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क्रांतिकारी बदलाव: यूजीसी (UGC) ने विश्वविद्यालयों को साल में दो बार दाखिला देने की दी छूट

क्रांतिकारी बदलाव: यूजीसी (UGC) ने विश्वविद्यालयों को साल में दो बार दाखिला देने की दी छूट

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Thursday, June 13, 2024

Updated On: Thursday, June 27, 2024

ugc ne vishaw vidyalayo ko sal me do bar dakhila dene ki di chhoot
ugc ne vishaw vidyalayo ko sal me do bar dakhila dene ki di chhoot

छात्रों के लिए नई राह खोलते हुए, भारतीय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब देश के शीर्ष शिक्षण संस्थान विदेशी विश्वविद्यालयों की तरह साल में दो बार छात्रों को दाखिला दे सकेंगे। यह निर्णय न सिर्फ छात्रों को लाभान्वित करेगा बल्कि भारतीय उच्च शिक्षा को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने में भी मददगार साबित होगा।

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Updated On: Thursday, June 27, 2024

द्विवार्षिक दाखिला: छात्रों के लिए नई संभावनाएं, समय और विकल्प की बचत

छात्रों की बढ़ती मांग को पूरा करने और उन्हें अधिक विकल्प उपलब्ध कराने के लिए यूजीसी ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है। साल में दो बार दाखिला मिलने से न केवल समय की बचत होगी बल्कि छात्र अपनी पसंद के विषय और संस्थान को चुनने में भी सक्षम होंगे। इससे उन छात्रों को सबसे ज्यादा लाभ होगा, जो किन्हीं कारणों से साल में एक बार शुरू होने वाले सत्र में प्रवेश नहीं ले पाते थे। इन छात्रों का अब एक साल बर्बाद नहीं होगा।

वैश्विक धारा से कदम मिलाते भारतीय विश्वविद्यालय

दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में साल में दो बार एडमिशन लिया जाता है। इससे उन छात्रों को लाभ होता है, जो किसी वजह से जुलाई-अगस्त वाले सत्र में प्रवेश नहीं ले पाते हैं। ऐसे बच्चों को नामांकन के लिए पूरे एक साल का इंतजार करना पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए और भारतीय विश्वविद्यालयों को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने यह बड़ा कदम उठाया है।

शैक्षणिक सत्र की परंपरागत व्यवस्था

वर्तमान में यूजीसी उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) को जुलाई-अगस्त से शुरू होने वाले शैक्षणिक सत्र में छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति देते हैं। एक ‘शैक्षणिक सत्र’ बारह महीने का होता है, जो जुलाई-अगस्त में शुरू होता है। इसलिए, भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान जुलाई-अगस्त में शुरू होने वाले और मई-जून में समाप्त होने वाले शैक्षणिक सत्र का पालन करते हैं।
यूजीसी ने 25 जुलाई 2023 को आयोजित अपने 571वें आयोग में एक शैक्षणिक वर्ष के दौरान जनवरी और जुलाई में ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ओडीएल) और ऑनलाइन मोड के तहत द्विवार्षिक प्रवेश की अनुमति देने का निर्णय लिया था।

ओडीएल-ऑनलाइन में द्विवार्षिक दाखिले से लाखों छात्रों को मिला लाभ

यूजीसी डीईबी पोर्टल पर उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा दी गई जानकारी को ध्यान दें तो ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ओडीएल) और ऑनलाइन मोड के लिए एक वर्ष में दो बार प्रवेश की अनुमति दिए जाने के बाद, जुलाई 2022 में कुल 19,73,056 छात्रों का नामांकन हुआ और जनवरी 2023 में ओडीएल और ऑनलाइन कार्यक्रमों में अतिरिक्त 4,28,854 चारों ने नामांकन कराया। नामांकन की यह संख्या दर्शाती हैं कि एक वर्ष में दूसरे शैक्षणिक सत्र की अनुमति देने से लगभग पांच लाख छात्रों को एक पूर्ण शैक्षणिक वर्ष की प्रतीक्षा किए बिना अपने डिग्री कार्यक्रमों में शामिल होने में मदद मिली है।

द्विवार्षिक प्रवेश में ओडीएल और ऑनलाइन कार्यक्रमों में छात्रों की जबरदस्त प्रतिक्रिया और रुचि को देखते हुए, इस साल 15 मई को आयोजित अपनी बैठक में यूजीसी ने एक नीतिगत निर्णय लिया। इस निर्णय में नियमित पाठ्यक्रम में भी उच्च शिक्षा संस्थानों को आगामी शैक्षणिक सत्र से वर्ष में दो बार जनवरी-फरवरी और जुलाई-अगस्त में छात्रों को नामांकन कराने की अनुमति दी जाए। यूजीसी के इस निर्णय से अब सभी पाठ्यक्रमों (ऑनलाइन, डिस्टेंश और रेगुलर) में संस्थान वर्ष में दो बार छात्रों को प्रवेश दे सकेंगे।

द्विवार्षिक दाखिला नीति: संस्थानों को दिया गया विकल्प, बुनियादी ढांचे पर जोर

हालांकि इसे यूजीसी ने सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए जरूरी नहीं किया है। यह संस्थानों पर छोड़ा है कि वह चाहे तो वर्ष में दो बार नामांकन प्रक्रिया के तहत छात्रों को प्रवेश दे सकते हैं। खासकर जिन संस्थानों के पास आवश्यक बुनियादी ढांचा और शिक्षण संकाय है, वे छात्रों को द्विवार्षिक रूप से प्रवेश देने के अवसर का उपयोग कर सकते हैं। यूजीसी का यह उदारवादी निर्णय उन संस्थानों को प्रदान करता है जो अपने छात्र प्रवेश को बढ़ाना चाहते हैं और उभरते क्षेत्रों में नए कार्यक्रम पेश करना चाहते हैं। इसके लिए संस्थानों को अपने संस्थागत नियमों में उपयुक्त संशोधन करने होंगे।

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।

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