Chhath Puja 2024 : 5 नवंबर को कद्दू भात से शुरू हो जाएगा महापर्व छठ, 8 नवंबर को होगा पारण
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, October 24, 2024
Updated On: Thursday, October 24, 2024
छठ पूजा कार्तिक महीने में मनाया जाने वाला 4 दिवसीय उपवास/व्रत है, जो शुक्ल चतुर्थी से शुरू होता है और शुक्ल सप्तमी को समाप्त होता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण दिन शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की रात होती है।
पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त करने और संपूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए छठ पूजा की जाती है। उज्जैन के प्रसिद्ध वेद मर्मज्ञ आचार्य दुर्गेश तारे के अनुसार, कार्तिक शुक्ल षष्ठी (छठे दिन) छठ मनाया जाता है। कार्तिक महीने की शुक्ल षष्ठी तिथि 07 नवंबर है। षष्ठी तिथि 12:41 पूर्वाह्न से शुरू होकर 08 नवंबर को 12:35 पूर्वाह्न तक (Chhath Puja 2024) रहेगी।
शुक्ल चतुर्थी से शुरुआत (Shukla Chaturthi)
छठ पूजा कार्तिक महीने में मनाया जाने वाला 4 दिवसीय उपवास/व्रत है, जो शुक्ल चतुर्थी से शुरू होता है और शुक्ल सप्तमी को समाप्त होता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण दिन शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की रात होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर के मध्य में पड़ता है।
किस दिन कौन-सी है पूजा
- नहाय खाय (Nahay-Khay 2024) : 5 नवंबर, मंगलवार, कार्तिक शुक्ल चतुर्थी
- लोहंडा या खरना (Lohanda or Kharna 2024) : 6 नवंबर, बुधवार, कार्तिक शुक्ल पंचमी
- संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya 2024) : 7 नवंबर, गुरुवार, कार्तिक शुक्ल षष्ठी
- सूर्योदय अर्घ्य (Suryodayaor Usha Arghya 2024) : 8 नवंबर, शुक्रवार, कार्तिक शुक्ल सप्तमी
4 दिनों तक चलने वाला उत्सव (Suryopasna)
छठ पूजा पूरे भारत में उत्साह और पूर्ण भक्ति भाव के साथ मनाई जाती है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में मुख्य तौर से मनाई जाती है। अब मध्य प्रदेश, गुजरात, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, मुंबई और गोवा राज्यों में भी छठ पर्व को सूर्य के प्रति संपूर्ण समर्पण प्रकट करने के भाव के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा 4 दिनों तक चलने वाला उत्सव है। हर दिन का अपना महत्व और अनुष्ठान होता है। पहले दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठते हैं और गंगा में पवित्र स्नान करते हैं। घर को अच्छी तरह से साफ किया जाता है। इस अवसर पर प्याज-लहसुन और मांसाहार जैसे तामसिक भोजन को पूरी तरह से निषिद्ध कर दिया जाता है।
खरना में गुड़ और केले का प्रसाद (Kharna Prasad)
नहाय खाय के दिन पवित्र भाव के साथ तैयार भोजन ‘कद्दू भात’ खाते हैं। यहां कद्दू कहने का आशय लौकी से है। दूसरे दिन यानी पंचमी को भक्त दिन के समय उपवास रखते हैं। शाम के समय धरती माता की पूजा की जाती है और उपवास तोड़ा जाता है। इस अवसर पर गुड़ और केले का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस भोजन के बाद भक्त बिना पानी की एक बूंद पिए 36 घंटे का कठोर उपवास करते हैं। तीसरे दिन सूर्यास्त के समय नदी तट पर सूर्य देव को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर प्रसाद खाकर व्रत तोड़ा जाता (पारण) है।
छठ पूजा का प्रसाद (Chhath Puja Prasad)
छठ पूजा के दौरान खरना के दिन भगवान सूर्य और छठी मैया को शुभ भोग प्रसाद खीर चढ़ाया जाता है। इसे चावल, दूध, गुड़ और सूखे मेवे से बनाया जाता है। संध्या अर्घ्य और सूर्योदय अर्घ्य में पारंपरिक खाद्य पदार्थों में ठेकुआ (गेहूं के आटे, गुड़ और घी से तैयार), फल, सब्जी और चना भी प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है। सूर्य देव को फल (Chhath Puja Fruits) में केला, नारियल, पानी फल सिंघाड़ा, सुथनी, गन्ना, डाभ नींबू चढ़ाया जाता है।
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