साझेदारी की नई इबारत: अफ़ग़ानिस्तान ने फिर चुना भारत, किनारा कर रहा पाकिस्तान से!

साझेदारी की नई इबारत: अफ़ग़ानिस्तान ने फिर चुना भारत, किनारा कर रहा पाकिस्तान से!

Authored By: Sharim Ansari

Published On: Friday, May 16, 2025

Last Updated On: Friday, May 16, 2025

India Afghanistan relations
India Afghanistan relations

अफ़ग़ानिस्तान और भारत के रिश्ते अब एक नई दिशा में बढ़ रहे हैं, जहाँ भारत ने लगातार अफ़ग़ानिस्तान की मदद की है, जबकि पाकिस्तान की नीतियाँ अफ़ग़ान जनता में अविश्वास पैदा कर रही हैं। भारत ने तालिबान के सत्ता में आने के बाद भी अफ़ग़ानिस्तान को दवाइयाँ, अनाज और शिक्षा की मदद दी, जिससे उसकी विश्वसनीयता और रिश्ते मजबूत हुए। भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जैसे संसद भवन, सलमा डैम और चाबहार पोर्ट जैसी परियोजनाएँ। इसके अलावा, पाकिस्तान की अस्थिरता फैलाने वाली नीतियों ने अफ़ग़ानिस्तान को भारत के करीब लाया, जो अब उसे एक सच्चा और भरोसेमंद दोस्त मानता है.

Authored By: Sharim Ansari

Last Updated On: Friday, May 16, 2025

“जब अफ़ग़ानिस्तान को असली मदद की ज़रूरत थी, पाकिस्तान ने दी दग़ा, भारत ने बढ़ाया सहयोग का हाथ।”

भारत ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वह सिर्फ़ कोई कूटनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि मुसीबत में साथ निभाने वाला सच्चा दोस्त है। जब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सत्ता में आया और दुनिया के कई देश पीछे हट गए या सिर्फ़ अपने फ़ायदे की बात करने लगे, तब भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया। भारत ने अफ़ग़ान लोगों को दवाइयां, अनाज, और शिक्षा के मौके देकर यह दिखा दिया कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ सिर्फ़ एक नारा नहीं, बल्कि उसकी विदेश नीति का असली मकसद है।

दूसरी ओर, पाकिस्तान, जो कभी अफ़ग़ान राजनीति में बड़ा असरदार था, अब अफ़ग़ानिस्तान में शक और नाराज़गी का कारण बन गया है। आतंकियों को पनाह देने, सीमा पर झगड़े करने और तालिबान पर दबाव डालने जैसी बातें अफ़ग़ान सरकार और आम लोगों—दोनों को पाकिस्तान से दूर कर रही हैं।

भारत ने सलमा डैम, काबुल का संसद भवन और चाबहार पोर्ट जैसी योजनाओं से सिर्फ़ निर्माण कार्य नहीं किए, बल्कि यह भी दिखाया कि वह एशिया में शांति और तरक़्क़ी लाने के लिए ज़िम्मेदारी निभाना चाहता है।

ऐतिहासिक रिश्तों की नींव पर खड़े हैं आज के संबंध

भारत और अफ़ग़ानिस्तान के रिश्ते केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और मानवीय आधारों पर टिके हुए हैं। काबुल की गलियों में आज भी हिंदी फिल्मों के गाने गूंजते हैं और वहां भारतीय संस्कृति का गहरा असर दिखता है। सम्राट अशोक से लेकर अफ़ग़ान कवि ख़ुशाल ख़ान ख़त्तक तक, साझा विरासत इन संबंधों की नींव रही है।

रणनीतिक साझेदारी और विकास सहयोग

2011 में भारत और अफ़ग़ानिस्तान के बीच हुए Strategic Partnership Agreement (SPA) ने द्विपक्षीय सहयोग को संस्थागत रूप दिया। भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में 3,000 से अधिक विकास परियोजनाओं पर काम किया है – संसद भवन, सलमा डैम, अस्पताल, सड़कें और विद्यालय इसके उदाहरण हैं।

भारत ने अफ़ग़ान सुरक्षाबलों के प्रशिक्षण से लेकर शिक्षा में छात्रवृत्तियों तक, हर क्षेत्र में अफ़ग़ानिस्तान को समर्थन दिया है। यही कारण है कि अफ़ग़ान जनता भारत को एक भरोसेमंद साझेदार मानती है।

