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आईआईटीज (IIT) के छात्रों को नौकरी का टोटा क्यों हो गया

आईआईटीज (IIT) के छात्रों को नौकरी का टोटा क्यों हो गया

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Saturday, May 25, 2024

Updated On: Wednesday, February 5, 2025

IIT ke students ko nahi mil rahi naukari
IIT ke students ko nahi mil rahi naukari

आरटीआई से मिले एक जवाब से पता चला है कि इस वर्ष, 2024 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से स्नातक करने वाले करीब 38 प्रतिशत स्नातकों को अभी तक नौकरी नहीं मिली है। इन छात्रों को नौकरी दिलाने के लिए कई आईआईटी ने अपने संस्थान के पूर्व छात्रों से संपर्क किया है।

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Updated On: Wednesday, February 5, 2025

देश के किसी भी आईआईटी में दाखिला लेने का सपना अधिकांश छात्र देखते हैं। क्योंकि यहां दाखिला मतलब सुनहरे कैरियर की गारंटी। लेकिन एक आरटीआई का जवाब इन बच्चों के सपनों को तोड़ सकता है। आरटीआई से मिले एक जवाब से पता चला है कि इस वर्ष, 2024 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से स्नातक करने वाले करीब 38 प्रतिशत स्नातकों को अभी तक नौकरी नहीं मिली है। इन छात्रों को नौकरी दिलाने के लिए कई आईआईटी ने अपने संस्थान के पूर्व छात्रों से संपर्क किया है। ताकि बाकी बचे छात्रों को भी नौकरी मिल सके।

दिल्ली आईआईटी के एक पूर्व छात्र धीरज सिंह ने कुछ दिनों पहले आईआईटीज के प्लेसमेंट को लेकर एक आरटीआई डाला था। जिसका जवाब इन्होंने मिला। आरटीआई से मिले जवाब को धीरज सिंह ने अपने लिंक्डइन पर विस्तार से पोस्ट किया है। इसके मुताबिक आईआईटी से अब तक नौकरी न मिलने वाले छात्रों की संख्या पिछले तीन सालों में सबसे अधिक है। वर्ष 2021 में नौकरी नहीं मिलने वालों का प्रतिशत करीब 19 प्रतिशत था। वर्ष 2022 और 2023 में यह प्रतिशत क्रमशः 21 और 38 प्रतिशत हो गया है।

आईआईटी की बात करें तो देश भर में कुल 23 आईआईटी हैं। इनमें छात्रों की संख्या वर्ष 2022 में 17,900, 2023 में 20,000 और 2024 में 21,500 है। इस तरह से देख जाये तो पिछले कुछ वर्षों जैसे-जैसे आईआईटी की संख्या देश में बढ़ी है, उससे छात्रों की संख्या भी बढ़ रही है। साथ ही नौकरी नहीं पाने वाले छात्रों की भी संख्या बढ़ती जा रही है। इस वर्ष सभी 23 आईआईटी में 7,000 से अधिक छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट के जरिए अभी तक नौकरी नहीं मिल पाई है। हालांकि बताया जाता है कि कुछ आईआईटीज में जून तक प्लेसमेंट प्रोसेस चलता है। देखना यह होगा कि जून तक नौकरी नहीं पाने वाली की संख्या घटकर कहां तक पहुंचती है।

आरटीआई से ही पता चला है कि दो साल पहले ऐसे छात्रों की संख्या आधी से भी काम थी। संख्या में यह 3,400 के करीब थी। प्लेसमेंट में बैठने वाले छात्रों की संख्या 1.2 गुना बढ़ी है। वहीं दो साल में नौकरी नहीं पाने वाले छात्रों की संख्या दोगुनी होकर 2.3 गुना हो गई है। आरटीआई डालने वाले पूर्व छात्र धीरज सिंह बताते हैं कि बंबई आईआईटी, आईआईटी दिल्ली और बिट्स पिलानी ने प्लेसमेंट के लिए अपने पूर्व छात्रों से संपर्क किया है। वे आगे बताते हैं, ‘आईआईटी दिल्ली में करियर सेवा कार्यालय (ओसीएस) की ओर से अपने पूर्व छात्रों को संदेश भेजा गया है कि हम आपसे हमारे छात्रों की मदद करने पर विचार करने की अपील करते हैं। इस मामले में आपका समर्थन और प्रयास न केवल बहुत सराहनीय होगा बल्कि इन छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में भी काम करेगा क्योंकि वे अपनी पेशेवर यात्रा शुरू करते हैं।’

आखिर आईआईटी के छात्रों को प्लेसमेंट क्यों नहीं हो रहा है? इसका जवाब एक मीडिया रिपोर्ट में बिट्स ग्रुप के कुलपति वी रामगोपाल राव देते हैं। वे कहते हैं, ‘कई देशों में इस साल चुनाव हो रहे हैं, इसलिए कंपनियां इंतज़ार करो और देखो की नीति अपना रही हैं। इसके आलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और भाषा मॉडल के कारण हर जगह प्लेसमेंट में 20 से 30 प्रतिशत की कमी आई है। यह पहला साल है जब चैटजीपीटी और बड़े भाषा मॉडल ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू किया है। ये सभी वजहें हैं।’

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।
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