (Nitish Kumar Secret Love) का नाम आते ही आपके ज़हन में एक गंभीर और व्यवहारिक नेता की छवि बनती है. सादा पहनावा, संतुलित शब्द, और सत्ता की बाज़ीगरी- यही उनकी पहचान रही है. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि यही नीतीश कुमार कभी अपनी मोहब्बत के लिए आधी रात बाइक दौड़ाते थे? हां, वही नीतीश, जिनके बारे में लोग कहते हैं कि वो दिल से कम और दिमाग से ज़्यादा फैसले लेते हैं, उन्होंने एक बार ऐसा काम किया जो किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं था. और यही किस्सा उनके निजी जीवन की सबसे रोचक और भावनात्मक कहानी बन चुका है.
विधायक बनने के बाद भी बेचैन दिल
साल था 1985. पहली बार नीतीश कुमार विधायक बने थे. घर बख्तियारपुर में ढोल-नगाड़ों के साथ उनका स्वागत हुआ. पूरा इलाका खुशी में डूबा था. लेकिन इस शोर-गुल और जलसे के बीच नीतीश की नज़रें किसी और को तलाश रही थीं- उनकी पत्नी मंजू को. मगर मंजू उस वक्त मायके सेवदह गई हुई थीं.
जिनके पास राजनीति की जीत थी, उनके दिल में उस वक्त सिर्फ मोहब्बत की तड़प थी. और इसी तड़प ने उन्हें वो काम करने पर मजबूर कर दिया, जो आमतौर पर कोई ‘सीरियस’ नेता करने की सोच भी नहीं सकता.
आधी रात बाइक पर सवार नीतीश
बख्तियारपुर से सेवदह तक का रास्ता करीब 40 किलोमीटर का था. वो भी उस ज़माने में, जब सड़कें खतरनाक और सुनसान होती थीं. लेकिन नीतीश का दिल मानने वाला कहां था. रात के अंधेरे में उन्होंने अपने साथी से कहा- “मोटरसाइकिल निकालो, हम मंजू से मिलने जाएंगे.”
सोचिए, एक नए-नवेले विधायक, जिनका भविष्य राजनीति की बिसात पर चमकने वाला था, वो सारी परवाह छोड़कर सिर्फ अपनी मोहब्बत से मिलने के लिए आधी रात बाइक दौड़ा रहे थे. मंजू के घर पहुंचकर जब उन्होंने दरवाज़ा खटखटाया, तो पत्नी की आंखों में जो चमक और मुस्कान थी, वही इस अधूरी सी प्रेमकथा का सबसे खूबसूरत पल बन गया.
पढ़ाई के दिनों से ही लिखी जा रही थी प्रेमकथा
नीतीश और मंजू की कहानी कोई आम अरेंज मैरिज नहीं थी. इसमें इमोशन, संघर्ष और ड्रामा सब कुछ था. नीतीश पटना इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र थे. मंजू मगध महिला कॉलेज में सोशियोलॉजी पढ़ रही थीं. रिश्ते की शुरुआत परिवार ने तय की, लेकिन आगे की कहानी दोनों की समझदारी और मोहब्बत ने लिखी.
दोस्तों का किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है. शादी तय होने के बाद, नीतीश के शरारती दोस्तों ने चुपके से यूनिवर्सिटी जाकर मंजू को देखने की कोशिश की. मंजू ने जब समझा कि ये लड़के सिर्फ उन्हें घूरने आए हैं, तो शर्माकर मुस्कुरा दीं और वहां से निकल गईं. वही मुस्कान, वही सादगी, नीतीश को हमेशा के लिए भा गई.
नीतीश की सख्त शर्तें
नीतीश शादी में दहेज के खिलाफ थे. जब उन्हें पता चला कि तिलक में 22 हज़ार रुपये तय हुए हैं, तो उन्होंने साफ मना कर दिया. उन्होंने दो शर्तें रखीं:
- जैसे उनकी सहमति ली गई है, वैसे ही मंजू की भी राय ली जाए.
- शादी बिना दिखावे, सादे तरीके से हो.
उन दिनों एक ‘विद्रोही छात्र नेता’ की ऐसी सोच बहुत बड़ी बात थी. मंजू ने भी हामी भरी और फिर उनकी शादी बिना किसी शोर-शराबे के, बेहद सादगी से हुई.
जेल और जाली से शुरू हुई जुदाई
शादी के बाद भी जिंदगी आसान नहीं रही. नीतीश राजनीति में कूद पड़े थे और उसी दौरान जेपी आंदोलन ने पूरे बिहार में आग लगा दी. नीतीश भी इस आंदोलन में शामिल हुए और जेल चले गए.
गया सेंट्रल जेल की याद खुद नीतीश ने सुनाई थी- “जाली इतनी घनी थी कि छोटी उंगली तक न निकल सके. मंजू आती थीं, बस दूर से देखती थीं, और लौट जाती थीं.”
