DIGIPIN क्या है? जानें कैसे तैयार करें अपने घर का डिजिटल एड्रेस?

DIGIPIN क्या है? जानें कैसे तैयार करें अपने घर का डिजिटल एड्रेस?

Authored By: संतोष आनंद

Published On: Thursday, June 12, 2025

Updated On: Thursday, June 12, 2025

DIGIPIN

DIGIPIN भारत में डिजिटल इंडिया की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल नागरिकों के लिए, बल्कि सरकार, डिलीवरी कंपनियों और आपातकालीन सेवाओं के लिए भी एक बड़ा सहारा साबित होगा।

Authored By: संतोष आनंद

Updated On: Thursday, June 12, 2025

भारत सरकार ने एक नया एड्रेस सिस्टम शुरू की है जिसका नाम DIGIPIN (डिजीपिन) है। यह एक डिजिटल कोड है, जो भारत के हर कोने के लिए एक यूनिक पहचान देता है, चाहे वह गांव हो, शहर हो या कोई जंगल या समुद्री इलाका। इस कोड से किसी भी जगह को बहुत सटीक (एकदम ठीक) ढंग से पहचाना जा सकता है।

अपने घर का DIGIPIN कैसे देखें या बनाएं?

अपने घर का डिजीपिन बनाना चाहते हैं, तो नीचे स्टेप-बाय-स्टेप तरीका देख सकते हैं:

  • स्टेप-1: अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर https://dac.indiapost.gov.in/mydigipin/home वेबसाइट को ओपन करें।
  • स्टेप-2: जब वेबसाइट खुले, तो अगर पॉप-अप आए जिसमें लोकेशन की अनुमति मांगी जाए, तो Allow पर क्लिक करें।
  • स्टेप-3: I Consent पर क्लिक करें। इसका मतलब है कि आप DIGIPIN की गोपनीयता नीति को मानते हैं।
  • स्टेप-4: अब वेबसाइट आपको आपके वर्तमान स्थान का DIGIPIN कोड नीचे दाईं तरफ दिखा देगी।
  • स्टेप-5: आप किसी भी जगह के जियोग्राफिकल कोऑर्डिनेट्स (latitude-longitude) डालकर उस स्थान का DIGIPIN देख सकते हैं। साथ ही आप DIGIPIN डालकर लोकेशन भी जान सकते हैं।

DIGIPIN कैसा होता है?

DIGIPIN 10-अक्षरों वाला अल्फान्यूमेरिक कोड है, जैसे- 39J-53M-TJF9। यह कोड आपके घर या जगह के जियोग्राफिकल लोकेशन (location coordinates) के आधार पर बनता है। यह सिस्टम भारत के डाक विभाग, IIT हैदराबाद और ISRO के तहत आने वाले National Remote Sensing Centre ने मिलकर तैयार किया है।

DIGIPIN क्यों लाया गया है? क्या फायदे होंगे?

सटीक पता मिलना अब आसान: भारत में कई बार पतों में गड़बड़ी हो जाती है, जैसे – गलत गली नंबर, बिना मकान नंबर या एक ही नाम के कई मोहल्ले। DIGIPIN की मदद से अब हर जगह की पहचान एक यूनिक कोड से होगी, जिससे गड़बड़ी नहीं होगी।

ई-कॉमर्स डिलीवरी में सुधार: अब Amazon, Flipkart जैसी कंपनियों को सही जगह ढूंढने में आसानी होगी। इससे डिलीवरी फास्ट और सही पते पर होगी।

आपातकालीन सेवाओं को मदद: पुलिस, एम्बुलेंस या फायर ब्रिगेड जैसी सेवाएं DIGIPIN की मदद से सीधे और जल्दी सही जगह पहुंच सकेंगी, खासकर वहां जहां पता ढूंढना मुश्किल होता है।

गांव-जंगल जैसे इलाकों को फायदा: जहां कोई लिखा-पढ़ी वाला पता नहीं होता, जैसे- जंगल, पहाड़ी क्षेत्र या गांव वहां भी DIGIPIN से लोकेशन बताना आसान हो जाएगा।

DIGIPIN और पुराने PIN कोड में क्या अंतर है?

पुराना PIN कोड (जैसे 110001) एक पूरा क्षेत्र या इलाका दर्शाता है, लेकिन DIGIPIN 4 मीटर × 4 मीटर की एक छोटी सी जगह को भी यूनिक पहचान देता है। इसका मतलब है कि एक ही कॉलोनी में हर घर का अपना अलग DIGIPIN हो सकता है। हालांकि DIGIPIN PIN कोड की जगह नहीं लेता, बल्कि उसे और ज्यादा सटीक और डिजिटल बनाता है।

सवाल-जवाब

क्या DIGIPIN से मेरी प्राइवेसी प्रभावित होगी?

नहीं, DIGIPIN में आपकी कोई निजी जानकारी नहीं होती। यह सिर्फ आपके स्थान की जानकारी देता है, जैसे Google Map।

क्या DIGIPIN से पता लिखने की जरूरत नहीं पड़ेगी?

अभी के लिए पता लिखना जरूरी रहेगा। DIGIPIN एक अतिरिक्त सुविधा है जो आपका पता और ज्यादा सटीक बनाता है।

क्या गांव में भी DIGIPIN बन सकता है?

बिल्कुल! यह सिस्टम तो खास तौर पर ऐसे इलाकों के लिए ही सबसे ज्यादा फायदेमंद है, जहां आज तक कोई पक्का या दर्ज पता नहीं था।

DIGIPIN भारत में डिजिटल इंडिया की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल नागरिकों के लिए, बल्कि सरकार, डिलीवरी कंपनियों और आपातकालीन सेवाओं के लिए भी एक बड़ा सहारा साबित होगा। इसकी मदद से भारत में लोकेशन सिस्टम को और ज्यादा सटीक, तेज और डिजिटल बनाया जा रहा है।

तकनीकी क्षेत्र में 15 वर्षों के अनुभव के साथ, संतोष आनंद कंप्यूटर, नेटवर्किंग, और सॉफ्टवेयर जैसे विषयों में विशेषज्ञता रखते हैं। नवीनतम तकनीकी प्रगतियों से हमेशा अपडेट रहते हुए, उन्होंने अपनी लेखनी से हजारों पाठकों के लिए तकनीकी समस्याओं के प्रभावी समाधान प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम, मोबाइल फोन, और बॉलीवुड एवं एंटरटेनमेंट जैसे विविध विषयों पर भी लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी तकनीकी विषयों को सरल और व्यावहारिक भाषा में प्रस्तुत करती है, जो पाठकों को आसानी से समझने और उनके उपयोग में मदद करती है।
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