सिस्टम पर सवाल उठाता पुणे पोर्श कांड

सिस्टम पर सवाल उठाता पुणे पोर्श कांड

Authored By: रमेश यादव

Published On: Wednesday, May 22, 2024

Updated On: Saturday, June 29, 2024

systam par sawal uthata pune porsche kand
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शराब के नशे में पिता की दी हुई दो करोड़ की पोर्श कार से दो लोगों को रौंद देने के बाद 15 घंटे में ही वह अमीरजादा जिस तरह जमानत पर बाहर निकल आया, उससे तुलसीदास रचित रामचरित मानस की एक चौपाई का अंश समरथ को नहीं दोष गुसाईं पूर्णतः सत्य प्रतीत हो रही है।

Authored By: रमेश यादव

Updated On: Saturday, June 29, 2024

  • जुवेनाइल कोर्ट (किशोर न्याय बोर्ड) ने 300 शब्दों में निबंध लिखने और 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने की शर्त पर दे दी जमानत।
  • जुवेनाइल कोर्ट के इस फैसले पर हर कोई जता रहा हैरानी।
  • आरोपित किशोर की उम्र है 17 वर्ष आठ माह।
  • निर्भया मामले के अनुसार 16 साल से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को जघन्य अपराध के मामले में वयस्क माना जाना चाहिए।

पुणे में 17 साल 8 महीने के एक नाबालिग अमीरजादे ने शराब के नशे में अपनी तेज रफ्तार दो करोड़ की पोर्श कार से दो लोगों की जान ले ली। हादसे के बाद उसने भागने की कोशिश की लेकिन लोगों ने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। अगर वह भागने में कामयाब हो जाता तो बड़ी आसानी से हादसे की जिम्मेदारी उसके किसी कर्मचारी या ड्राइवर पर डाल दी जाती। हादसे में जान गंवाने वाले मध्य प्रदेश के रहने वाले अनीस और अश्विनी बाइक से कहीं जा रहे थे और दोनों इंजीनियर थे। हद तो यह कि 15 घंटे में ही वह अमीरजादा जिस तरह जमानत पर बाहर निकल आया उससे तुलसीदास रचित रामचरित मानस की एक चौपाई का अंश समरथ को नहीं दोष गुसाईं पूर्णतः सत्य प्रतीत हो रही है।

बड़े बाप की इस औलाद को जमानत देते हुए जुवेनाइल कोर्ट ने सजा मुकर्रर की 300 शब्दों में निबंध लिखने की और 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने का। कितनी हास्यास्पद बात है कि दो लोगों को असमय काल के गाल में समा देने के लिए जिसे सख्त सजा मिलनी चाहिए था वह हादसे के महज 15 घंटे में ही पूरे सिस्टम को मुंह चिढ़ाते हुए कोर्ट से जमानत लेकर बाहर आ गया। जमानत की शर्त भी ऐसी कि नया मोटर व्हीकल एक्ट सवालों के घेरे में आ गया है। यह घटना न्याय व्यवस्था व हमारे सिस्टम पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है।

प्रश्न है कि क्या इतनी ही सहजता से किसी गरीब को भी जमानत मिल जाती?

बिल्डर पिता विशाल अग्रवाल के रसूख, पैसे की खनक और सिस्टम में पैठ के दम पर नाबालिग लड़के को शराब के नशे में बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाते हुए दो लोगों को रौंदने के बाद 15 घंटे में ही जमानत मिल जाने के बाद मामले ने जब तूल पकड़ा तो पुलिस भी एक्शन में आई। पुलिस कस्टडी में आरोपी को पिज्जा खिलाने के आरोपों से छिछालेदर कराने के बाद बिल्डर पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है। साथ ही जहां नाबालिग ने दोस्तों के साथ बैठकर 48 हजार रुपये की शराब पी उस पब को सीज करने की कार्रवाई की है। साथ ही बार के मालिक व मैनेजर को भी गिरफ्तार कर लिया है।

जाहिर है आरोपी के बालिग होने में भले ही चार महीने कम है। लेकिन उसने पुणे के कोजी बार में अपने दोस्तों संग जमकर शराब पी और इसका बिल पूरे 48 हजार रुपये चुकाया। यह घटना परवरिश, पुलिस व पब संस्कृति की कॉकटेल का नतीजा है। पैसे की हनक व शराब की सनक से इस तरह के हादसे पहले भी होते रहे हैं और अनीस व अश्विनी जैसे निरपराध अपनी जान गंवाते रहे हैं। आखिर कब तक ऐसा होता रहेगा इस पर सिस्टम व समाज दोनों को गंभीरता से विचार करना होगा। आखिर क्यों पैसे कमाने की होड़ में हम अपने बच्चों को आधुनिक सुख सुविधाएं तो मुहैय्या करा देते हैं लेकिन उन्हें संस्कार नहीं दे पा रहे हैं। कितनी बड़ी विडंबना है कि नशे में धुत बेलगाम रफ्तार से दो लोगों की जान लेने वाला एक अमीरजादा सिर्फ निबंध लिखकर बच जाएगा और पीड़ित परिवार पूरी उम्र दर्द सहेगा।

नया मोटर व्हीकल एक्ट

2019 में मोदी सरकार ने नये मोटर वाहन संशोधन विधेयक को मंजूरी दी थी। इसमें ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही नाबालिग के वाहन चलाने पर भी सख्ती की गई है। इस नए मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक नाबालिग के वाहन चलाने पर गाड़ी का न केवल रजिस्ट्रेशन रद्द होगा बल्कि दोषी साबित होने पर पेरेंट्स को 25 हजार रुपये जुर्माना और तीन साल की कैद की सजा का भी प्रावधान है।

अब इसी आधार पर पुलिस ने आरोपियों पर आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और मोटर वाहन अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। यह किशोर न्याय अधिनियम की धारा 2 के तहत जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। छिछालेदार होने के बाद कोर्ट से किशोर पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने और उसे निगरानी गृह में भेजने की अनुमति मांगी है।

About the Author: रमेश यादव
रमेश यादव ने राष्ट्रीय और राजनीतिक समाचारों के क्षेत्र में व्यापक लेखन और विश्लेषण किया है। उनके लेख राजनीति के जटिल पहलुओं को सरलता और गहराई से समझाते हैं, जो पाठकों को वर्तमान राजनीतिक घटनाओं और नीतियों की बेहतर समझ प्रदान करते हैं। उनकी विशेषज्ञता सिर्फ सूचनाओं तक सीमित नहीं है; वे अपने अनुभव के आधार पर मार्गदर्शन और प्रासंगिक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करते हैं। रमेश यादव की लेखनी तथ्यों पर आधारित और निष्पक्ष होती है, जिससे उन्होंने पत्रकारिता और विश्लेषण के क्षेत्र में अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है।

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