इस डिजिटल युग में साइबर क्राइम से कैसे बचें

इस डिजिटल युग में साइबर क्राइम से कैसे बचें

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Published On: Wednesday, April 17, 2024

Updated On: Saturday, October 19, 2024

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सरकारों और कंपनियों के तमाम जतन के बावजूद हाल के वर्षों में देश और दुनिया में साइबर क्राइम की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। अब इसमें डीपफेक भी शामिल हो गया है, जिसमें किसी की इमेज के साथ खिलवाड़ करके उनकी छवि खराब की जा रही है या उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा है। आइए जानते हैं कैसे बचें इसके खतरों से...

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Updated On: Saturday, October 19, 2024

हाल के वर्षों में साइबर क्राइम की ऐसी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, जिनमें लालच देने, वसूली में फंसाने और फेक कंटेंट वायरल कर अपराध किये जा रहे हैं। चेहरा बदलने वाले एप्लिकेशंस निश्शुल्क उपलब्ध हैं। बेहतरीन सुविधाओं वाले एप की सुविधा भी ली जा सकती है। इनसे डीपफेक वीडियो बनाने या तस्वीरों से छेड़छाड़ आसानी से की जा रही है। वाट्सएप और फेसबुक से यह आम लोगों तक पहुंच चुका है।

डीपफेक एक एआइ सुविधा है, जिससे किसी की भी शक्ल या शरीर का इस्तेमाल कर वीडियो बनाया जा सकता है। किसी की आवाज के पैटर्न को लेकर हूबहू आवाज भी बनाई जा सकती है। बच्चे को जवान और बूढ़ा दिखाने वाले एप से भी ऐसा किया जाता है।

ओपनएआइ के चैटजीपीटी-4 एपीआइ से यह सब किया जा सकता है। इनसे तस्वीर को मोशन वीडियो में बदला जा सकता है, चेहरे की भावभंगिमाएं भी वास्तविक दिखने लगती हैं। यह सब एआइ एल्गोरिदम का कमाल है, जिसमें इनकोड, डिकोड और प्रोसेस करने की क्षमता है।

दुनिया है परेशान डीपफेक से

डीपफेक की समस्या भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में है। एआइ की मदद से स्कैमर पैसा कमाने के कई तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। इनमें सेक्सटार्शन प्रमुख है। इसे लेकर अब साइबर सुरक्षा कंपनियां भी सतर्क हो गई हैं। यूएस फेडरल ब्यूरो आफ इनवेस्टिगेशन (एफबीआइ) ने एआइ टूल्स की मदद से बनने वाली नकली अश्लील तस्वीरों या वीडियो से होने वाली धोखाधड़ी में बढ़ोत्तरी को लेकर चेतावनी जारी की थी। एजेंसी के मुताबिक साइबर अपराधी इंटरनेट मीडिया से तस्वीर ढूंढते हैं और फिर उन्हें एआइ की मदद से एडिट कर अश्लील बना देते हैं। साइबर अपराध के लगभग 60 प्रतिशत मामले इसी से जुड़े हैं। इसके तीन चरण हैं- फोन पर दोस्ती का प्रस्ताव भेजना, फिर वाट्सएप पर अश्लील तस्वीर या वीडियो भेजना और फिर वीडियो काल। काल रिसीव होते ही सामने न्यूड लड़की की तस्वीर आती है और कुछ सेकंड में स्क्रीन रिकार्डर से वीडियो बन जाता है, फिर डराने-धमकाने और पैसे के वसूली के साथ-साथ बैंक खातों की सेंधमारी तक का खेल होता है।

