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विश्व जल दिवस पर बड़ा सवाल: दिल्ली कब तक तरसेगी पानी को?
विश्व जल दिवस पर बड़ा सवाल: दिल्ली कब तक तरसेगी पानी को?
Authored By: अरुण श्रीवास्तव
Published On: Saturday, March 22, 2025
Updated On: Saturday, March 22, 2025
विश्व जल दिवस पर लें संरक्षण का संकल्प, ताकि हर किसी को पानी की उपलब्धता हो सके… यदि ग्लेशियर संरक्षित होंगे तो नदियों को भरपूर जल मिल सकेगा. यमुना में भरपूर पानी होगा और हरियाणा को पानी रोकने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
Authored By: अरुण श्रीवास्तव
Updated On: Saturday, March 22, 2025
विश्व जल दिवस (22 मार्च) हर साल मनाया जाता है. हर साल हम कम होते मीठे पानी के स्रोतों की चिंता करते/जताते हैं, पर इस पर उतनी गंभीरता से अमल नहीं हो पाता. इसका परिणाम यह होता है कि दुनियाभर में सूखे और पानी की कमी बढ़ती जा रही है. इस वर्ष विश्व जल दिवस पर यूएन की थीम है हिमनद संरक्षण (Glacier preservation). पर्वतों से निकलने वाले हिमनद मीठे पानी के सबसे बड़े स्रोत हैं, पर ग्लोबल वार्मिंग के कारण ये हिमनद तेजी से सिकुड़ रहे हैं, जिससे नदियों का जल भी सूख रहा है, कम हो रहा है.
इस संदर्भ में बात अगर भारत की राजधानी दिल्ली की करें, तो यहां गर्मियां शुरू होते ही तमाम इलाकों में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है. दिल्ली की जीवनरेखा यमुना में पानी कम हो जाता है, जिससे पानी की समस्या और बढ़ जाती है. अब से पहले दिल्ली में आम आदमी की सरकार और हरियाणा में बीजेपी की सरकार होने से दोनों राज्यों में गर्मियों के दिनों में यमुना के पानी को रोकने पर राजनीति गर्मा जाती थी. गनीमत है कि इस वर्ष दिल्ली में बीजेपी की सरकार आ गई है. ऐसे में उम्मीद है कि यमुना के पानी को लेकर दिल्ली और हरियाणा के बीच सही तालमेल रहेगा. एक और अच्छी बात यह है कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार आने के साथ ही यमुना की सफाई का काम भी तेजी से होने लगा है, जिससे दिल्ली के लोगों को साफ मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं.
क्यों जरूरी है ग्लेशियर संरक्षण (Glacier preservation)
संयुक्त राष्ट्र यानी यूनाइटेड नेशंस द्वारा हर वर्ष 22 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व जल दिवस के लिए इस साल 2025 के लिए थीम है हिमनद संरक्षण (Glacier preservation). माना जा रहा है है कि पिछले कुछ दशकों से ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर यानी हिमनद पहले से कहीं अधिक तेजी से पिघल रहे हैं. जैसे-जैसे हमारा ग्रह (पृथ्वी) गर्म होता जा रहा है, हमारी जमी हुई दुनिया सिकुड़ रही है, जिससे जल चक्र अधिक अप्रत्याशित हो रहा है. अरबों लोगों के लिए, पिघले हुए पानी का प्रवाह बदल रहा है, जिससे बाढ़, सूखा, भूस्खलन और समुद्र का स्तर बढ़ रहा है.अनगिनत समुदाय और पारिस्थितिकी तंत्र तबाही के खतरे में हैं. जैसा कि हम जलवायु परिवर्तन को कम करने और अनुकूलित करने के लिए मिलकर काम करते हैं, ग्लेशियर संरक्षण एक सर्वोच्च प्राथमिकता है. विश्व जल दिवस 2025 का विषय ‘ग्लेशियर संरक्षण’ है.
इस विश्व जल दिवस पर हमें जलवायु परिवर्तन और वैश्विक जल संकट से निपटने की अपनी योजनाओं के मूल में हिमनद संरक्षण को रखने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.
‘ग्लेशियर संरक्षण’ पर वैश्विक अभियान का हिस्सा बनें. हमें हर किसी की आवश्यकता है-व्यक्तियों और परिवारों से लेकर कंपनियों और सरकारों तक-जो वे ग्लोबल वार्मिंग को कम करने और सिकुड़ते ग्लेशियरों के अनुकूल होने के लिए कर सकते हैं.
क्या हो उपाय?
- हमें हिमनदों के पीछे हटने की गति को धीमा करने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना चाहिए.
- हमें पिघले हुए पानी का अधिक स्थायी रूप से प्रबंधन करना चाहिए.
- हमारे ग्लेशियरों को बचाना लोगों और ग्रह के लिए एक उत्तरजीविता रणनीति है.
- भविष्य के लिए जमे हुए जल संसाधनों की रक्षा करना.
क्यों जरूरी है ग्लेशियर (हिमनद) को बचाना?
- ग्लेशियर जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं-उनका पिघलने वाला पानी पीने के पानी, कृषि, उद्योग, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक है.
