Papankusha Ekadashi 2025: व्रत रखने से मिल सकती है जाने-अनजाने पापों से मुक्ति

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, September 26, 2025

Last Updated On: Friday, September 26, 2025

Papankusha Ekadashi 2025 व्रत और पूजा से पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक लाभ.
Papankusha Ekadashi 2025 व्रत और पूजा से पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक लाभ.

Papankusha Ekadashi 2025: आश्विन माह में पितृ पक्ष, विश्वकर्मा पूजा, नवरात्र और एकादशी सहित कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाये जाते हैं. शुक्ल पक्ष की एकादशी पापांकुशा एकादशी कहलाती है. माना जाता है कि पापांकुशा एकादशी व्रत रखने और लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है. अनजाने में किए गए पापों [...]

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Friday, September 26, 2025

Papankusha Ekadashi 2025: आश्विन माह में पितृ पक्ष, विश्वकर्मा पूजा, नवरात्र और एकादशी सहित कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाये जाते हैं. शुक्ल पक्ष की एकादशी पापांकुशा एकादशी कहलाती है. माना जाता है कि पापांकुशा एकादशी व्रत रखने और लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है. अनजाने में किए गए पापों से भी भक्तगण को छुटकारा (Papankusha Ekadashi) मिल सकता है.

पापांकुशा एकादशी व्रत से क्या मिल सकता है लाभ (Papankusha Ekadashi Benefits)

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी विशेष होती है. पापांकुशा एकादशी के दिन व्रत रखने से पाप से मुक्ति मिलने के अलावा घर में सुख-समृद्धि आती है. इस एकादशी के दिन मंदिर या गरीबों को अन्न, धन और अन्य वस्तुएं दान करें. धार्मिक मान्यता के अनुसार, द्वादशी तिथि पर दान करने से धन लाभ और व्रत का पूरा फल मिलने की संभावना बनती है.
इस एकादशी पर व्रत रखने और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने, व्रत कथा पढ़ने, सात्विक भोजन करने और दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.

कब है पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi Date & Timing)

हिंदू पंचांग के अनुसार, पापांकुशा एकादशी 2 अक्टूबर को शाम 7:10 बजे शुरू होगी. यह तिथि अगले दिन 3 अक्टूबर को शाम 6:32 बजे समाप्त होगी. उअदय तिथि की मान्यता होने के कारण यह व्रत 3 अक्टूबर को रखा जाएगा और 4 अक्टूबर को तोड़ा जाएगा. व्रत तोड़ने का शुभ समय सुबह 6:16 बजे से 8:37 बजे तक है. इस दौरान किसी भी समय व्रत तोड़ा जा सकता है.

पापांकुशा एकादशी की महत्ता (Spiritual Significance of Papankusha Ekadashi)

पद्म पुराण और भागवत पुराण के अनुसार, इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के सभी ज्ञात-अज्ञात पाप नष्ट हो जाते हैं. भगवान विष्णु की कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है, जो आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति की कामना रखते हैं.

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha)

पापांकुशा एकादशी की कथा के अनुसार, क्रोधन नामक एक क्रूर शिकारी अपने जीवन के अंतिम चरण में मोक्ष की कामना करने लगा. असल में जैसे-जैसे जीवन समाप्त होने को आया, क्रोधन भयभीत हो गया. उसने अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए बुद्धिमान महर्षि अंगिरा की शरण लेने का निश्चय किया. वह महर्षि अंगिरा के पास गया. ऋषि ने उसे पापांकुशा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी. व्रत एवं अनुष्ठान करने से क्रोधन अपने पापों से मुक्त हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई. आश्विन शुक्ल एकादशी (आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी) को यह व्रत रखने से भक्तों को अपने पिछले पापों का प्रायश्चित करने और भगवान विष्णु के धाम की प्राप्ति में सहायता मिलती है.

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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