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Bhai Dooj 2025: जानें शुभ मुहूर्त और राज़ जो बढ़ाए भाई-बहन का प्यार, भाई दूज पर करें ये मंत्र और देखें चमत्कार
Authored By: Nishant Singh
Published On: Tuesday, October 21, 2025
Last Updated On: Tuesday, October 21, 2025
Bhai Dooj 2025: भाई दूज, भाई-बहन के अटूट स्नेह और विश्वास का प्रतीक पर्व, इस वर्ष 23 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा. यह दिन आयुष्मान और सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ रहा है, जिससे पूजा और उपहार विशेष रूप से फलदायी माने जाते हैं. बहनें भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, वहीं भाई उपहार देकर स्नेह जताते हैं. जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और आसान उपाय, जिससे इस भाई दूज पर रिश्तों में प्रेम, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो.
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Tuesday, October 21, 2025
Bhai Dooj 2025: भाई दूज, भाई-बहन के अटूट स्नेह, विश्वास और पवित्र रिश्ते का प्रतीक पर्व है. यह पर्व हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष 2025 में भाई दूज 23 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा. इसका आरंभ 22 अक्टूबर की रात 8:17 बजे से हो जाएगा और यह 23 अक्टूबर की रात्रि 10:47 बजे तक रहेगा. इस दिन को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है.
भाई दूज का महत्व केवल पारंपरिक रीति-रिवाज में ही नहीं, बल्कि रिश्तों में प्रेम और विश्वास बढ़ाने में भी है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी आयु और सुखमय जीवन की कामना करती हैं, और भाई बहनों को उपहार देकर उनके प्रति अपनी सुरक्षा और स्नेह का प्रतीक जताते हैं.
शुभ योग और मुहूर्त: आयुष्मान और सर्वार्थ सिद्धि योग
इस वर्ष भाई दूज आयुष्मान योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के शुभ संयोग में पड़ रहा है. ज्योतिष के अनुसार, इस योग में किए गए धार्मिक कार्य विशेष फलदायी होते हैं. यह संयोजन भाई की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
भाई दूज की पूजा का अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:15 से 1:30 बजे तक रहेगा. इसके अलावा, शाम 5 बजे से 6 बजे तक का समय भी पूजन और तिलक के लिए उत्तम माना गया है. इस अवधि में पूजा-पाठ करने से विशेष शुभ परिणाम की प्राप्ति होती है.
भाई दूज की पूजा विधि: तिलक और दीर्घायु की कामना
भाई दूज पर बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए विशेष पूजा करती हैं. पूजा के दौरान निम्न उपाय अपनाना लाभकारी माना जाता है:
- तीन मुठ्ठी साबुत मूंग, एक इलायची, एक लौंग, पांच गोमती चक्र और थोड़ी दूर्वा हरे रंग के रूमाल या वस्त्र में बांधकर तीन गांठ लगाएं.
- इसे भाई के ऊपर से सात बार उसारने के बाद घर के ईशान कोण में रखें.
- नीचे दिए मंत्र का 11 या 21 बार जाप करें:
“गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, ज्यों-ज्यों गंगा यमुना नीर बहे, मेरे भाई की आयु बढ़े, फले-फूले.”
- पूजा के बाद पोटली को पीपल के पेड़ में डाल दें.
- शाम को यमराज के नाम का चौमुखा दीपक घर की दहलीज पर जलाना शुभ रहता है. यह भाई के जीवन में स्थिरता और बाधामुक्त प्रगति का प्रतीक है.
उपहार और सुझाव
भाई दूज पर भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए उपहार देना शुभ माना जाता है. राशियों के अनुसार उपहार चुनने से भाई-बहन के बीच प्रेम, विश्वास और सौभाग्य बढ़ता है. उदाहरण के लिए:
- धन राशियों के लिए सोने या चांदी का कोई छोटा गहना.
- स्वास्थ्य के लिए हरी या पीली चीज़ें, जैसे वस्त्र या सजावट.
- सफलता और करियर के लिए पौधे या धार्मिक प्रतीक.
उपहार देने से भाई-बहन के बीच सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार होता है.
धन और सकारात्मक ऊर्जा के लिए उपाय
भाई दूज के दिन घर में समृद्धि और शुभता बढ़ाने के लिए कुछ विशेष उपाय भी किए जा सकते हैं:
- पाँच गोमती चक्र पर केसर और चंदन से ‘श्रीं ह्रीं श्री’ लिखकर पूजा करें और इसे धन रखने की जगह स्थापित करें.
- नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के लिए फिटकरी को भाई के सिर से पैर तक सात बार उल्टी दिशा में वार कर चौराहे या चूल्हे की आग में डालें. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि बढ़ती है.
पौराणिक कथा: यमुना और यमराज
भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य की पुत्री यमुना ने अपने भाई यमराज को इस दिन भोजन कराया और तिलक लगाकर दीर्घायु का आशीर्वाद दिया. तभी से यह पर्व भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक बन गया.
भाई दूज न केवल एक पर्व है, बल्कि यह भाई-बहन के रिश्तों में विश्वास, प्रेम और सकारात्मक ऊर्जा का सशक्त प्रतीक है. इस वर्ष 2025 में इसे आयुष्मान और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाने से इस पर्व की शुभता और भी बढ़ जाएगी.
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