- तेजी से पिघलने वाले ग्लेशियर पानी के प्रवाह में अनिश्चितता पैदा कर रहे हैं, जिसका लोगों और ग्रह पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है.
- कार्बन उत्सर्जन में वैश्विक कमी और सिकुड़ते ग्लेशियरों के अनुकूल होने के लिए स्थानीय रणनीतियां आवश्यक हैं.
विश्व जल दिवस और दिल्ली का जल संकट
हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पानी के महत्व को उजागर करना और जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना है। लेकिन क्या दिल्ली जैसे महानगरों में रहने वाले लोगों के लिए यह सिर्फ एक दिन की चर्चा है या एक ऐसी वास्तविकता, जिससे वे रोज जूझते हैं? गर्मी के दिनों में दिल्ली के तमाम इलाकों में पानी के टैंकरों से पानी लेने के लिए लोगों में मारामारी शुरू हो जाती है. ऐसे दृश्य गर्मियों में लगभग रोज देखने को मिलते हैं.
विडंबना है देश की राजधानी में पेयजल की किल्लत होना
- दिल्ली, जो भारत की राजधानी होने के साथ-साथ तीन करोड़ से अधिक लोगों का घर है, पानी की भीषण कमी से जूझ रही है. हर गर्मी में यहां के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति बाधित हो जाती है, लोग टैंकरों से पानी खरीदने को मजबूर हो जाते हैं, और कई बार तो पीने योग्य जल भी उपलब्ध नहीं होता.
- जल संसाधनों का सही प्रबंधन ही शांति और विकास की कुंजी है। लेकिन जब राजधानी के कई हिस्सों में जल संकट के कारण टैंकर माफिया सक्रिय हो जाते हैं, लोग पानी के लिए झगड़ते हैं, और गरीब तबका बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करता है, तो क्या यह शांति संभव है?
- दिल्ली का जल संकट केवल बढ़ती आबादी की वजह से नहीं है, बल्कि इसमें अव्यवस्थित जल प्रबंधन, यमुना नदी का प्रदूषण, गिरता हुआ भूजल स्तर और अनियंत्रित जल उपभोग जैसी समस्याएं भी शामिल हैं। ऐसे में विश्व जल दिवस सिर्फ एक जागरूकता दिवस नहीं, बल्कि आत्ममंथन का अवसर है-क्या हम अपनी राजधानी को जल संकट से बचाने के लिए गंभीर हैं?
- क्या दिल्ली के लिए पानी एक बुनियादी अधिकार बना रहेगा, या हर गर्मी में यह एक नई चुनौती बनकर उभरेगा?
दिल्ली में पानी की समस्या: एक गंभीर संकट
- दिल्ली में पानी की मांग और आपूर्ति का अंतर
- गर्मियों में पानी की किल्लत और बढ़ता संकट
- जल संकट के पीछे प्रमुख कारण
- गिरता हुआ भूजल स्तर
- यमुना नदी का प्रदूषण और जल की उपलब्धता
- पानी की बर्बादी और अनियंत्रित उपभोग
- पाइपलाइन लीकेज और अवैध कनेक्शन
पानी को लेकर दिल्ली के नागरिकों की परेशानी
- पानी की किल्लत से प्रभावित इलाकों की स्थिति. (जैसे संगम विहार, महरौली, उत्तम नगर, आदि)
- टैंकर माफिया का बढ़ता वर्चस्व.
- जल बोर्ड की सीमित क्षमता और प्रशासनिक चुनौतियां.
पानी बचाने और जल संकट से निपटने के प्रयास
- सरकार द्वारा किए गए प्रयास. (योजनाएं और नीतियां)
- जल संरक्षण में नागरिकों की भूमिका.
- वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) और अन्य उपाय.
- जागरूकता और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता.
समाधान: क्या दिल्ली पानी के संकट से उबर सकती है?
- स्मार्ट जल प्रबंधन और टिकाऊ समाधान.
- सफल जल संरक्षण मॉडल. (अन्य राज्यों/दुनिया से उदाहरण)
- क्या सरकार और आम जनता मिलकर इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं?
- यमुना नदी की सफाई और उसमें मिलने वाले सीवर के गंदे जल को एसटीपी से रोककर इस नदी के पानी को अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सकता है.
- हरियाणा के साथ समुचित तालमेल करके मांग के अनुरूप यमुना में पानी की आपूर्ति को बढ़वाया जा सकता है. दोनों राज्यों में अब बीजेपी की सरकार होने से यह तालमेल अब मुश्किल नहीं है.
- आवासीय हो या कामर्शियल, हर निर्माणाधीन इमारत में वर्षा जल के संरक्षण का समुचित उपाय हो, ताकि इससे भूगर्भीय जल के स्तर में बढ़ोत्तरी हो.
- पेयजल के अपव्यय को रोकने का हरसंभव प्रयास किया जाए, सरकारी संस्थागत रूप से भी और व्यक्तिगत रूप से भी.
निष्कर्ष: जल ही जीवन है
- विश्व जल दिवस के संदेश को सार्थक बनाने की जरूरत.
- दिल्ली को जल संकट से उबारने के लिए आवश्यक कदम.
- “पानी बचाएं, भविष्य बचाएं” का हर व्यक्ति ले संकल्प.