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अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला-2024 : सब्जी विक्रेता गुरुग्राम की कृष्णा ने अचार से बनाई नई पहचान
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला-2024 : सब्जी विक्रेता गुरुग्राम की कृष्णा ने अचार से बनाई नई पहचान
Authored By: अंशु सिंह
Published On: Wednesday, November 27, 2024
Last Updated On: Wednesday, November 27, 2024
फुटपाथ पर सब्जी बेचकर परिवार का गुजारा करने वाली गुरुग्राम की कृष्णा यादव आज अचार का कारोबार करके 1000 से अधिक परिवारों का सहारा बन चुकी हैं। अपने बुलंद हौसलों से कृष्णा ने ये सफर तय किया है। दिल्ली में चल रहे 43वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में ‘श्री कृष्णा पिकल्स’ ब्रांड हरियाण की इन जीवट महिला की सफलता की कहानी बयां कर रहा है।
Authored By: अंशु सिंह
Last Updated On: Wednesday, November 27, 2024
दिल्ली में चल रहे अंतरराष्ट्री व्यापार मेले के हरियाणा मंडपम में राज्य की समृद्ध विरासत की झलक देखने को मिल रही है। प्रदेश के लघु और कुटीर उद्योग व उनसे जुड़े उत्पाद लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। यहीं गुरुग्राम की कृष्णा यादव के स्टॉल पर लोगों की काफी भीड़ देखी जा रही है। उनके अचार सभी को आकर्षित कर रहे हैं। ‘श्री कृष्णा पिकल्स’ की मालकिन कृष्णा यादव बताती हैं, ‘एक समय मैं फुटपाथ पर सब्जी बेचकर परिवार का गुजारा करती थी। सब्जी बच जाने पर नुकसान भी उठाना पड़ता था। मैंने उन बची हुई सब्जियों से अचार बनाना शुरू किया। सब्जी के साथ ही अचार भी बेचने लगी।‘
अचार समेत 152 उत्पादों का निर्माण
कृष्णा के अनुसार, एक दिन उन्हें पता चला कि पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और कृषि विज्ञान केंद्र उजवा, नई दिल्ली में अचार बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्होंने वहां जाने का फैसला लिया। बताती हैं, ‘मैंने अचार, मुरब्बे, जूस आदि बनाए की ट्रेनिंग ली। शुरू-शुरू में ग्राहक अचार खरीदने में आना-कानी करते थे, तो उन्हें अचार के सैंपल फ्री में देने शुरू किए। लोगों को अचार पसंद आने लगा। अचार की मांग बढ़ने से अब अकेले इतना अचार बनाना मुश्किल होने लगा, तो आस-पास की महिलाओं को भी इस काम में शामिल किया।‘ कृष्णा यादव (Krishna Yadav) के मुताबिक, उनका शुरू से फोकस शुद्धता और हाईजीन पर अधिक रहा। इस तरह, अचार से शुरू हुई कहानी आज 152 तरह के प्रोडक्ट्स जैसे मुरब्बे के साथ-साथ जूस, जेली, चटनी और जैम तक जा पहुंची है।
महज 500 रुपये में की थी शुरुआत
कृष्णा के बनाए सामान की मांग देखते ही देखते इतनी बढ़ गई कि उनका घर छोटा पड़ने लगा। तब उन्होंने गुरुग्राम में एक छोटी फैक्ट्री शुरू की। इस प्रकार, मात्र 500 रुपये से अचार के कारोबार की शुरुआत करने वाली कृष्णा आज गुरुग्राम के बजघेड़ा में अपनी मेहनत और लगन के दम पर चार फैक्ट्रियां शुरू कर चुकी हैं। इसके जरिये वे ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का काम कर रही हैं। वह बताती हैं, ‘मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं, लेकिन अपने बच्चों की पढ़ाई हर हाल में जारी रखी है। खाली समय में बच्चों से ही हिसाब- किताब करना सीखा है। फैक्ट्री में प्रोडक्शन का सारा काम खुद संभालती हूं। पति ऑफिस का काम और बेटे दुकान, मेले और प्रदर्शनी का काम देखते है।‘ सफलता के इस सफर की शुरुआत कृष्णा ने भले ही अकेले की हो, लेकिन आज वह 1000 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को अपने साथ जोड़ चुकी हैं।
(हिंदुस्तान समाचार के इनपुट्स के साथ)