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विजयादशमी 2025: अवगुण पर सद्गुण की शानदार जीत
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, September 26, 2025
Last Updated On: Friday, September 26, 2025
बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. अवगुणों के प्रतीक महिषासुर का विपुल गुणों की भंडार दुर्गा जी ने उसका संहार कर दिया. इसी की याद में विजयादशमी मनाई जाती है. अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के प्रवचनों के माध्यम से विजयादशमी के अर्थ जानें.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Friday, September 26, 2025
Vijayadashami Celebration: अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने अपने प्रवचन में एक बार महिषासुर के वद्ध की कथा बताई थी. एक समय था जब महिष नामक दुर्दान्त राक्षस ने प्राणियों पर घोर अत्याचार करता था. लोग त्राहि त्राहि करते थे. उनके आतंक से समूची धरती प्रभावित थी. अजेय अमर समझे जाने वाले देवता तक उनसे त्रस्त थे. महिष शरीर से जितना ताकतवर था, उससे कई गुना मोटा बौद्धिक दृष्टि से था. महिषासुर मन्दबुद्धि का नहीं, बिगड़ैल बुद्धि, क्रूर स्वभाव का बन गया था. उसने कुछ शक्तियां हासिल कर ली थी, उसका उसे घमंड हो गया था. वह किसी को कुछ नहीं समझता था.
ईश्वरीय संकल्प का प्रतिफल
इन्द्र, चन्द्र, वरुण, कुबेर सभी देवता खौफ खाए हुए थे. संपूर्ण ब्रह्माण्ड में अनुशासन की सुव्यवस्था बनाने वाली ईश्वरीय शक्ति ने ईश्वरीय संकल्प दुहराया और दुर्गाशक्ति के रूप में अवतरित होकर आततायी महिषासुर के आतंकी साम्राज्य का समूल विनाश किया. ईश्वर को अनुशासनहीनता स्वीकार नहीं, उत्शृंखलता बर्दाश्त नहीं, यह प्रमाण युगों से मिलता रहा है. वैदिक काल में इसका भरपूर उदाहरण मिलते हैं.
वेद में देवशक्तियों की स्तुति
सबसे बड़ा उदाहरण स्वयं वेदों में की गई देवशक्तियों की स्तुतियों का है, जिनमें कहा गया है कि हे देवशक्तियो! हमें पाप कर्मों और दुराचारों से बचाए रखें. दुष्टों और आततायियों के अत्याचारों का अंत कर सबको सुख शांति प्रदान करें. वेद दुर्लभ विद्याओं का भंडार है. उसमें समस्त सृष्टि के गूढ़ रहस्यों का गंभीर ज्ञान सूत्रबद्ध है. किसी के अत्याचार से मुक्ति के रूप में, किसी अवाञ्छित शक्तियों से रक्षा के लिए अथवा अपनी सुरक्षा और सुख शांति के निमित्त स्तुतियां की गई हैं.
अपने अंदर दुर्गाशक्ति को करें अवतरित
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के अनुसार, दुर्गाशक्ति पीड़ित के उद्धार के लिए अवतरित हुई थीं. आज मनुष्य को स्वयं अपने अंदर दुर्गाशक्ति को अवतरित कराना होगा. अंदर व्याप्त दुर्गुण रूपी असुर से लोहा लेने के लिए बाहर की दुर्गाशक्ति की नहीं, बल्कि अंदर की महिष जैसी राक्षसी वृत्तियों से लड़ना और मुक्ति पाना होगा.
असुरता पर देवत्व की विजय का प्रतीक
विजयादशमी असुरता पर देवत्व की विजय का स्मरणिका पर्व है. इसमें स्मरण किया जाता है कि कभी रावण नामक दुष्ट प्रवृत्तियों के प्रतीक असुर ने सीता रूपी नारी-शक्ति की, जो संस्कृति शक्ति की प्रतीक थीं, का अपहरण कर लिया था. तब राम रूपी ईश्वरीय अनुशासन शक्ति प्रतिनिधि बनकर अवतरित हुई थी और उस दुष्ट रावण का संहार कर नारी सम्मान की रक्षा की थी. आज युवाशक्ति को देश, धर्म, संस्कृति की सुरक्षा तथा समाज के नवनिर्माण हेतु आगे आना चाहिए. युवा अन्याय पर न्याय की विजय के पर्व विजयादशमी के शुभ अवसर पर यह संकल्प लें.
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