How to tackle Overtourism: जिम्मेदार पर्यटक बनने का आ गया है समय

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Wednesday, October 22, 2025

Last Updated On: Wednesday, October 22, 2025

Overtourism रोकने के लिए जिम्मेदार पर्यटक और सतत यात्रा के टिप्स.
Overtourism रोकने के लिए जिम्मेदार पर्यटक और सतत यात्रा के टिप्स.

सोशल मीडिया, इंफ्लुएंसर्स एवं ट्रैवल ब्लॉगर्स का प्रभाव लोगों को घूमने के लिए प्रेरित कर रहा है. लेकिन आज किसी भी डेस्टिनेशन का चयन एक बड़ी चुनौती बन चुकी है, क्योंकि लोकप्रिय स्थलों पर पर्यटकों की भीड़ दिनों दिन बढ़ती जा रही. हालात इतने गंभीर हो जा रहे हैं कि अमुक शहर में सैलानियों के प्रवेश पर ही पाबंदी लगा दी जा रही. आखिर क्या है इस ‘ओवरटूरिज्म’ से बचने के उपाय? कैसे हम एक जिम्मेदार पर्यटक की भूमिका निभा सकते हैं?

Authored By: अंशु सिंह

Last Updated On: Wednesday, October 22, 2025

Overtourism becoming grave: मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत सौम्या को वीकेंड पर कुछ दोस्तों ने नैनीताल चलने की पेशकश की, जिसे वे मना नहीं कर सकीं. अगले दिन सभी बड़े उत्साह के साथ अहले सुबह दिल्ली से नैनीताल के लिए निकले. उम्मीद थी कि 6 से 7 घंटे में पहुंच जाएंगे. लेकिन डेस्टिनेशन से करीब तीन किलोमीटर पहले ही उनका सामना गाड़ियों की लंबी कतार से हुआ. पता चला कि कई घंटों से जाम लगी है, क्योंकि शहर के अंदर पहले से क्षमता से अधिक सैलानी पहुंचे हुए थे. इससे अधिकतर होटल एवं गेस्ट हाउस पैक हो गए थे. शहर के अंदर गाड़ियां रेंग रही थीं. टूरिस्ट ही पर्यटक स्थलों की रौनक होते हैं. स्थानीय अर्थव्यवस्था भी काफी हद तक उस पर निर्भर करती है. लेकिन जब स्थान की क्षमता से अधिक वाहन एवं लोग पहुंच जाएं, तो यातायात से लेकर बाकी व्यवस्था भी चरमराने लगती है. असल में एशिया और अफ्रीका में मध्यम वर्ग की आबादी बढ़ने के साथ ही यात्राओं को लेकर रुचि भी बढ़ रही है. इससे ‘ओवरटूरिज्म’ की अनचाही स्थिति पैदा हो गई है. आखिर क्या है ‘ओवरटूरिज्म’? होमस्टेज ऑफ इंडिया के सीईओ विनोद वर्मा बताते हैं कि यह तब होता है जब किसी खास जगह पर बहुत ज्यादा पर्यटक आते हैं. जब स्थानीय लोग छुट्टी मनाने आने वालों को किराए पर घर देने के लिए मजबूर होते हैं. जब संकरी सड़कें पर्यटक वाहनों से जाम हो जाती हैं और वन्यजीव डरकर भाग जाते हैं. जब किसी गंतव्य पर पर्यटकों की संख्या उसे संभालने की क्षमता से अधिक हो जाती है. जिससे पर्यावरण, स्थानीय समुदायों और सांस्कृतिक विरासत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ऐसी स्थिति को ‘ओवरटूरिज्म’ कहते हैं.

स्थल जो कर रहे ‘ओवरटूरिज्म’ का सामना (Destinations facing Overtourism)

