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Mahanavmi 2025: दुर्गा मां के नाम से महानवमी पर कैसे करें हवन?
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, October 1, 2025
Last Updated On: Wednesday, October 1, 2025
Mahanavmi 2025 Hawan: दुर्गा सप्तशती के अनुसार, दुर्गा न केवल दैवीय गुणों का पोषण करती हैं, बल्कि आसुरी गुणों का भी नाश करती हैं. माता के रूप में मां दुर्गा दुष्टों का नाश कर अपने भक्तों की रक्षा करती हैं. महानवमी के अवसर पर दुर्गा मां के नाम से हवन करें.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Wednesday, October 1, 2025
Mahanavmi 2025: दुर्गा सप्तशती में वर्णन है कि देवी दुर्गा मूल प्रकृति का स्वरूप हैं, जिनमें समस्त शक्तियां समाहित हैं. वे आदिशक्ति, सर्वव्यापक स्वरूप और मातृत्व की साक्षात् प्रतिमूर्ति हैं. समस्त नारीत्व की प्रतिमूर्ति होने के कारण उनमें मातृत्व, स्नेह, दया, करुणा, कोमलता और सहनशीलता विद्यमान है. वे परम सत्ता भी हैं, इसीलिए वे न केवल दैवीय गुणों का पोषण करती हैं, बल्कि आसुरी गुणों का भी नाश करती हैं. माता के रूप में वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और दुष्टों का नाश करती हैं. दुर्गा मां के नाम से महानवमी (Mahanavmi) पर करें हवन.
बड़े से बड़े संकट का निवारण करती हैं दुर्गा
दुर्गा सप्तशती में कहा गया है:
दैत्यानां देहानाशय भक्तानां अभयाय च। धर्वन्त्ययुधानित्थं देवानां च हिताय वै.
(देवीकवच-15)
दैत्यों का नाश करने, भक्तों को निर्भय बनाने और देवताओं के कल्याण के लिए, देवी अनेक अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं. वे विशिष्ट कार्यों के अनुसार रूप भी धारण करती हैं. मान्यता है कि जगतजननी देवताओं के बड़े से बड़े संकटों का भी निवारण करती हैं.
रोग, कष्ट और अभावों को दूर करती हैं देवी
ब्रह्माजी कहते हैं-परपरणां परमा त्वमेव परमेश्वरी।
वच्च किन्त क्वचिद बस्तु सदसद वाखिलतिमके.
(सप्तशती 1.82)
पुण्यात्माओं के घर लक्ष्मी और पापियों के घर दरिद्रा के रूप में जाती हैं – ‘या श्री स्वयं सुकृतिनां भवनेश्वालक्ष्मि पापात्मनम्..’ (4.5). उस परम दयालु मां का स्मरण करने से वह भक्तों के सभी रोग, कष्ट और अभावों को दूर कर उन्हें स्वस्थ, निर्भय, सुखी और आनंदमय बना देती है –
दुर्गा स्मृता हरसि भीतिमशेष-जन्तो
स्वस्याः स्मृता मतिम्मतीव शुभं ददासि.
दान दारिद्रय-दुःख-भयभीत नारि सर्व-शुभकर्मं करणाय सदस्स त्रचित्ता.(1.47)
इत्यां यदा यदा हिन्दी दानवोत्तर भविष्यति.
करती हैं दुष्टों का विनाश
उन्होंने यह भी वचन दिया कि ‘जब-जब असुरों, दानवों और दैत्यों का उत्पात बढ़ेगा, मैं उनका विनाश करती रहूंगी’ – तदा तदावत्रियाणां करिष्याम्यहि-संक्षयम्। (11.54-55) ‘सप्तशती’ जैसे ग्रंथ हमारी शक्ति हैं, जो श्रद्धा को बढ़ाते हैं. इसीलिए इसे सभी स्तोत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है.
कन्याओं में देवी के नौ रूपों की पहचान
हमारे ऋषियों ने किशोरावस्था से पूर्व अर्थात् दो वर्ष से दस वर्ष की आयु तक की कन्याओं में देवी के नौ रूपों की पहचान की है. इन्हें क्रमशः कुमारी, त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, कालिका, चंडिका, शाम्भवी, दुर्गा और सुभद्रा इन नौ नामों से विभूषित किया गया है. उन्होंने कुमारी पूजन को समस्त तिथियों और करोड़ों यज्ञों का फल देने वाला बताया है.
इन मंत्रों से महानवमी पर हवन करें
आज महाअष्टमी व्रत है. नवमी आज ही के दिन दोपहर 1:45 बजे शुरू होकर 1 अक्टूबर को दोपहर 2:35 बजे तक रहेगी. बुधवार को दोपहर 2:35 बजे तक हवन कर लें. तंत्र शास्त्र रुद्रयामल के अनुसार, हवन प्रक्रिया काफी जटिल है. इसमें एक विशिष्ट आकार का कुंड बनायें. साथ ही पंच-भूसंस्कार, ब्रह्मा की स्थापना, ग्रहों और देवताओं को आहुति देना और उसके बाद पंचवारुणी हवन करें. ज्योतिषशास्त्री पंडित अनिल शास्त्री के अनुसार, नवरात्र में हवन आमतौर पर नवमी (नौवें दिन) किया जाता है. सबसे पहले अग्नि प्रज्वलित करें. “ॐ रां वाहिचैतन्याय अग्निये नमः” मंत्र के साथ अग्नि में अक्षत, रोली चढ़ाकर आह्वान और पूजा करें. एक चम्मच कुंड के उत्तर-पूर्व कोने में घी डालें और “ॐ प्रजापतये स्वाहा” का जाप करें. इसे दक्षिण-पश्चिम कोने में छोड़ते हुए कहें- ॐ इन्द्राय स्वाहा.
हवन की पूर्णता
तीसरी बार उत्तर में एक बार घी डालें और कहें- ॐ अग्नये स्वाहा. चौथी बार दक्षिण दिशा में छोड़ते हुए उन्होंने कहा- ॐ सोमाय स्वाहा. फिर से अग्निकुंड के बीच में एक-एक चम्मच घी इन मंत्रों के साथ डालें: ॐ भुवः स्वाहा, ॐ भुवः स्वाय स्वाहा. हवन सामग्री को अंगूठे के साथ मध्यमा और तर्जनी उंगली से उठाकर अग्नि में डालें, और मंत्र का जाप करते रहें – ‘ॐ सूर्यादि नवग्रह-मंडलस्थ- देवताभ्यः स्वाहा, ॐ षोडश मातृकाभ्यः स्वाहा, ॐ आवहिताभ्यः स्थमताभ्यः विराजितभ्यः सर्वाभ्यः देवताभ्यः स्वाहा.’ अंतिम आहुति में सूखा चना, सूखा नारियल या सुपारी का प्रयोग करना चाहिए, हवन पूर्ण माना जाता है.