आम चुनाव में दिखेगा एनडीए का दम

Authored By: Tarun Vats

Published On: Friday, April 12, 2024

aam chunav me dikhega nda ka dam
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राजनीतिक रिक्तता की स्थिति ने संसदीय चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की राह को आसान बना दिया है। समूचा विपक्ष बिना किसी ठोस रणनीति और चुनावी प्रबंधन के ताल ठोंकने को आतुर दिख रहा है, जबकि भाजपा के पास 10 वर्षों में केंद्र सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं की उपलब्धियां हैं।

Authored By: Tarun Vats

Last Updated On: Thursday, June 20, 2024

पिछले दस वर्षों से भाजपा के नेतृत्व में एनडीए  गठबंधन सत्ता में है और बड़ी कुशलता एवं रणनीतिक साझेदारी के साथ अपने वजूद को सामर्थ्यवान बनाए हुए है। भाजपा केंद्र में सत्तारूढ़ होने के साथ ही राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, गोवा, असम, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी सत्ता में है। इससे भाजपा की ताकत बढ़ी है और लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी पर जनता का विश्वास भी बढ़ा है।

दरअसल, भाजपा ने 2014 में केंद्रीय सत्ता में आने के साथ ही पार्टी को संगठनात्मक रूप से एक कॉरपोरेट कंपनी की तरह केंद्रीकृत मॉडल में ढालकर बेहद ही अनुशासित और लक्ष्योन्मुख कर दिया है। विगत वर्षों में यह पार्टी स्थानीय निकाय चुनावों से लेकर राज्य विधायिका और संसदीय चुनावों तक परिणाम को अपने पक्ष में करने को लेकर जमीनी स्तर पर इतनी सजग, चौकस और सक्रिय नजर आती है जैसे मानो वह चुनाव ही उसके जनम-मरण का सवाल हो। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के स्थानीय एवं राज्य के चुनावों में बढ़-चढ़कर प्रचार-प्रसार में उतरने से न केवल मतदाताओं के मनोभाव बदलते हैं, बल्कि विश्व की सर्वाधिक कार्यकर्ताओं वाली इस पार्टी को जैसे संजीवनी मिल जाती है और फिर चुनाव परिणाम भी पार्टी के परिश्रम का फल देते हैं। वहीं, कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने जैसे भाजपा के चुनावी प्रबंधन से कुछ भी न सीखने और एंटी इनकंबेंसी फैक्टर से चुनाव परिणाम बदलने की आस में चुनावी वर्ष आने तक विश्राम की मुद्रा में रहते हैं। देश में पार्ट टाइम पालिटिक्स की इस नई धारणा ने विपक्ष की भूमिका एवं सक्रियता को गौण बना दिया है। इससे एक प्रकार से राजनीतिक रिक्ति भी पैदा हुई है और इसने संसदीय चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की राह को आसान बना दिया है। 

एनडीए के घटक दलों के प्रमुख नेता नीतीश कुमार, जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान, अजीत पवार, एकनाथ शिंदे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को स्वीकार कर चुके हैं। ऐसे में एनडीए की राह और आसान हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा बहुत मजबूती के साथ अपनी लोक कल्याणकारी उपलब्धियों और विकास कार्यों का प्रचार-प्रसार करके जनमत को प्रभावित कर रही है और लोकसभा के चुनावी मुकाबले को एकतरफा बनाने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी है। अबकी बार चार सौ पार का नारा भी इसी रणनीति का एक हिस्सा है। वैसे तो चार सौ पार की आकांक्षा को पूरा करना एनडीए के लिए भी एक सियासी चुनौती ही है, लेकिन इस तरह के नारे से भाजपा जहां एक ओर विपक्ष के मनोबल को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, वहीं अपने कार्यकर्ताओं में एक नया जोश भरने और चुनाव में जनमत को अपने पक्ष में करने की दिशा में चतुराई के साथ संदेश दे रही है।  

समूचा विपक्ष बिना किसी ठोस रणनीति और चुनावी प्रबंधन के ताल ठोंकने को आतुर दिख रहा है, जबकि भाजपा के पास 10 वर्षों में केंद्र सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं की उपलब्धियां हैं। मोदी सरकार की नीतियों के प्रभाव से देश में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से निजात मिली है, 31.31 करोड़ गरीब लोगों का बैंकों में जन-धन एकाउंट खुला, उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ लोगों को एलपीजी सिलेंडर मिला है, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4 करोड़ गरीब लोगों को पक्का घर मिला है और गरीबों के लिए दो करोड़ और आवास बनाने की सरकार की आकांक्षा है। केंद्र सरकार ने 55 करोड़ गरीबों को 5 लाख रुपये तक के नि:शुल्क इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड की सुविधा दी है, 13 करोड़ देशवासियों को पीने का शुद्ध पानी नलों से मिल रहा है और 80 करोड़ लोगों को नि:शुल्क अनाज की सुविधा मिलने से देश के जन सामान्य के मन में मोदी सरकार को लेकर सकारात्मक विचार है। 

मोदी सरकार के दौरान देश में 52 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बना है जो स्वयं में एक मिसाल है, 75 नए एयरपोर्ट बने हैं, 400 नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं और दर्जनों नए आईआईटी, अन्य उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा केंद्र खुले हैं। इस तरह देश भर में तेजी से हो रहे विकास कार्यों को देख-समझकर जनसामान्य के मन-मस्तिष्क में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व पर भरोसा मजबूत हुआ है। भाजपा ने अपनी विकास संबंधी उपलब्धियों और राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण के अनुसार काम किया है और देश के आर्थिक-सामाजिक विकास से लोगों को जोड़ने एवं देश से विदेश तक भारतीयों तक पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया है। अपने चुनावी घोषणापत्र के अधिकतर वादों को भाजपा पूरी करती नजर आ रही है और इसका लाभ भी उसे लोकसभा चुनाव में मिलना करीब-करीब तय ही है।



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