कैलिफोर्निया स्थित ऑनलाइन पर्यटन सूचना प्रदाता की ‘नो लिस्ट 2025’ में केरल सहित दुनिया भर के 15 डेस्टिनेशंस का उल्लेख किया गया है, जहां ‘ओवरटूरिज्म’ हो रही. सूची में केरल के अलावा जापान का टोक्यो, क्योटो शहर, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, इटली का एग्रीजेंटो, मेक्सिको का ओसाका एवं स्कॉटलैंड का नॉर्थ कोस्ट 500 शामिल है. भारत में केरल के अलावा जहां शिमला, मनाली, गोवा, लेह-लद्दाख, वाराणसी, जयपुर, उदयपुर, नैनीताल, आगरा एवं ऊटी ‘ओवरटूरिज्म’ के शिकार हैं, तो वहीं इटली के वेनिस, इंडोनेशिया के बाली और स्पेन के बार्सिलोना में पर्यटकों की भीड़ दिनों दिन बढ़ रही है. केरल की बात करें, तो वह हमेशा से अपने खूबसूरत समुद्र तटों और चमचमाते बैकवाटर के लिए दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है. 2023 में राज्य ने कुल 21.8 मिलियन घरेलू पर्यटकों और 649,057 अंतर्राष्ट्रीय सैलानियों का स्वागत किया.

भीड़ से बचने के लिए चुनें ऑफबीट डेस्टिनेशन

20वीं सदी के मध्य तक अधिकतर अमीर लोग ही छुट्टियों पर जाया करते थे. 1960 के दशक में हवाई यात्रा, आर्थिक विकास और वैधानिक छुट्टी की शुरुआत ने यात्रा को मध्यम वर्ग के लिए एक मुख्य व्यवसाय बना दिया. लो कॉस्ट एयरलाइंस के आगमन एवं बजट फ्रेंडली विकल्पों ने भी इसे बढ़ावा दिया. जो डेस्टिनेशन पहले पहुंच से (महंगे एवं दूर) बाहर थे, वहां तक पहुंचना सहज हो गया. आज लाखों की संख्या में चीन एवं भारत के लोग अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थलों की यात्रा कर रहे हैं. इससे यूरोपीय देशों के लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशंस पर ओवरक्राउडिंग की समस्या खड़ी होने लगी है. ट्रैवल ब्लॉगर दिव्याक्षी गुप्ता कहती हैं कि प्रसिद्ध स्थलों पर दबाव कम करने के लिए कम लोकप्रिय स्थलों एवं ऑफबीट डेस्टिनेशंस को बढ़ावा देना वक्त का तकाजा है. देश में कई छिपे हुए रत्न हैं, जिन्हें एक्सप्लोर किया जा सकता है. जैसे पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम के हिमालयी ट्रेक से लेकर दिबांग घाटी, मेंचुका, खद्दुम, दक्षिण पश्चिम खासी हिल्स और डोंग काफी लोकप्रिय हो रहे हैं. इनके अलावा, सैलानी ऑफ-पीक सीजन के दौरान यात्रा करेंगे, तो भीड़ का कम सामना करना पड़ेगा. यात्रा प्लान करते समय वैकल्पिक गंतव्यों के बारे में रिसर्च कर सकते हैं. एप्स और वेबसाइट से जानकारी मिल सकती है.

‘ओवरटूरिज्म’ का क्या है हल? (Solution of Overtourism)

‘ओवरटूरिज्म’ से निपटने के लिए ग्रामीण और पारिस्थितिकी पर्यटन स्थल विकसित करने होंगे. संवेदनशील क्षेत्रों के लिए वहन क्षमता सीमा लागू करने से लेकर पर्यटकों के व्यवहार की सख्त निगरानी रखनी होगी. अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत और हरित सार्वजनिक परिवहन जैसे पर्यावरण के अनुकूल अवसंरचना में निवेश करना होगा. पर्यटक स्थलों की सड़कें, आवास और स्वच्छता सुविधाएं बढ़ानी होंगी. स्मारकों और राष्ट्रीय उद्यानों के लिए आगंतुकों की सीमा और समयबद्ध प्रवेश प्रणाली शुरू करना होगा, जिससे स्थिति को नियंत्रित किया जा सके. जैसे, नैनीताल में पर्यटकों के सैलाब को कंट्रोल करने के लिए स्थानीय नगरपालिका ने शहर के प्रवेश द्वार पर लिए जाने वाले टोल की राशि को बढ़ा दिया है. ऑनलाइन बुकिंग कराने पर 300 रुपये, जबकि कैश देने पर 500 रुपये लगेंगे. कार पार्किंग के लिए भी अब 500 रुपये तक खर्च करने पड़ेंगे.

