Bollywood in Crisis : फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कार्यशैली पर उठाए सवाल, कम होते विश्वास पर जतायी चिंता

Bollywood in Crisis : फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कार्यशैली पर उठाए सवाल, कम होते विश्वास पर जतायी चिंता

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Wednesday, March 12, 2025

Updated On: Wednesday, March 12, 2025

बॉलीवुड संकट: हंसल मेहता ने इंडस्ट्री की कार्यशैली पर उठाए सवाल।
बॉलीवुड संकट: हंसल मेहता ने इंडस्ट्री की कार्यशैली पर उठाए सवाल।

Bollywood in Crisis : क्या बॉलीवुड में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा? अनुराग कश्यप द्वारा इंडस्ट्री में लुप्त होती क्रिएटिविटी पर सवाल उठाए जाने के पश्चात् अब फिल्म निर्माता हंसल मेहता (Hansal Mehta) ने भी सोशल मीडिया पर एक लंबी पोस्ट के जरिये बॉलीवुड में गहराते संकट पर चोट की है. उन्होंने कहा है कि इंडस्ट्री को रीसेट करने की जरूरत है. वहीं, पटकथा लेखक एवं गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) का भी कहना है कि हिंदी सिनेमा ने दर्शकों के साथ जुड़ाव खो दिया है.

Authored By: अंशु सिंह

Updated On: Wednesday, March 12, 2025

हाइलाइट्स

  • हंसल मेहता ने निर्माताओं, निर्देशकों के साथ स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म से कहा कि वे देखें कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में विश्वास, निवेश, धैर्य क्यों गायब हो रहा है?
  • आमिर खान ने कहा कि सिनेमाघरों से दूर हो रहे हैं दर्शक
  • जावेद अख्तर ने डब फिल्मों से मिल रही टक्कर पर जतायी चिंता
  • फिल्म निर्माता सुभाष घई ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की खोती रचनात्मकता पर उठाए सवाल

Bollywood in Crisis: फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने ‘एक्स’ पर एक लंबी पोस्ट लिखी है. पोस्ट में लिखा है कि वह यह मानने से इनकार करते हैं कि बॉलीवुड बर्बाद हो गया है. लेकिन ये स्वीकार करते हैं कि हिंदी सिनेमा को एक रीसेट की आवश्यकता है. पोस्ट में फिल्म ‘शाहिद’ के निर्देशक ने स्वीकार किया कि उद्योग में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. लेकिन खास क्षेत्र में निवेश किया जा रहा है, जो सुरक्षा की गारंटी देते हैं. हालांकि, उन्होंने 9 अभिनेताओं की एक सूची साझा की है, जिसमें आदर्श गौरव (Adarsh Gaurav) , वेदांग रैना, ईशान खट्टर, जहान कपूर, आदित्य रावल, स्पर्श श्रीवास्तव, अभय वर्मा, लक्ष्य और राघव जुयाल के नाम शामिल हैं. हंसल मेहता ने अभिनेता आदर्श को ‘द शेप-शिफ्टर’ कहा है. वे लिखते हैं, ‘द व्हाइट टाइगर’, ‘गन्स एंड गुलाब्स’, ‘ खो गए हम कहां’ से लेकर ‘मालेगांव के प्यारे सुपरबॉयज’ तक आदर्श एक ऐसे अभिनेता हैं, जो भूमिकाओं में खो जाते हैं. वह कोई स्टार नहीं हैं. वह एक गिरगिट है. हॉलीवुड पहले से ही उन पर दांव लगा रहा है. बॉलीवुड को जागने और उस विश्वास से मेल खाने की जरूरत है. यह लड़का एक लंबी रेस का घोड़ा है.

सितारों में नहीं, अभिनेताओं में निवेश करें

हंसल मेहता ने निर्माताओं, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और निर्देशकों को भी सुझाव दिया है. उन्होंने लिखा है, ‘कौन सी चीज़ गायब है? विश्वास. निवेश. धैर्य.’ हंसल ने निर्माताओं से वीकेंड बॉक्स ऑफ़िस नंबरों का पीछा करना बंद करने और प्रतिभाओं को तैयार करने का आग्रह किया. प्लेटफ़ॉर्म से एल्गोरिदम का नहीं, बल्कि अभिनेताओं का समर्थन करना शुरू करने का आह्वान किया. उन्होंने निर्देशकों को सलाह दी कि वे अभिनेताओं को उनकी भूमिका के लिए चुनें, न कि उनकी परिचितता के लिए. सूत्र सरल है, अभिनेताओं में निवेश करें, ‘सितारों’ में नहीं. बिना किसी डर के लिखें. दृढ़ विश्वास के साथ निर्देशन करें.

