सोनाक्षी सिन्हा और ज़हीर इक़बाल की वेडिंग के बाद क्यों चर्चा में है स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act)

Authored By: Omdutt, State Head, UP

Published On: Tuesday, June 25, 2024

Categories: Bollywood

Updated On: Wednesday, June 26, 2024

सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इक़बाल की शादी इन दिनों काफी सुर्खियां बटोर रही है। इस कपल ने स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत एक-दूजे के हुए हैं। इन दिनों कई चर्चित हस्तियाँ अंतर धार्मिक विवाह इसी एक्ट के तहत कर रहे हैं।

अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) और अभिनेता जहीर इकबाल (Zaheer Iqbal) एक नागरिक समारोह में शादी के बंधन में बंध गये। उनकी ये शादी स्पेशल मैरिज ऐक्ट के तहत हुई। जब से यह जानकारी आई है कि सोनाक्षी सिन्हा और ज़हीर इक़बाल की शादी विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत हो रही है, तभी से विशेष विवाह अधिनियम या “स्पेशल मैरिज एक्ट” की ज्यादा चर्चा होने लगी।

हाल ही में पायल मलिक और कृतिका मलिक के साथ दो शादियों को लेकर चर्चा में आये बिग बॉस ओटीटी 3 के कंटेस्टेंट अरमान मलिक पर टिप्पणी करते हुए बिग बॉस की एक्स कंटेस्टेंट और टीवी एक्ट्रेस देवोलीना ने भी स्पेशल मैरिज एक्ट का हवाला दिया है। इससे पहले स्वरा भास्कर और फहाद अहमद भी इस विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत शादी कर चुके हैं।

इसलिए स्पेशल मैरिज एक्ट क्या है? इसे कब बनाया गया? हिन्दू मैरिज एक्ट से यह कैसे अलग है? इन सबके बारे में जानते हैं।

स्पेशल मैरिज एक्ट क्या है? (What is the Special Marriage Act?)

विशेष विवाह अधिनियम-1954 भारत की संसद का एक अधिनियम है, जिसमें अलग-अलग धार्मिक पृष्ठभूमि के भारत के लोगों और विदेश में रह रहे, सभी भारत के नागरिकों को वैवाहिक बंधन में बंधने का संवैधानिक अधिकार दिया गया है। फिर चाहे वो हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध या फिर किसी धर्म या आस्था को मानने वाले हों।

यह अधिनियम 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में प्रस्तावित कानून के एक हिस्से से लिया गया था। यह जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत पर लागू होता है। 1954 में इस अधिनियम को रिवाइज किया गया। विशिष्ट तरह की शादियों के लिए पंजीकरण की सुविधा दी जाए, जिसमें अलग-अलग धर्मों के लोगों की शादी के लिए सुविधा प्रदान की जाए और शादी के बाद तलाक की सुविधा हो।

स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट में क्या है अंतर

स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत अंतर-धार्मिक विवाह किए जाते हैं। शादी किसी भी धर्म के अनुसार नहीं की जाती है। जबकि हिन्दू मैरिज एक्ट 1955, हिंदुओं को व्यवस्थित विवाह बंधन में बंधने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह विवाह को अर्थ देता है। वर और वधू दोनों के लिए सहवास के अधिकार, तथा उनके परिवार और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। ताकि उन्हें अपने माता-पिता से जुड़ी समस्याओं का सामना न करना पड़े।

स्पेशल मैरिज एक्ट में शादी की शर्तें

विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने के लिए पुरुष और महिला को कुछ आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।

  • स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोई भी भारतीय आवेदन दे सकता है।
  • ये एक्ट धर्म के हिसाब से काम नहीं करता है। ये सभी के लिए एक बराबर है।
  • ऐसे भारतीय जो विदेशों में रह रहे हैं, उन्हें भी इसके तहत शादी करने की सुविधा है।
  • महिला की आयु 18 वर्ष और पुरुष की आयु 21 वर्ष होनी चाहिए। उन्हें शादी करने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से सक्षम होना चाहिये।
  • शादी करने के लिए दोनों पक्षों का सहमत होना ज़रूरी है और उनके पास जीवित जीवनसाथी नहीं होना चाहिये।
  • व्यक्तियों को अपनी पिछली शादी के विघटन का प्रमाण, जैसे मृत्यु प्रमाण पत्र या तलाक की डिक्री प्रस्तुत करना आवश्यक है।
  • इसके अतिरिक्त दोनों को ही अलग सेक्स का होना अनिवार्य है।
  • हालांकि अभी सेम सेक्स मैरिज को स्पेशल मैरिज एक्ट में शामिल करने की मांग की जा रही है। इस पर अभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई फैसला नहीं आया है।
  • स्पेशल मैरिज एक्ट में पंजीकरण प्रक्रिया
  • इस अधिनियम के अनुसार जोड़ों को विवाह की निर्धारित तिथि से 30 दिन पहले विवाह अधिकारी को संबंधित दस्तावेजों के साथ एक नोटिस देना होगा।
  • हालांकि यह प्रक्रिया ऑनलाइन की जा सकती है लेकिन वर-वधू को विवाह संपन्न कराने के लिए विवाह अधिकारी के पास पंजीकरण की तिथि पर तीन गवाहों के साथ उपस्थित होना आवश्यक है।
  • नोटिस की एक प्रति कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर लगाई जाती है तथा नोटिस की एक प्रति पंजीकृत डाक द्वारा दिए गए पते पर दोनों पक्षों को भेजी जाती है।
  • नोटिस जबरन या धोखाधड़ी से होने वाली शादियों को रोकने के लिए आपत्तियां उठाने की अनुमति देता है।
  • यह प्रक्रिया पारदर्शिता सुनिश्चित करने में भी मदद करती है।

तलाक़ लेने का अधिकार है

विशेष विवाह अधिनियम कुछ खास मुद्दों को लेकर तलाक की अनुमति देता है। यदि कोई पक्ष असंगत मतभेदों के कारण अपना विवाह समाप्त करना चाहता है तो दोनों पक्ष कानून के अनुसार तलाक ले सकते हैं।

About the Author: Omdutt, State Head, UP
उत्तर प्रदेश के प्रमुख मीडिया आउटलेट गलगोटियाज टाइम्स के राज्य प्रमुख। उत्तर प्रदेश के सभी जिलों से समाचारों और घटनाक्रमों को कवर करने के लिए एक बड़े संवाददाता नेटवर्क का नेतृत्व करते हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों से मिलने वाली खबरों पर नजर रखते हुए उचित प्राथमिकता देने और समयबद्ध रिपोर्टिंग सुनिश्चित करते हैं।

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