Special Coverage
क्या इतिहास इन फैसलों के लिए ही याद करेगी CJI न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को
क्या इतिहास इन फैसलों के लिए ही याद करेगी CJI न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को
Authored By: सतीश झा
Published On: Saturday, November 9, 2024
Updated On: Saturday, November 9, 2024
8 नवंबर 2024 को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल समाप्त हुआ। अपने अंतिम कार्य दिवस पर उन्होंने कृतज्ञता और विनम्रता के साथ अपनी न्यायिक यात्रा पर विचार साझा किए। इस दौरान वे भावुक भी नजर आए और कहा कि यदि मैंने कभी किसी को अदालत में ठेस पहुंचाई है, तो कृपया मुझे माफ कर दें।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने पिता, पूर्व CJI वाईवी चंद्रचूड़ का उल्लेख करते हुए कहा कि वे और उनके पिता भारत के इतिहास में एकमात्र पिता-पुत्र की जोड़ी हैं, जिन्होंने CJI के पद पर सेवा की। उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ 1978 से 1985 तक CJI रहे और सात साल तक इस पद पर बने रहे। वहीं, डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो साल से थोड़ा अधिक रहा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए, जो भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में मील का पत्थर बन गए।
निजता के अधिकार पर ऐतिहासिक फैसला
अगस्त 2017 में, सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीशों की बेंच ने फैसला सुनाया कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार है। इस फैसले में CJI चंद्रचूड़ ने निजता को स्वतंत्रता और गरिमा का अभिन्न हिस्सा बताया। इस निर्णय ने डेटा सुरक्षा, आधार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित कई महत्वपूर्ण फैसलों का मार्ग प्रशस्त किया।
समलैंगिकता पर फैसला
सितंबर 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 को आंशिक रूप से रद्द किया, जिससे सहमति से वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि समलैंगिकता पर प्रतिबंध निजता के अधिकार का उल्लंघन है और इसे मानव कामुकता के द्विआधारी दृष्टिकोण से नहीं देखा जा सकता।
इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक ठहराया
CJI चंद्रचूड़ के नेतृत्व में, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित किया, जो राजनीतिक दलों को गुमनाम दान की अनुमति देती थी। इस फैसले में कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होनी चाहिए, ताकि चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष रहे।
अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसला
नवंबर 2019 में, CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अयोध्या विवाद का फैसला सुनाया, जिसमें विवादित भूमि राम मंदिर बनाने के लिए हिंदू पक्ष को दी गई और मस्जिद निर्माण के लिए मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में वैकल्पिक स्थल प्रदान करने का निर्देश दिया। यह फैसला एक सदी से अधिक पुराने विवाद का समाधान था।
अविवाहित महिलाओं के लिए गर्भपात का अधिकार
CJI चंद्रचूड़ ने अविवाहित महिलाओं को 24 सप्ताह तक गर्भपात का अधिकार देने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिससे महिलाओं की प्रजनन स्वायत्तता को मान्यता मिली। उन्होंने कहा कि एक महिला की वैवाहिक स्थिति उसके गर्भावस्था से संबंधित अधिकारों को प्रभावित नहीं कर सकती।
इन महत्वपूर्ण फैसलों ने भारतीय न्यायिक प्रणाली में एक नई दिशा दी और समाज के विभिन्न वर्गों के अधिकारों की रक्षा की। CJI चंद्रचूड़ का कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका के लिए हमेशा यादगार रहेगा।