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Colder Winter 2025 : 2025 में सर्दी तोड़ देगी सारे रिकॉर्ड? ला लीना करेगा भारत को फ्रीज?
Authored By: Nishant Singh
Published On: Thursday, October 16, 2025
Last Updated On: Thursday, October 16, 2025
Colder Winter 2025 :2025 की सर्दी आने वाली है कुछ खास. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इस बार ला लीना के प्रभाव से देश में पड़ेगी सामान्य से ज्यादा ठंड, उत्तर भारत में शीत लहरें चलेंगी और पहाड़ों पर जमकर बर्फबारी होगी. हालांकि यह ठंड उतनी भयावह नहीं होगी जितनी डर लगती है, बल्कि सुकून देने वाली और फसलों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Thursday, October 16, 2025
Colder Winter 2025 : भारत में अब मानसून की वापसी लगभग पूरी हो चुकी है और मौसम धीरे-धीरे ठंड की ओर बढ़ रहा है. सुबह-शाम की ठिठुरन अब साफ महसूस की जा सकती है. लेकिन इस बार मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो देश में सामान्य से ज्यादा ठंड पड़ने की संभावना है. इसकी बड़ी वजह है “ला लीना” एक प्राकृतिक जलवायु घटना, जो समुद्र के तापमान और हवाओं के रुख को प्रभावित करती है. पिछले कुछ महीनों से ला लीना का असर देखा जा रहा है, जिसके चलते अच्छी बारिश हुई, और अब उम्मीद है कि ठंड भी कुछ ज्यादा पड़ेगी. हालांकि विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि ठंड इतनी भी नहीं होगी कि जीवन अस्त-व्यस्त हो जाए.
क्या है ‘ला लीना’?
ला लीना वास्तव में समुद्र के भीतर होने वाली एक जटिल जलवायु प्रक्रिया है. यह शब्द स्पेनिश भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है “छोटी लड़की”. यह तब होती है जब प्रशांत महासागर के सतही जल का तापमान सामान्य से काफी नीचे चला जाता है. यह घटना विशेष रूप से भूमध्यरेखा (Equator) के पास के प्रशांत क्षेत्र में घटित होती है. जब यह स्थिति बनती है, तो वहां चलने वाली “ट्रेड विंड्स” यानी व्यापारिक हवाएं सामान्य से तेज़ बहने लगती हैं. ये हवाएं गर्म पानी को महासागर के पश्चिमी हिस्से की ओर धकेल देती हैं, जिससे पूर्वी प्रशांत का जल ठंडा हो जाता है. नतीजतन, ठंडी हवाएं और समुद्री परिस्थितियां दुनिया भर के मौसम को प्रभावित करती हैं और भारत भी इससे अछूता नहीं रहता.
कैसे ला लीना ठंड बढ़ाता है भारत में?
ला लीना के असर से वातावरण में कई बदलाव होते हैं. जब समुद्र का सतही तापमान गिरता है, तो हवाएं भी ठंडी हो जाती हैं. इन हवाओं के असर से उत्तर भारत की ओर शीतल प्रवाह बढ़ जाता है. सर्दियों के दौरान पश्चिम से आने वाले विक्षोभ (Western Disturbances) जब सक्रिय होते हैं, तो वे उत्तर भारत के कई इलाकों में बर्फबारी और बारिश का कारण बनते हैं. यही कारण है कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में ठंड तीव्र हो सकती है. इसके विपरीत दक्षिण भारत में ठंड का असर हल्का रहेगा, क्योंकि वहां समुद्र के निकट होने से तापमान जल्दी नीचे नहीं गिरता.
कितनी ठंड पड़ेगी इस बार?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) और अमेरिकी जलवायु पूर्वानुमान केंद्र दोनों का मानना है कि सर्दी इस बार औसत से अधिक पड़ेगी, यानी तापमान सामान्य से नीचे जाएगा. खासतौर पर दिसंबर और जनवरी में उत्तर भारत के कई हिस्सों में “कोल्ड वेव” यानी शीत लहर चलने की संभावना है. लेकिन राहत की बात यह है कि इतनी भीषण ठंड नहीं होगी कि जनजीवन प्रभावित हो जाए. यानी यह सर्दी “हाड़ कंपाने” वाली तो होगी, लेकिन हद से ज्यादा नहीं.
ला लीना से क्या फायदा होता है?
ला लीना का असर हमेशा नकारात्मक नहीं होता. इसके कारण देश में मानसून बेहतर होता है. 2025 में भारत में अच्छी बारिश हुई, जिससे जलस्तर बढ़ा, किसानों की फसलें बेहतर रहीं और भूजल पुनर्भरण हुआ. पर्यावरणविदों के मुताबिक, ला लीना जैसी प्राकृतिक घटनाएं जलवायु संतुलन बनाए रखती हैं. जैसे गर्मी की तीव्रता बढ़ती है, वैसे ही ठंड का भी अपना योगदान होता है. यानी प्रकृति हर मौसम को संतुलित रखती है.
लेकिन नुकसान भी हैं…
हालांकि, अगर ला लीना का प्रभाव बहुत अधिक हो जाए, तो इसके दुष्प्रभाव भी दिख सकते हैं. अत्यधिक ठंड के कारण कुछ फसलों पर पाला पड़ सकता है, जिससे नुकसान हो सकता है. खासकर सरसों, आलू और गेहूं जैसी रबी फसलों को ठंड की मार झेलनी पड़ सकती है. इसके अलावा गरीब और खुले में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं. इसलिए मौसम विभाग सलाह देता है कि नागरिक पहले से तैयारी करें – गर्म कपड़ों, हीटर और पशुओं की सुरक्षा के इंतजाम समय से कर लें.