Annakoot Utsav 2025 : भगवान श्री कृष्ण के प्रति आभार प्रकट करने का दिन

Authored By: स्मिता

Published On: Wednesday, September 24, 2025

Last Updated On: Wednesday, September 24, 2025

Annakoot Utsav 2025 श्री कृष्ण को अर्पित अन्नकूट भोग.
Annakoot Utsav 2025 श्री कृष्ण को अर्पित अन्नकूट भोग.

Annakoot Utsav 2025 : कार्तिक माह में दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट उत्सव देश भर में मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा के भी नाम से जाना जाने वाला यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा को समर्पित है. अन्नकूट उत्सव या गोवर्धन पूजा देश भर में मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Wednesday, September 24, 2025

Annakoot Utsav 2025: दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट उत्सव देश भर में मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा के भी नाम से जाना जाने वाला यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा को समर्पित है. जीवित रहने के लिए हवा और पानी के लिए हमें अन्न भी चाहिए. हमें अन्न प्रकृति से प्रचूर मात्रा में मिल जाते हैं. प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने के लिए हम अन्नकूट या गोवर्धन पूजा करते हैं.

क्यों मनाया जाता है अन्नकूट उत्सव (Govardhan Puja or Annakoot Puja)

अन्नकूट पूजा भगवान कृष्ण के भक्तों के प्रति प्रेम और संरक्षण देने के भाव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए की जाती है. साथ ही यह प्रकृति की प्रचुरता के उत्सव का भी प्रतीक है. कथा है कि भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में मानवता, प्रकृति संरक्षण और ईश्वर के आशीर्वाद के प्रतीक स्वरुप गोवर्धन पर्वत को उठाकर वृंदावन के लोगों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था. श्रीकृष्ण की इस कृपा को यादकर आज भी लोग उन्हें धन्यवाद देने के लिए “भोजन का पर्वत” (अन्नकूट) तैयार करते हैं. इस भोजन को छप्पन भोग भी कहा जाता है. अपने लिए सुख- समृद्धि, शांति और प्रचुरता का आशीर्वाद मांगने के लिए भक्त गोवर्धन पर्वत पर अर्पित करते हैं.

कब है अन्नकूट पूजा (Annakoot Puja Date)

कार्तिक माह में दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट पूजा की जाती है. इस वर्ष यह तिथि 21 अक्टूबर को है.
गोवर्धन पर्वत का प्रतीक अन्न का पहाड़:  “अन्न पर्वत” गोवर्धन पर्वत का प्रतीक है. यह भगवान श्रीकृष्ण को प्रतीकात्मक रूप से अर्पित किया जाता है. यह प्रचुरता, देवता के प्रति समर्पण और प्रकृति की उदारता के लिए आभार व्यक्त करने का माध्यम है.

अन्नकूट पूजा उस पौराणिक घटना का स्मरण कराती है जब कृष्ण ने ग्रामीणों को मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए पवित्र गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठा लिया था. उन्होंने भगवान इंद्र के प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए ऐसा किया था.

अन्नकूट पूजा की महत्ता (Annakoot Puja Significance)

श्रीकृष्ण के प्रति उनकी दिव्य सुरक्षा और प्रकृति के आशीर्वाद को जीवनभर बनाए रखने के लिए यह पूजा की जाती है. अन्न का ईश्वर को अर्पण लोगों को याद दिलाता है कि वे प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता पर अभिमान को हावी न होने दें. सुरक्षा के लिए ईश्वर की शक्ति में अपना विश्वास रखें.

एकता और पर्यावरण प्रेम का संदेश (Annakoot Puja Importance)

  • यह त्योहार लोगों के बीच एकता को प्रोत्साहित करता है. इस अवसर पर अलग-अलग परिवार साथ मिलकर विभिन्न व्यंजन बनाते हैं. एक-दूसरे को प्रसाद वितरित करते हैं.
  • यह पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति गहरा सम्मान पैदा करता है. यह इस विश्वास को संबल देता है कि प्रकृति के सभी तत्व पूजनीय हैं.
  • भक्त समृद्धि, प्रचुरता और भौतिक कष्टों से मुक्ति का आशीर्वाद पाने के लिए इसमें भाग लेते हैं. इस प्रार्थना के साथ यह उत्सव मनाया जाता है कि लोगों को कभी भी भोजन की कमी का सामना नहीं करना पड़े.

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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