एक तरफ राजनीति का संघर्ष, दूसरी तरफ नवविवाहित दंपति की जुदाई, यह दौर उनके रिश्ते की सबसे बड़ी परीक्षा थी.
मंजू की नौकरी से चलता था घर
नीतीश ने शादी के 12 साल बाद तक कोई स्थायी नौकरी नहीं की. लगातार चुनाव हारने से घर की हालत खराब हो गई. तभी मंजू ने घर की जिम्मेदारी संभाली. वे शिक्षिका बनीं और सेवदह हाईस्कूल में पढ़ाने लगीं.
सोचिए, जिस मंजू ने शादी से पहले कभी आर्थिक कठिनाई नहीं देखी थी, वही अब पूरे परिवार का खर्च उठा रही थीं. नीतीश का संघर्ष, मंजू की मजबूरी और बेटा निशांत- यही उनकी दुनिया थी.
मोहब्बत और राजनीति का संगम
1985 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश हार-थककर राजनीति छोड़ने का मन बना चुके थे. तब मंजू ने अपनी ढाई साल की सेविंग्स पूरे 20 हज़ार रुपये उन्हें थमा दिए. यही पैसे चुनाव में उनके लिए जीवनरेखा बन गए.
जब नीतीश जीते और विधायक बने, तो उसी रात बाइक पर बैठकर मंजू से मिलने भाग पड़े. यह सिर्फ प्रेम का इज़हार नहीं था, बल्कि उस औरत के लिए आभार भी था, जिसने पति का करियर अपने संघर्ष से सींचा था.
दिल्ली में साथ रहने की कोशिश
1989 में नीतीश लोकसभा पहुंचे. मंजू ने भी दिल्ली सूचना केंद्र में नौकरी ले ली. लेकिन यहां उन पर आरोप लगे कि नियम तोड़कर पत्नी को दिल्ली बुलाया गया. नीतीश ने खुद मुख्यमंत्री लालू यादव को पत्र लिखकर मंजू की प्रतिनियुक्ति रद्द कर दी.
इस घटना से साफ होता है कि नीतीश कितने ‘प्रैक्टिकल’ इंसान थे. लेकिन उनके दिल में हमेशा मंजू और परिवार की चाह बनी रही. जब भी समय मिलता, वे पटना दौड़ जाते या मंजू बेटे निशांत को लेकर दिल्ली आ जातीं.
एक वादा, जो अधूरा रह गया
2007 में मंजू बीमार पड़ीं. नीतीश उन्हें दिल्ली के मैक्स अस्पताल ले गए. उस वक्त नीतीश दिन-रात उनके पास बैठे रहते थे. मंजू अक्सर कहतीं- “मेरे रिटायरमेंट के बाद हम हमेशा साथ रहेंगे.”
लेकिन किस्मत को शायद यह मंज़ूर नहीं था. 14 मई 2007 को मंजू का निधन हो गया. नीतीश, जो ज़िंदगीभर आंसू छिपाते रहे, उस दिन सबके सामने फूट-फूटकर रोए.
मोहब्बत की याद में स्मृति
पत्नी के गुजरने के बाद नीतीश ने पटना में ‘मंजू कुमारी स्मृति पार्क’ बनवाया. आज भी हर साल उनकी पुण्यतिथि पर वहां जाते हैं और फूल चढ़ाते हैं. राजनीति में चाहे कितनी भी व्यस्तता रही हो, लेकिन नीतीश के लिए मंजू की याद हमेशा जिंदा रही.
नीतीश: नेता कम, प्रेमी ज़्यादा?
कहानी सुनकर आपको यही लगेगा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक नेता की बायोग्राफी नहीं है, बल्कि एक इमोशनल लव स्टोरी है. नीतीश कुमार ने अपने जीवन में सत्ता, संघर्ष, हार-जीत सब देखा. लेकिन उनकी मोहब्बत की कहानी वही आधी रात दौड़ाई गई बाइक है, जिसने उन्हें ‘दिल से इंसान’ साबित कर दिया.
राजनीति में कितने ही दांव-पेंच आए, लेकिन मंजू के लिए उनकी भावनाएं कभी नहीं बदलीं. शायद यही वजह है कि उनके जीवन की यह प्रेमकथा आज भी लोगों को हैरान कर देती है.
नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर चाहे जितना लंबा हो, उनके निजी जीवन की यह रोमांटिक घटना हमेशा चर्चा में रहेगी. क्योंकि सत्ता पाने वाले नेता बहुत मिल जाते हैं, लेकिन सत्ता में रहते हुए भी आधी रात अपनी पत्नी से मिलने बाइक दौड़ाने वाले नेता शायद ही कोई दूसरा हो.