बुजुर्गों को निशाना बना रहे साइबर अपराधी, जानें कैसे बचें?

Authored By: संतोष आनंद, तकनीकी विषयों के जानकार

Published On: Friday, November 8, 2024

साइबर अपराधी अब डीपफेक तकनीक का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे लोगों को ठगा जा रहा है। हाल ही में बेंगलुरु के दो लोग ऐसी ही धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं

भारत में ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। खासकर अब बुजुर्गों को निशाना बनाया जाने लगा है। हाल की एक घटना में हैदराबाद के एक 63 वर्षीय व्यक्ति को ₹50 लाख का नुकसान हुआ है, जो एक धोखाधड़ी वाले स्टॉक ट्रेडिंग समूह के कारण हुआ। यह घटना सोशल मीडिया पर पॉपुलर हो रहे अलग-अलग धोखाधड़ी के मामलों को उजागर करती है, जहां बुजुर्गों को साइबर अपराधी धोखा दे रहे हैं।

कैसे बुजुर्ग बन रहे शिकार

यह घटना एक व्हाट्सएप स्टॉक ट्रेडिंग ग्रुप से जुड़ी हुई थी। पीड़ित व्यक्ति ने “Stock Discussion Group” नामक व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के बाद यह सोचा कि यह एक वैलिड इंवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म है। ग्रुप के एडमिन कुनाल सिंह ने खुद को एक प्रतिष्ठित वित्तीय सलाहकार बताते हुए दावा किया कि उसने अपने पिछले निवेशकों को शानदार रिटर्न दिलवाया है। सिंह ने एक “2022 स्टॉक क्लास” का उल्लेख किया जिसमें कुछ चुने हुए स्टॉक्स से 500 प्रतिशत तक का रिटर्न मिला था।

सिंह ने इस ग्रुप के माध्यम से पीड़ित को ऑनलाइन इंवेस्टमेंट सेशंस में भाग लेने के लिए प्रेरित किया, जहां उसे एक “स्काईरिम कैपिटल” नामक निवेश प्लेटफॉर्म के माध्यम से निवेश करने के लिए कहा गया। सिंह ने इसे एक वैध और भरोसेमंद वित्तीय सेवा प्रदाता के रूप में प्रस्तुत किया।

पीड़ित ने पहले छोटी-छोटी रकम निवेश की और उसे मुनाफा दिखाकर विश्वास बढ़ाया गया। फिर धीरे-धीरे सिंह ने उन्हें और अधिक पैसे निवेश करने के लिए राजी किया और पीड़ित ने कुल ₹50 लाख निवेश कर दिए। यह राशि उसने विभिन्न खातों और लाभार्थियों के नाम पर ट्रांसफर की, ताकि धोखाधड़ी करने वाले इसका पता न लगा सकें। हालांकि जब पीड़ित ने अपने मुनाफे को निकालने की कोशिश की, तो धोखेबाजों ने उसे यह रकम देने से मना कर दिया। तब पीड़ित को अहसास हुआ कि वह धोखा खा चुका है।

डीपफेक वीडियो का उपयोग

deepfake technology

साइबर अपराधी अब डीपफेक तकनीक का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे लोगों को ठगा जा रहा है। हाल ही में बेंगलुरु के दो लोग ऐसी ही धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं जिसमें प्रमुख व्यापारिक हस्तियों जैसे कि इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और रिलायंस चेयरपर्सन मुकेश अंबानी के डीपफेक वीडियो का इस्तेमाल किया गया।

पहले मामले में, बेंगलुरु की वीना ने सोशल मीडिया पर नारायण मूर्ति का एक वीडियो देखा, जिसमें वह एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को प्रमोट करते हुए हाई रिटर्न का वादा कर रहे थे। वीना ने इसे असल माना और योजना में निवेश कर दिया, लेकिन बाद में सामने आया कि यह एक धोखाधड़ी थी।

दूसरे मामले में, अशोक कुमार सेवानिवृत्त कर्मचारी है, जिन्होंने फेसबुक पर एक विज्ञापन देखा, जिसमें मुकेश अंबानी का डीपफेक वीडियो था। इस वीडियो में अंबानी ने भी एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से हाई रिटर्न्स का वादा किया गया था। विश्वास करने के बाद अशोक कुमार ने ₹19 लाख का निवेश किया, लेकिन बाद में जब वह धोखेबाजों से संपर्क करने की कोशिश करते रहे, तो कोई जवाब नहीं आया और उन्होंने महसूस किया कि वह धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं।

कैसे कार्य करते हैं साइबर अपराधी?

साइबर अपराधी अब अधिक एडवांस तरीके अपना रहे हैं। वे अपनी योजना को इस तरह से तैयार करते हैं कि वे आसानी से लोगों का विश्वास जीत सकें। अधिकतर मामलों में:

10th rank of india cyber crime

व्हाट्सएप और अन्य अनवेरिफाइड प्लेटफॉर्म्स: अपराधी अक्सर व्हाट्सएप जैसे अनवेरिफाइड मैसेजिंग प्लेटफार्मों का इस्तेमाल करते हैं। यहां वे विभिन्न निवेश और ट्रेडिंग ग्रुप बनाकर लोगों को जोड़ते हैं, जहां शुरुआत में छोटे निवेश से मुनाफा दिखाकर लोगों का विश्वास जीता जाता है।

विज्ञापन और सोशल मीडिया: सोशल मीडिया पर धोखेबाज डीपफेक वीडियो का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें वे प्रसिद्ध व्यक्तियों जैसे कि बिजनेस टाइकून और सेलिब्रिटी को दिखाकर झूठे वादे करते हैं।

फेक फाइनेंशियल सर्विस प्लेटफार्म: अपराधी एक फेक ट्रेडिंग या निवेश प्लेटफॉर्म की पेशकश करते हैं, जो पूरी तरह से फर्जी होता है। इस पर निवेशकों को हाई रिटर्न्स का लालच दिया जाता है, लेकिन जब वे पैसे निकालने की कोशिश करते हैं तो कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती।

चूंकि साइबर अपराधी बुजुर्गों को विशेष रूप से निशाना बना रहे हैं, इसलिए परिवार वालों को उन्हें इस तरह के धोखाधड़ी के बारे में सतर्क करना चाहिए। बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और अन्य प्रतिष्ठित संगठनों के अलावा कोई भी संस्था केवल व्हाट्सएप या अन्य अनवेरिफाइड प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से निवेश सलाह नहीं देती।

अधिकांश धोखाधड़ी वाले प्लेटफार्मों में वादा किया जाता है कि “गारंटीड हाई रिटर्न्स” मिलेंगे, जो एक चाल होता है। किसी भी निवेश से पहले सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्रोफेशनल्स से सलाह लेना और किसी भी अनजान सोर्स से व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचना चाहिए।

कैसे बचें इससे

साइबर अपराध विशेषज्ञ और वित्तीय सलाहकार अब लोगों से यह अपील कर रहे हैं कि वे अनवेरिफाइड या अविश्वसनीय प्लेटफार्मों पर विश्वास न करें। किसी भी संदिग्ध वित्तीय गतिविधि की सूचना तुरंत राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर दें या फिर cybercrime.gov.in पोर्टल के माध्यम से रिपोर्ट करें।

तकनीकी क्षेत्र में 15 वर्षों का अनुभव। कंप्यूटर, नेटवर्किंग, और सॉफ्टवेयर में विशेषज्ञता। नवीनतम तकनीकी प्रगति से अवगत। समस्या समाधान में कुशल। प्रभावी संचार कौशल। तकनीकी समाधान प्रदान करने में सक्षम।

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