कौन है पद्म विभूषण तीजन बाई, जिनका एम्स रायपुर में हो रहा है इलाज
कौन है पद्म विभूषण तीजन बाई, जिनका एम्स रायपुर में हो रहा है इलाज
Authored By: सतीश झा
Published On: Monday, December 23, 2024
Updated On: Monday, December 23, 2024
छत्तीसगढ़ की पहचान और देश के दूसरे सर्वोच्च सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित तीजन बाई का एम्स में इलाज शुरू हो गया है। तीजन बाई भारतीय लोककला की एक जीवित किंवदंती हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से न केवल पंडवानी को जीवित रखा, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्थापित किया।
Authored By: सतीश झा
Updated On: Monday, December 23, 2024
पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित तीजन बाई ने पंडवानी के माध्यम से छत्तीसगढ़ का नाम देश विदेश में रोशन किया है। तीजन बाई वास्तव में छत्तीसगढ़ की पहचान हैं। इस लिहाज से राज्य सरकार भी तीजन बाई की देखरेख में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। खुद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तीजन बाई के स्वास्थ्य की जानकारी लेते रहते हैं और अपने प्रतिनिधि के रूप मे उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को तीजन बाई की देखरेख करने की पूरी जिम्मेदारी दी है।
तीजन बाई छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक गायिका और पंडवानी गायन शैली की प्रमुख कलाकार हैं। उनका जन्म 24 अप्रैल 1956 को छत्तीसगढ़ के गनियारी गांव में हुआ था। पंडवानी छत्तीसगढ़ की एक लोक कला है, जिसमें महाभारत की कहानियों को गाने और अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। तीजन बाई ने अपनी अद्वितीय शैली और प्रतिभा से इस प्राचीन कला को न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में पहचान दिलाई।
जीवन परिचय
- तीजन बाई एक गरीब परिवार से थीं। उनके पिता चुन्नीलाल पारधी और माता सुकवारा बाई थे।
- बचपन में उन्हें उनके नाना ब्रजलाल पारधी ने पंडवानी सिखाई।
- मात्र 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन किया।
- उनकी आवाज और प्रस्तुतिकरण शैली ने उन्हें जल्द ही ख्याति दिलाई।
- पंडवानी की कला और योगदान
“कापालिक शैली” में पंडवानी का प्रदर्शन
पंडवानी एक प्रकार का गायन और नाटकीय प्रस्तुति है, जिसमें महाभारत की कहानियों को गाया जाता है। तीजन बाई ने “कापालिक शैली” में पंडवानी का प्रदर्शन किया, जिसमें कलाकार खड़े होकर अभिनय और गायन करते हैं। उन्होंने इस पारंपरिक कला में आधुनिकता का समावेश करते हुए इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके प्रदर्शन में न केवल गायन, बल्कि अभिनय, भाव-भंगिमाएं, और संवाद भी शामिल होते हैं।
प्रमुख उपलब्धियां और सम्मान
- पद्म श्री (1988): कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए।
- पद्म भूषण (2003): भारतीय संस्कृति और कला को बढ़ावा देने के लिए।
- पद्म विभूषण (2019): यह भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो उनके कला जगत में अतुलनीय योगदान के लिए दिया गया।
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1995): संगीत नाटक अकादमी द्वारा उनके उत्कृष्ट योगदान को मान्यता दी गई।
- राष्ट्रीय तुलसी सम्मान (1996): मध्य प्रदेश सरकार द्वारा।
- डॉक्टरेट की उपाधि: इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ द्वारा।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति
तीजन बाई ने दुनिया भर में पंडवानी का प्रदर्शन किया है। उन्होंने ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, जापान, और दुबई जैसे देशों में भारत की लोककला का प्रचार-प्रसार किया। उनके प्रदर्शन ने भारतीय संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। व्यक्तित्व और विरासत तीजन बाई छत्तीसगढ़ की लोककला और परंपरा की जीवित प्रतीक हैं। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी कला के माध्यम से समाज को प्रेरित किया। उनकी कला से नई पीढ़ी को पंडवानी जैसी लोककला को सीखने और संरक्षित करने की प्रेरणा मिलती है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने तीजन बाई की बीमारी की जानकारी मिलते ही उनके समुचित और बेहतर इलाज की व्यवस्था करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए थे। इसी कड़ी में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल तीजन बाई के स्वास्थ्य की जानकारी लेने उनसे मिलने भी पहुंचे थे और पांच लाख की आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करायी थी। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया था कि तीजन बाई के लिए घर में ही मोटराइज्ड रिमोट कंट्रोल आटोमेटिक बेड, बेड टेबल और व्हील चेयर उपलब्ध कराया जाए। निर्देशों का पालन करते हुए स्वास्थ्य विभाग ने तीजन बाई के लिए यह आवश्यक सामान उपलब्ध करा दिया है। इसके साथ ही एक मेडिकल आफिसर और एक फिजियोथिरेपिस्ट को भी तीजन बाई की देखरेख के लिए नियुक्त किया गया है। डाक्टरों की टीम दिन में एक बार उनके घर में ही उनकी स्वास्थ्य जांच करके मेडिकल रिपोर्ट तैयार करती है।
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