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हसीना आउट, तारिक इन: क्या बांग्लादेश में सत्ता का पहिला अब उल्टा घूमेगा?
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Thursday, December 25, 2025
Last Updated On: Thursday, December 25, 2025
तारिक रहमान की घर वापसी ने बांग्लादेश की राजनीति में नई ऊर्जा और बहस दोनों को जन्म दिया है। समर्थकों के लिए वे उम्मीद का चेहरा हैं। जबकि आलोचकों की निगाहें उनके पुराने विवादों और भविष्य की रणनीति पर टिकी हैं। फरवरी का चुनाव तय करेगा कि यह वापसी सिर्फ एक भावनात्मक क्षण बनकर रह जाती है या बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य की दिशा बदल देती है।
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Last Updated On: Thursday, December 25, 2025
बांग्लादेश (Bangladesh) की राजधानी ढाका (Dhaka) की सड़कों पर 25 दिसंबर को एक अलग ही दृश्य था। हज़ारों-लाखों समर्थक, पार्टी के झंडे, नारों की गूंज और कड़ी सुरक्षा के बीच बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान (Tariq Rahman) करीब 17 साल के निर्वासन के बाद देश लौटे। उनकी पार्टी को उम्मीद है कि यह घर वापसी न सिर्फ पार्टी कैडर में नया जोश भरेगी, बल्कि फरवरी में होने वाले आम चुनाव में उनके नेता प्रधानमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार होंगे।
तारिक रहमान की वापसी ऐसे समय पर हुई है, जब बांग्लादेश एक नाज़ुक राजनीतिक दौर से गुजर रहा है। करीब 17.5 करोड़ आबादी वाला यह मुस्लिम-बहुल देश फिलहाल नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत चुनावी प्रक्रिया की तैयारी कर रहा है। पिछले लगभग दो सालों की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद यह चुनाव देश में स्थिरता बहाल करने के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।
तारिक का भव्य स्वागत
ढाका हवाई अड्डे से लेकर स्वागत स्थल तक सड़कों के दोनों ओर BNP समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी। हाथों में तख्तियां, बैनर और फूल लिए लोग अपने नेता की एक झलक पाने को बेताब दिखे। रहमान जब हवाई अड्डे से बाहर निकले तो उन्होंने जूते उतारकर नंगे पांव बांग्लादेश की धरती पर कदम रखा। मिट्टी उठाकर उसे माथे से लगाया। यह दृश्य उनके समर्थकों के लिए भावनात्मक पल बन गया।
तारिक का भावनात्मक संदेश
स्वागत समारोह में अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने ‘प्यारा बांग्लादेश’ कहकर की। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वे सभी धर्मों और समुदायों को साथ लेकर चलना चाहते हैं। ‘हम ऐसा बांग्लादेश बनाएंगे, जिसका सपना एक मां देखती है।’ यह कहते हुए उन्होंने मुसलमानों, हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों से एक समावेशी और सुरक्षित देश के निर्माण में सहयोग की अपील की। रहमान ने यह भी कहा कि उनके पास देश और देशवासियों के लिए एक स्पष्ट योजना है और वे शांति व लोकतंत्र को प्राथमिकता देंगे।
लंबा निर्वासन का अंत
60 वर्षीय तारिक रहमान, पूर्व प्रधानमंत्री और BNP प्रमुख खालिदा जिया (Khaleda Zia) के बेटे हैं। वे 2008 से लंदन (London) में निर्वासन का जीवन जी रहे थे। वे 2018 से पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर कार्य कर रहे थे। इस दौरान उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग समेत कई मामलों में उनकी अनुपस्थिति में दोषी ठहराया गया था। एक मामला पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) की हत्या की कथित साजिश से भी जुड़ा था।
हालांकि, पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में हुए जन आंदोलन के बाद शेख हसीना की सत्ता से विदाई हुई। उनके खिलाफ दिए गए कई फैसले पलट दिए गए। इसके साथ ही तारिक रहमान की वापसी की कानूनी राह साफ हो गई। उनकी घर वापसी की एक निजी वजह भी है, खालिदा जिया लंबे समय से गंभीर रूप से बीमार हैं और रहमान लौटते ही उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे।
बदला हुआ राजनीतिक परिदृश्य
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है। दशकों तक हसीना और खालिदा जिया के बीच सत्ता की अदला-बदली का दौर अब समाप्त होता दिख रहा है। हसीना की अवामी लीग (Awami League) पार्टी को 12 फरवरी को होने वाले चुनाव में हिस्सा लेने से रोक दिया गया है। पार्टी ने अशांति की चेतावनी भी दी है। इससे चुनाव प्रक्रिया को लेकर आशंकाएं बनी हुई हैं।
इसी बीच युवा आंदोलन से उभरी नेशनल सिटिजन पार्टी (National Citizen Party) के नेता नाहिद इस्लाम (Nahid Islam) ने उम्मीद जताई है कि तारिक रहमान देश के लोकतांत्रिक भविष्य को आकार देने में सकारात्मक भूमिका निभाएंगे। उनके मुताबिक सबसे बड़ी चुनौती नई राजनीतिक वास्तविकता में सह-अस्तित्व और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की संस्कृति विकसित करना है।
चुनावी गणित और चिंताएं
अमेरिका स्थित इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट के इसी महीने जारी एक सर्वे के मुताबिक बीएनपी सबसे ज्यादा संसदीय सीटें जीतने की स्थिति में दिखाई दे रही है। इस्लामी जमात-ए-इस्लामी पार्टी भी चुनावी मैदान में है। हालांकि, हाल के दिनों में मीडिया संस्थानों पर हमलों और छिटपुट हिंसा की घटनाओं ने निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
अंतरिम सरकार ने भरोसा दिलाया है कि चुनाव स्वतंत्र और शांतिपूर्ण होंगे, लेकिन ज़मीनी हालात चुनौतीपूर्ण हैं। ऐसे में तारिक रहमान की वापसी को बीएनपी के लिए एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। यह देखना अहम होगा कि वे अपने ‘शांति, समावेशन और लोकतंत्र’ के वादों को किस हद तक ज़मीन पर उतार पाते हैं।















