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Delhi Blast: यूज हुई पुरानी कारें खरीदने से पहले चेक कर लें ये जरूरी डिटेल्स, वरना हो सकता है बड़ा नुकसान
Authored By: Nishant Singh
Published On: Thursday, November 13, 2025
Last Updated On: Thursday, November 13, 2025
Delhi Blast: हाल ही में दिल्ली ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई सेकंड हैंड कार ने सभी को चौंका दिया. इस घटना ने एक बड़ा सबक दिया है- पुरानी कार खरीदते वक्त सिर्फ कीमत या दिखावट नहीं, बल्कि डॉक्युमेंट्स की जांच भी उतनी ही जरूरी है. वरना आपकी एक लापरवाही किसी बड़ी कानूनी मुसीबत में बदल सकती है. जानिए, यूज्ड कार खरीदने से पहले किन डिटेल्स पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है.
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Thursday, November 13, 2025
Delhi Blast: हाल ही में दिल्ली ब्लास्ट ने पूरे देश को हिला दिया – क्योंकि इस हमले में जो कार इस्तेमाल हुई, वो कोई नई नहीं, बल्कि पुरानी यानी सेकंड हैंड कार थी. जांच में पता चला कि उस कार का रजिस्ट्रेशन अब भी पुराने मालिक के नाम था. सोचिए, अगर आपके नाम पर ऐसी कोई गाड़ी मिल जाए, तो आप बिना गलती के भी संदिग्ध बन सकते हैं. इसलिए, अगर आप पुरानी कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो सिर्फ दिखावे या कीमत पर न जाएं – बल्कि उन जरूरी डिटेल्स पर ध्यान दें जो आपकी सुरक्षा और कानूनी जिम्मेदारी तय करती हैं.
पुरानी कार खरीदने से पहले डॉक्युमेंट्स की पूरी जांच करें
भारत में हर महीने लाखों पुरानी कारें खरीदी-बेची जाती हैं. लेकिन ज़्यादातर लोग कागजी औपचारिकताओं को सिर्फ “फॉर्मेलिटी” मानकर छोड़ देते हैं. यही सबसे बड़ी गलती है.
पुरानी कार खरीदते वक्त ये डॉक्युमेंट्स जरूर जांचें:
- आरसी (Registration Certificate): देखें कि गाड़ी का नाम किसके नाम पर दर्ज है.
- इंश्योरेंस (Insurance Policy): वैध इंश्योरेंस होना चाहिए, नहीं तो हादसे की जिम्मेदारी आपकी हो सकती है.
- पीयूसीसी (Pollution Under Control Certificate): यह साबित करता है कि गाड़ी प्रदूषण मानकों पर खरी उतरती है.
- एनओसी (No Objection Certificate): अगर गाड़ी किसी दूसरे राज्य से आई है या लोन पर थी, तो एनओसी जरूरी है.
ये दस्तावेज़ सही न होने पर बाद में ट्रैफिक पुलिस, इंश्योरेंस कंपनी या कोर्ट तक की दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं.
ओनरशिप ट्रांसफर – सबसे अहम कदम, जिसे लोग नजरअंदाज कर देते हैं
ज्यादातर लोग पुरानी कार खरीद तो लेते हैं, लेकिन नाम ट्रांसफर यानी ओनरशिप ट्रांसफर की प्रक्रिया को टाल देते हैं. यही सबसे बड़ा रिस्क है. अगर कार के रजिस्ट्रेशन में नाम पुराने मालिक का ही रहेगा, और भविष्य में उस गाड़ी से कोई हादसा या अपराध होता है, तो सबसे पहले जांच एजेंसी पुराने मालिक तक पहुंचेगी. इसलिए चाहे आप खरीदार हों या विक्रेता – दोनों को मिलकर ओनरशिप ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए.
जरूरी फॉर्म्स भरना न भूलें
- ओनरशिप ट्रांसफर के लिए फॉर्म 29 और फॉर्म 30 भरना अनिवार्य है.
- अगर कार किसी दूसरे राज्य में जा रही है, तो फॉर्म 28 (एनओसी) की जरूरत होगी.
- अगर गाड़ी पर लोन था, तो फॉर्म 35 और बैंक से एनओसी लेना जरूरी है.
ये फॉर्म्स आप Parivahan.gov.in वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं या सीधे अपने नजदीकी आरटीओ ऑफिस से ले सकते हैं.
सभी दस्तावेज़ पहले से तैयार रखें
कार का ट्रांसफर सिर्फ हस्ताक्षर से नहीं होता, उसके लिए कई जरूरी डॉक्यूमेंट्स चाहिए होते हैं.
सेलर (विक्रेता) को देना होता है:
- ओरिजिनल RC
- वैध इंश्योरेंस
- PUCC
- अगर कार पर लोन था, तो बैंक एनओसी
बायर (खरीदार) को देना होता है:
- पहचान प्रमाण (Aadhaar/Voter ID)
- पता प्रमाण
- पासपोर्ट साइज फोटो
- कभी-कभी पैन कार्ड या फॉर्म 60/61 भी मांगा जाता है
दोनों पक्षों को ये दस्तावेज़ सही तरीके से साइन करके आरटीओ में जमा करने होते हैं.
आरटीओ प्रक्रिया – ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके
आजकल आप Parivahan.gov.in वेबसाइट के जरिए ओनरशिप ट्रांसफर की प्रक्रिया ऑनलाइन शुरू कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रखें, साइन की हुई हार्ड कॉपी को ऑफलाइन आरटीओ ऑफिस में जमा करना अनिवार्य है.
इसके बाद आरटीओ अधिकारी सभी दस्तावेज़ों की जांच करता है. अगर सब सही पाया गया तो ट्रांसफर फीस जमा करने के बाद प्रक्रिया पूरी हो जाती है.
फीस और टैक्स का भुगतान करें, वरना ट्रांसफर रुक जाएगा
नए मालिक को आरटीओ में निर्धारित फीस और किसी भी बकाया टैक्स या चालान का भुगतान करना होता है. कई बार पुराने चालान या टैक्स बकाया रहने के कारण ओनरशिप ट्रांसफर पेंडिंग हो जाता है. इसलिए ट्रांसफर से पहले पुरानी गाड़ी के सभी चालान, रोड टैक्स और इंश्योरेंस स्टेटस चेक कर लें.
नया आरसी – आपके नाम की असली पहचान
सभी जांच और वेरिफिकेशन के बाद, आरटीओ आपके नाम पर नया रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) जारी करता है. यही वह दस्तावेज़ है जो साबित करता है कि अब गाड़ी कानूनी रूप से आपकी संपत्ति है. यह प्रक्रिया सामान्यतः 2–3 हफ्तों में पूरी हो जाती है. नया RC मिलने के बाद ही आप सुरक्षित रूप से कार का उपयोग कर सकते हैं या किसी और को बेच सकते हैं.
एक चूक, और सबकुछ मुश्किल हो सकता है
पुरानी कार खरीदना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है, लेकिन बिना पूरी जांच के ये आपके लिए सिरदर्द भी बन सकता है. दिल्ली ब्लास्ट जैसी घटनाएं ये सिखाती हैं कि एक छोटी सी लापरवाही भी कानूनी मुसीबत या जानलेवा स्थिति में बदल सकती है. इसलिए अगली बार जब भी आप कोई यूज्ड कार खरीदें, तो सिर्फ उसकी हालत नहीं – उसके कागजों और इतिहास को भी ध्यान से परखें. क्योंकि याद रखें – कार सेकंड हैंड हो सकती है, लेकिन आपकी जिम्मेदारी फर्स्ट हैंड ही होगी.
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