ऐसे करें बचाव

  • सोशल मीडिया, डेटिंग एप्स और अन्य आनलाइन साइटों पर व्यक्तिगत फोटो, वीडियो और पहचान संबंधी जानकारी पोस्ट करते हुए सावधान रहें।
  • सीधे संदेश भेजते समय भी सतर्कता बरतें, अनजान लोगों के साथ वीडियो कालिंग, वाट्सएप कालिंग और वायस मैसेजिंग से बचना चाहिए।
  • अभिभावकों को बच्चों की आनलाइन गतिविधियों पर नजर रखना चाहिए।
  • ध्यान रखें कि एक बार सामग्री इंटरनेट पर साझा होने के बाद हटाना बेहद मुश्किल हो सकता है।

रखें ये सतर्कता

सतर्कता-1:
आमतौर पर असावधानी स्मार्टफोन पर इंटरनेट इस्तेमाल के दौरान होती है। सोशल मीडिया, ई-मेल, मैसेजिंग, ई-कामर्स या सर्विस की साइटों में यूजर आईडी, ई-मेल या मोबाइल नंबर और पासवर्ड सेव हो जाता है। साइबर अपराधियों की इस पर नजर होती है। एआई आधारित एप इनका आसानी से इस्तेमाल कर लेते हैं। हर बार सभी अकाउंट को लागआउट करें।

सतर्कता-2:
ई-मेल, वाट्सएप, फेसबुक के मैसेज में अनजान लिंक पर क्लिक करते ही स्कैमर्स की पहुंच आपकी निजी जानकारियों से लेकर सीधे बैंक खाते तक हो सकती है। ई-मेल को प्राइमरी, प्रमोशन, सोशल, अपडेट्स और फोरम का फिल्टरेशन करें। स्पैम सेक्शन में आए मैसेज को हटाते रहें।

सतर्कता-3:
अनजान वेबसाइट पर जाने से पहले उसके लिंक के https पर ध्यान दें। अगर इसमें केवल http या कुछ और है, तो उस वेबसाइट को ब्राउज करने से बचें। उसमें भूलकर भी लाग-इन ना करें। पर्सनल डिटेल तो साझा करने से हर हाल में बचें।

सतर्कता-4 :
कुछ एप फ्री सामान, गेम्स या लाटरी से इनाम जीतने का लालच देते हैं। ध्यान रखें इससे डिवाइस हैक भी हो सकता है। एप हमेशा प्ले स्टोर या एपल स्टोर से ही इंस्टाल करें। एप द्वारा मांगी जा रही परमिशन पर भी ध्यान दें। इनमें मैसेज रिकार्ड करने, मोबाइल नंबर या ई-मेल आइडी साझा करने की अनुमति हो सकती है।

सतर्कता-5 :
सार्वजनिक वाइ-फाइ के इस्तेमाल से फोन या लैपटाप हैक हो सकता है। कई बार लोग लागआउट करना भूल जाते हैं। इससे मैसेजिंग का दूसरे डिवाइस से लिंक बना रहता है

सतर्कता -6 :
किसी काल, वीडियो मैसेज से खरीदारी, डिजिटल पेमेंट, वेबसाइट विजिट से बचें। साथ ही अपने ब्राउजर को अपडेट रखें, इनमें गैरजरूरी चीजों को फिक्स करने की सुविधाएं होती हैं।

– शंभु सुमन

अरुण श्रीवास्तव पिछले करीब 34 वर्ष से हिंदी पत्रकारिता की मुख्य धारा में सक्रिय हैं। लगभग 20 वर्ष तक देश के नंबर वन हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण में फीचर संपादक के पद पर कार्य करने का अनुभव। इस दौरान जागरण के फीचर को जीवंत (Live) बनाने में प्रमुख योगदान दिया। दैनिक जागरण में करीब 15 वर्ष तक अनवरत करियर काउंसलर का कॉलम प्रकाशित। इसके तहत 30,000 से अधिक युवाओं को मार्गदर्शन। दैनिक जागरण से पहले सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल (हिंदी), चाणक्य सिविल सर्विसेज टुडे और कॉम्पिटिशन सक्सेस रिव्यू के संपादक रहे। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, करियर, मोटिवेशनल विषयों पर लेखन में रुचि। 1000 से अधिक आलेख प्रकाशित।

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