व्यापारिक और वैकल्पिक मार्गों में भारत की सक्रियता

2017 में शुरू हुए एयर-फ्रेट कॉरिडोर ने अफ़ग़ानिस्तान को भारतीय बाजार से जोड़ा। इसके अलावा चाबहार पोर्ट के माध्यम से भारत ने पाकिस्तान को बाइपास कर अफ़ग़ानिस्तान के साथ संपर्क स्थापित किया। 2019-20 में भारत-अफ़ग़ान व्यापार $1.5 बिलियन के पार पहुंचा।

मानवीय सहायता और शिक्षा क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका

भारत ने कोविड-19 के दौरान अफ़ग़ानिस्तान को 75,000 टन गेहूं, दवाइयां और मेडिकल किट भेजीं। वहीं हर साल लगभग 1,000 अफ़ग़ान छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। नोएडा, लखनऊ और देहरादून में अफ़ग़ान क्रिकेट टीम को “होम ग्राउंड” भी भारत ने दिया है।

तालिबान से संवाद पर भारत का “वेट एंड वॉच” रुख

भारत ने काबुल में अपने राजनयिक मिशन को फिर से सक्रिय किया है और तालिबान से सीमित संवाद शुरू किया है। हालांकि भारत ने अब तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन मानवीय सहायता के ज़रिए भारत ने अफ़ग़ान जनता के साथ अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।

पाकिस्तान से दूरी: सिर्फ रणनीति नहीं, ज़मीन से जुड़ा सच

पाकिस्तान को अफ़ग़ानिस्तान में अस्थिरता फैलाने वाला देश माना जाता रहा है। तालिबान और पाकिस्तान के बीच डूरंड लाइन को लेकर हाल के वर्षों में तनाव बढ़ा है। पाकिस्तानी ISI पर तालिबान को नियंत्रित करने और आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप भी लगातार लगते रहे हैं।

अफ़ग़ानिस्तान अब भारत को एक ऐसा साझेदार मानता है जो बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के मदद करता है। भारत की “Development First” नीति ने अफ़ग़ानिस्तान को आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया है।

रणनीतिक दृष्टिकोण: भारत के लिए अफ़ग़ानिस्तान क्यों अहम?

भारत के लिए अफ़ग़ानिस्तान सिर्फ एक पड़ोसी देश नहीं, बल्कि मध्य एशिया तक पहुँच का एक अहम मार्ग है। यह क्षेत्र भारत की ऊर्जा सुरक्षा, भू-राजनीतिक संतुलन, और आंतरिक सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद अहम है।

निष्कर्ष

अफ़ग़ानिस्तान का भारत की ओर झुकाव किसी एक कारण का परिणाम नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही साझी विरासत, गहरा विश्वास और ज़मीनी सहयोग की मज़बूत बुनियाद पर खड़ा है। वहीं पाकिस्तान से बढ़ती दूरी यह दिखाती है कि आज की कूटनीति धर्म या भाषा की नहीं, बल्कि भरोसे, पारदर्शिता और सतत सहयोग की भाषा बोलती है.

FAQ

नहीं, भारत ने अब तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है, लेकिन विश्व बंधुत्व की अवधारणा पर संवाद और सहायता जारी रखी है।

सलमा डैम, संसद भवन, ANASTU विश्वविद्यालय और सैकड़ों स्थानीय विकास परियोजनाएं।

हाँ, भारत ने हेलीकॉप्टर, प्रशिक्षण और उपकरणों के रूप में रक्षा सहयोग पहले भी प्रदान किया है।

यह पोर्ट भारत और अफ़ग़ानिस्तान को पाकिस्तान के बिना जोड़ता है, जिससे व्यापार आसान होता है।

ICCR और ITEC स्कीम के तहत हज़ारों छात्रवृत्तियाँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम अफ़ग़ान छात्रों को उपलब्ध हैं.

About the Author: Sharim Ansari
मो. शारिम अंसारी ने कंवर्जेंट जर्नलिज़्म में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है और प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम करते हुए डिजिटल लेखन, रिसर्च और न्यूज़ स्टोरीज़ का अनुभव प्राप्त किया है. इनकी लेखन शैली तथ्यपूर्ण, सरल और प्रभावशाली होती है, जो पाठकों से सीधे जुड़ती है. कंटेंट निर्माण में इनकी पकड़ और गहराई स्पष्ट रूप से झलकती है.
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