हिंदी फिल्मों ने दर्शकों से खोया जुड़ाव

इसमें कोई संदेह नहीं है कि बॉलीवुड इस समय इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. ‘स्त्री 2’ और ‘छावा’ जैसी फिल्मों के अलावा साल 2023 में शाह रुख खान की दो फिल्मों ने 1000 करोड़ रुपये की कमाई की थी. आखिर, बॉलीवुड को कौन-सी चीज खाए जा रही है? पटकथा लेखक-गीतकार जावेद अख्तर के अनुसार, उद्योग की सबसे बड़ी विफलता दर्शकों के साथ फिर से जुड़ने में असमर्थता है. हिंदी फिल्मों ने दर्शकों से अपना संपर्क खो दिया है. डब की गई दक्षिण भारतीय फिल्में रिलीज हो रही हैं, जिनमें सितारों से उत्तर भारत के दर्शक अनजान हैं. ये फिल्में 600 से 700 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही हैं. यहां तक कि जो हिंदी फिल्में चल भी रही हैं, वे भी दक्षिण की फिल्मों से ही प्रेरित या रीमेक होती हैं. हमारे लोगों को क्या हो गया है?

बॉलीवुड के बिजनेस मॉडल पर आमिर ने उठाए सवाल

हिंदी सिनेमा पर आए इस संकट के बारे में आमिर खान का कहना है कि यह मुद्दा ‘दक्षिण बनाम उत्तर’ फिल्मों के बारे में नहीं है. असल में हम जिस समस्या का सामना कर रहे हैं, वह कुछ अलग है. दरअसल, बॉलीवुड एक दोषपूर्ण व्यवसाय मॉडल के कारण संघर्ष कर रहा है. हमारा उद्योग ही एकमात्र ऐसा है, जो लोगों से अनुरोध करता है कि कृपया आएं और हमारा उत्पाद (फिल्म) देखें. यदि लोग नहीं आते हैं, तो हम आठ सप्ताह में (ओटीटी प्लेटफार्मों के माध्यम से) उनके दरवाजे पर इसे छोड़ देते हैं. आठ सप्ताह के बाद आपको मेरी फिल्म देखने को मिलेगी, जिसके लिए आपने पहले ही भुगतान कर दिया है (सदस्यता के माध्यम से). मुझे नहीं पता कि एक ही उत्पाद को दो बार कैसे बेचा जाए. पहले मैं फिल्में देखता था, क्योंकि मेरे पास कोई विकल्प नहीं था. अब मैं इसके शौक के लिए सिनेमाघरों में जाता हूं. चूंकि हम कहीं भी फिल्में देख सकते हैं, इसलिए सिनेमाघरों में जाने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसलिए हमने अपने खुद के व्यवसाय मॉडल को खत्म कर दिया है.

सिनेमा के प्रति प्यार हुआ गुम

उधर, सन् 80 और 90 के दशक में ‘खलनायक’, ‘परदेस’, ‘ताल’ और ‘राम लखन’ जैसी बॉलीवुड की कुछ सबसे प्रतिष्ठित फिल्में देने वाले फिल्म निर्माता सुभाष घई का मानना है कई लोगों के लिए फिल्म निर्माण कलात्मक खोज के बजाय सिर्फ एक काम बन गया है. घई ने यह भी बताया कि उन्होंने फिल्में बनाना क्यों बंद कर दिया? यूट्यूब चैनल गेम चेंजर्स पर बात करते हुए घई ने कहा, ‘मैंने फिल्में बनाना बंद कर दिया, क्योंकि मुझे अब सिनेमा के प्रति प्यार नहीं दिखता.लोगों में ही नहीं. मेरी अपनी टीम में भी नहीं है. वे सभी बस काम कर रहे हैं. उन्होंने फिल्म निर्माण के वर्तमान दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए कहा कि यहां कौशल खरीदे जा रहे हैं. सच्चा रचनात्मक सहयोग लुप्त होता जा रहा है. वाट्सएप पर स्क्रिप्ट लिखे एवं भेजे रहे हैं.’

About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
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