सोशल मीडिया से बच्चों को दूर रखने की तैयारी, सख्त हुए ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के कई देश
Authored By: अंशु सिंह (वरिष्ठ लेखिका और पत्रकार)
Published On: Saturday, November 9, 2024
Updated On: Saturday, November 9, 2024
किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। 12 से 15 वर्ष की आयु के अमेरिकी किशोरों पर किए गए एक शोध के अनुसार, जो लोग हर दिन तीन घंटे से अधिक सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, उनमें अवसाद, चिन्ता एवं नकारात्मकता अपेक्षाकृत अधिक होती है। विडंबना यह है कि समस्या अमेरिका तक सीमित नहीं रह गई है। दुनिया के अन्य देश भी इस प्रकार की चुनौती का सामना कर रहे हैं। यही वजह है कि अब ऑस्ट्रेलिया में 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी है। इससे पहले, नॉर्वे, फ्रांस, चीन एवं अमेरिका के कुछ राज्यों में ऐसे कदम उठाए जा चुके हैं।
किशोरावस्था उम्र का वह पड़ाव है जब बच्चों में कई प्रकार के हॉरमोनल बदलाव होते हैं। वे दूसरों में भावनात्मक लगाव तलाशते हैं। सोशल मीडिया उन्हें एक ऐसा मंच देता है, जहां वे नए मित्र बनाते हैं। उनसे बेझिझक बातें करते हैं। जो बच्चे थोड़े शर्मीले प्रवृत्ति के होते हैं, वास्तविक जीवन में आमने-सामने बात-व्यवहार करने से संकोच करते हैं। ऐसे बच्चे सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं निर्बाध रूप से अभिव्यक्त कर पाते हैं। इस तरह आभासी दुनिया ही उनका समाज बन जाता है। वे अपना अधिक से अधिक समय वहां बिताने लगते हैं। इसके अलावा, कुछ क्षणों में पहचान कायम करने का यह सबसे सरल माध्यम है। किशोरों को लगता है कि वर्चुअल वर्ल्ड में सक्रिय रहने से एक सेलिब्रेटी स्टेटस मिल जाता है। बेशक सोशल मीडिया की पहुंच बढ़ने से कई सकारात्मक परिवर्तन आये हैं,लेकिन किसी भी चीज का बेजा इस्तेमाल विपरीत परिणाम देता है। साइबर एडिक्शन वही है।
ऑस्ट्रेलिया में किशोरों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर लग सकता प्रतिबंध
प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, अमेरिका में 81 फीसदी किशोर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं की अनुमानित संख्या 490 करोड़ है। हर दिन एक व्यक्ति औसत रूप से 145 मिनट सोशल मीडिया पर बिताता है। रिसर्च बताते हैं कि सोशल मीडिया के अधिक इस्तेमाल से चिन्ता, अवसाद, अकेलेपन एवं फोमो (फियर ऑफ मिसिंग आउट यानी किसी का साथ छूट जाने का डर) की समस्या बढ़ रही है। इससे किशोरों के समग्र स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी एल्बानीज देश के किशोरों को सोशल मीडिया से दूर रखने के लिए एक सख्त कदम उठाने की तैयारी में हैं। उनका मानना है कि सोशल मीडिया बच्चों को नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए अगले साल के अंत तक एक कानून लाया जा सकता है, जिसके लागू होने के बाद किशोर बच्चे इंस्टाग्राम एवं फेसबुक के साथ वीडियो शेयरिंग टिक-टॉक एवं एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं कर सकेंगे। इतना ही नहीं, आयु सत्यापन प्रणाली की तकनीक का परीक्षण भी किया जा रहा है, ताकि कहीं कोई भूल चूक न हो।
अभिभावकों की बढ़ रही है चिन्ता
कुछ सर्वेक्षणों से पता चलता है कि लगभग 97 फीसदी ऑस्ट्रेलियाई किशोर औसतन चार प्लेटफॉर्मों पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, जिससे वे दुनिया के सबसे अधिक जुड़े हुए युवाओं में से एक बन जाते हैं। युवा सेवा रीच आउट द्वारा इस साल कराए गए एक सर्वे के अनुसार, ऑस्ट्रेलियाई किशोरों के लगभग दो-तिहाई माता-पिता ने अपने बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग के बारे में चिन्ता जाहिर की थी। इस पर प्रधानमंत्री एंथनी ने भी सहमति जताते हुए कहा था, ‘माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे फोन से दूर रहें और फुटबॉल के मैदान में खेलें। मैं भी यही चाहता हूं।‘ अमेरिकी एवं ऑस्ट्रेलियाई अभिनेत्री निकोल कीडमैन ने तो अपने बच्चों को फोन एवं सोशल मीडिया दोनों से ही दूर रखा है। स्पैनिश अभिनेत्री पेनेलोपे क्रूज ने भी ऐसा ही किया है। वे सोशल मीडिया को बच्चों के लिए असुरक्षित मानती हैं। अमेरिकी अभिनेत्री जेनिफर गार्नर का कहना है कि जब तक वैज्ञानिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं हो जाती है कि सोशल मीडिया बच्चों की मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद है, तब तक वे अपने बच्चों को इसके इस्तेमाल की छूट नहीं दे सकती हैं।
नॉर्वे, फ्रांस एवं चीन भी हुए सख्त
आखिर सोशल मीडिया की क्यों लग जाती है लत? इस पर हावर्ड यूनिवर्सिटी का एक अध्ययन कहता है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स का इस्तेमाल करने से मस्तिष्क का वह हिस्सा सक्रिय हो जाता है, जो नशे की लत वाले पदार्थ लेने पर सक्रिय होता है। इससे दुनिया भर के किशोरों-युवाओं में सोशल मीडिया की आदत को लेकर चिन्ताएं बढ़ गई हैं। सभी अपने-अपने स्तर से प्रयास कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया से पहले नॉर्वे में बीते महीने एक कानून लागू हुआ है जिसके तहत 15 साल तक के बच्चे सोशल मीडिया का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। जुलाई 2023 में फ्रांस ने एक कानून पास किया था, जिसके अंतर्गत बच्चों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए अपने पैरेंट्स की अनुमति लेनी जरूरी है। अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में भी ऐसा ही कानून है। वहां 14 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया चलाने पर प्रतिबंध है। चीन की बात करें, तो बीते वर्ष 2023 में वहां इंटरनेट के इस्तेमाल पर सख्त नियम लागू किए गए थे। इसमें 16 साल के किशोरों को प्रतिदिन सिर्फ दो घंटे इंटरनेट का इस्तेमाल करने की छूट दी गई है। स्पेन ने भी जून महीने में एक कानून पारित किया था, जिसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया तक पहुंच पर प्रतिबंध लगाया गया था। सवाल है कि क्या भारत में भी इससे निपटने के लिए कुछ ऐसा किया जाएगा?
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