Shradh Pitru Paksha 2025 : पुराणों में मिलता है श्राद्ध कर्म का उल्लेख
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, August 18, 2025
Last Updated On: Monday, August 18, 2025
श्राद्ध पितृ पक्ष की सबसे अधिक मां सीता के हाथों अयोध्या के राजा दशरथ जी के तर्पण लेने की कथा प्रचलित है. इस कथा के अलावा, पुराणों और अन्य धर्मशास्त्रों में भी श्राद्ध कर्म के बारे में बताया गया है.
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Last Updated On: Monday, August 18, 2025
श्राद्ध पक्ष को पितृ पक्ष भी कहा जाता है. (Shradh Pitru Paksha 2025) हिंदू धर्म में यह एक महत्वपूर्ण समय है, जो पितरों के प्रति आदर-सम्मान प्रकट करने और तर्पण के लिए समर्पित है. इस अवसर पर किया गया दान-पुण्य फलदायी माना जाता है. आमतौर पर यह भाद्रपद माह की पूर्णिमा के बाद शुरू होता है और आश्विन माह की अमावस्या तक चलता है. सबसे पहले जानते हैं इस वर्ष कब है श्राद्ध.
कब है श्राद्ध (Shradh Pitru Paksha 2025)
श्राद्ध पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से होती है. इसका समापन आश्विन अमावस्या को होता है, जिसे महालय अमावस्या (Mahalaya Amavasya 2025) कहा जाता है. इस वर्ष पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) 7 सितंबर 2025 से शुरू होकर 21 सितंबर 2025 तक चलेगा.
पुराणों में श्राद्ध का उल्लेख (Shradh in Puran)
पुराणों और शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है. अकसर हम मां सीता द्वारा अयोध्या के राजा और धर्म पिता दशरथ जी को फल्गु नदी तट पर तर्पण अर्पित करने की कथा सुनते हैं. इसके अलावा, पुराणों में भी तर्पण और श्राद्ध का उल्लेख है. दरअसल, श्राद्ध पक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध कर्मों से पूर्वज तृप्त होते हैं. परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद प्राप्त होता है.
इन शास्रों पुराणों में है श्राद्ध कर्म का उल्लेख (Shradh in Puran)
- गरुड़ पुराण (Garud Puran) – गरुड़ पुराण में मृत्यु, श्राद्ध कर्म और पितृ तर्पण के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है. इस ग्रंथ में कहा गया है कि श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराने और पितरों को अर्पित किया गया भोजन, जल और तर्पण पितरों तक पहुंचता है. गरुड़ पुराण के अनुसार, श्राद्ध कर्म करने से पूर्वज तृप्त होते हैं. उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इससे वे पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाते हैं.
- विष्णु पुराण (Vishnu Puran) – विष्णु पुराण में श्राद्ध कर्म और तर्पण की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है. बताया गया है कि पितृ पक्ष में विधि-विधान से श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है. संतान को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
इस पुराण में पितरों को जल अर्पित करने, विशेष मंत्रों का जाप करने और पितरों को प्रसन्न करने के लिए दान देने का भी महत्व बताया गया है. - महाभारत (Mahabharat) – महाभारत के अनुशासन पर्व में श्राद्ध के महत्व का उल्लेख किया गया है. इसके अनुसार, श्राद्ध करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं. उसे अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
महाभारत में कहा गया है कि श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को जीवन में दीर्घायु, समृद्धि और संतुष्टि प्राप्त होती है. - मनुस्मृति (Manusmriti) – मनुस्मृति में भी श्राद्ध कर्म का वर्णन है. इसके अनुसार, पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक किया गया तर्पण श्राद्ध कहलाता है. कहा जाता है कि श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं. परिवारजन को उनसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
- ब्रह्म पुराण (Braham Puran)ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि श्राद्ध पक्ष में दान, भोजन और तर्पण करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है. व्यक्ति के जीवन की बाधा दूर होती है.
यह मान्यता बताई गई है कि श्राद्ध के समय गाय, भूमि, अन्न और वस्त्र दान करने से पितर अत्यंत प्रसन्न होते हैं.
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