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नवरात्र के अवसर पर जानें यज्ञ कर्म का सही अर्थ : श्री श्री रविशंकर
Authored By: स्मिता
Published On: Tuesday, September 30, 2025
Last Updated On: Tuesday, September 30, 2025
आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के अनुसार, नवरात्र के अवसर पर होने वाली पूजा-प्रार्थना और यज्ञ हमारे जीवन, कर्मों और मन को शुद्ध करता है. यज्ञ कर्म न केवल वातावरण को शुद्ध करता है, बल्कि मन को भी शुद्ध करता है. यह व्यक्ति के कर्मों को शुद्ध करता है. नवमी पूजा के अवसर पर अकसर यज्ञ और होम किया जाता है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Tuesday, September 30, 2025
Navratri Yagya Ritual: आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने बताया है कि नवरात्र में जब आप दैवीय गुणों का सम्मान करते हैं और कुछ अच्छे कर्म करते हैं, जप करते हैं और गाते हैं, तो यह न सोचें कि आप ये सब केवल अपने लाभ के लिए कर रहे हैं. ये सभी शुभ कर्म सूक्ष्म वातावरण में कंपन उत्पन्न करते हैं. देवदूत इनसे प्रसन्न होते हैं. नवरात्र के दौरान किया जाने वाला यज्ञ कर्म न तो आपको सीमित करता है और न ही आपको बांधता है. यह एक ऐसा कर्म है जो सदैव आपका और दूसरों का कल्याण करता है.
पूर्ण प्रेम के साथ ध्यान, जप और गायन
जब भी आप पूर्ण प्रेम और आनंद के साथ ध्यान, जप और गायन करते हैं, तो आप देवदूतों का पोषण कर रहे होते हैं. आपके जीवन में भक्ति के उन सभी क्षणों ने सूक्ष्म ब्रह्मांड को अत्यधिक समृद्ध किया है. इन शुभ कर्मों ने अस्तित्व के स्तर पर प्रचुरता लाई है. उन्होंने अस्तित्व के स्तर को पोषित किया है. बदले में आपको अनेक दुर्लभ आशीर्वाद प्राप्त होते हैं.
देव पूजा, संगति और दान है यज्ञ का कर्म
देव पूजा, संगति और दान—ये तीन पहलू किसी भी यज्ञ के केंद्र में होते हैं. देव पूजा का अर्थ है दिव्यता का सम्मान करना, अपने आस-पास के सूक्ष्म अस्तित्व का सम्मान करना. संगति का अर्थ है सभी को एक साथ लाना, सभी को साथ लेकर चलना. इसका एक और अर्थ भी है: अपनी विभिन्न शक्तियों, जैसे शरीर, मन और श्वास के बीच सामंजस्य स्थापित करना. यह संगति भी कहलाता है. जब आप दान करते हैं, तो जिस आत्मा का दान दिया जाता है, उसे भौतिक स्तर पर सहायता मिलती है और उसके भीतर उत्पन्न संतुष्टि और प्रसन्नता आपके लिए सकारात्मक तरंगें लाती है.
नवरात्र में यज्ञ की सरल विधि (Yagya in Navratra)
नवमी के अवसर पर यदि आप यज्ञ और होम करना चाहते हैं, तो इन अनुष्ठानों का पालन कर सकते हैं.
घर की पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके यज्ञ करना सबसे शुभ माना जाता है. चबूतरे या वेदी पर एक साफ कपड़ा बिछायें और उस पर देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. हवन कुंड में थोड़ा गाय का घी छिड़कें. आम की लकड़ी या सूखे आम के पत्तों से अग्नि प्रज्वलित करें. हवन सामग्री जैसे कि तिल, चावल, घी और सुगंधित जड़ी-बूटियां एक साफ बर्तन में रखें. अपने दाहिने हाथ में जल लें. अपने संकल्प में कहें, “मैं यह यज्ञ स्वास्थ्य, शांति, समृद्धि और देवी की कृपा के लिए कर रहा हूं.” फिर देवी मंत्र “ॐ दुं दुर्गाये नमः” या गायत्री मंत्र का जाप करें. प्रत्येक जाप के साथ अपने दाहिने हाथ से अग्नि में हवन सामग्री अर्पित करें. अंत में घी, गुड़ और नारियल की आहुति दें. परिवार के सभी सदस्य मिलकर प्रार्थना करें.
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