बनना होगा जिम्मेदार यात्री (Become Responsible tourist)

हर स्थान की अपनी विशेषता, संस्कृति एवं पारिस्थितिक तंत्र होता है. यात्रा करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिन स्थानों पर हम जाते हैं, उन पर हमारा क्या प्रभाव पड़ता है. कहने का मतलब है कि जब एक पर्यटक पर्यावरण के अनुकूल आवास चुनता है, स्थानीय संस्कृति एवं रीति-रिवाजों का सम्मान करता है, पर्यावरण की रक्षा करता है, तो उसे जिम्मेदार पर्यटन कहा जाता है. यूं कहें कि आप जहां यात्रा करने जा रहे हैं, उस जगह को अपना घर कहने वाले लोगों के बारे में जरूर जानें. वे कैसे रहते हैं? उनके रीति-रिवाज, परंपराएं और मानदंड क्या हैं? अगर आप वहां की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति के बारे में जानेंगे, तो उससे भी नए अनुभव होंगे. एक बेहतर यात्री बनने के लिए अपने कार्बन फुटप्रिंट की निगरानी रखना भी महत्वपूर्ण है. जैसे आप लोकल ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं. हीलिंग हिमालायज फाउंडेशन के संस्थापक प्रदीप सांगवान कहते हैं कि सबसे अहम चीज है पर्यटकों का शिक्षित एवं जागरूक होना. यात्रा या ट्रेकिंग के दौरान कूड़ा कहां फेंकना है, प्लास्टिक कचरे का क्या करना है, यह सब जानना आवश्यक है. हम जिम्मेदार पर्यटन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय लोगों की मदद से ट्रेक रूट्स और शिमला, मनाली जैसे शहरों का सफाई अभियान चलाते हैं. हमारे प्रयासों के कारण ट्रेकर्स अब कपड़े के बैग्स और रीफील करने वाले बोतल लेकर आते हैं. ट्रैवलर्स में आई इस जागरूकता का ही असर है कि अब ट्रैवल कंपनियां भी ग्रीन ट्रेकिंग को बढ़ावा देने लगी हैं. वे इको-टूरिज्म को प्रोत्साहित कर रही हैं.

वैकल्पिक डेस्टिनेशंस का चुनाव (Choosing new destinations)

हर साल लाखों पर्यटक बाली के लुभावने समुद्र तट और मंदिरों को देखने पहुंचते हैं. भीड़ बढ़ती जा रही. जलमार्ग प्रदूषित हो गए हैं. प्राकृतिक सुंदरता कम हो गई है. इसके बदले आप इंडोनेशिया के लोम्बोक जा सकते हैं, जो बाली से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है. लोम्बोक का शांत समुद्र तट, झरने आपका मन मोह लेंगे. यहां का माउंट रिनजानी साहसिक ट्रेकर्स को एक अछूता स्वर्ग प्रदान करता है. इसी तरह, ओवरक्राउडेड बार्सिलोना जाने की बजाय स्पेन के मिनोर्का एवं वालेंसिया जा सकते हैं. तैरते हुए शहर वेनिस जाने के स्थान पर ट्रिएस्टे को एक्सप्लोर कर सकते हैं. स्लोवेनियाई सीमा के पास स्थित ट्रिएस्टे में इतालवी और मध्य यूरोपीय संस्कृतियों के मिश्रण को देखा जा सकता है. इन दिनों माउंट एवरेस्ट के शिखर पर चढ़ने की भी होड़

लगी है. वहां भीड़ बढ़ने से कई प्रकार की समस्याएं हो रही हैं. आप अन्नपूर्णा सर्किट पर ट्रेकिंग कर सकते हैं. लुभावने पर्वतीय दृश्यों, विविध पारिस्थितिकी तंत्र और कम भीड़ के साथ यह सर्किट एक संतोषजनक ट्रेकिंग विकल्प प्रदान करता है. पीक सीजन में केरल के बैकवाटर या हिल स्टेशन पर अत्यधिक भीड़भाड़ का सामना करने की जगह भारत के पश्चिमी घाट में बसे कूर्ग की यात्रा कर सकते हैं. यहां के कॉफी बागान, धुंध भरी पहाड़ियां आपकी छुट्टियों को कई गुना यादगार बना देंगे.

हाइलाइट्स

राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी 2024 के अनुसार, पर्यटन प्रत्यक्ष रूप से सकल घरेलू उत्पाद में 2.6% और अप्रत्यक्ष रूप से 2.4% का योगदान देता है.

भारत में घरेलू पर्यटकों की संख्या में 95.64 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे वैश्विक यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक में देश की रैंकिंग 65 से बढ़कर 39 हो गई है.

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About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
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