Delhi-NCR में पुराने वाहन मालिकों को राहत, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
Authored By: संतोष आनंद
Published On: Tuesday, August 12, 2025
Last Updated On: Tuesday, August 12, 2025
यह मामला इस सवाल को उठाता है कि क्या भारत को वाहनों की उम्र के आधार पर प्रतिबंध लगाना चाहिए या सभी वाहनों के लिए प्रदूषण स्तर की जांच को अपनाना चाहिए। अभी के लिए कोर्ट का आदेश 1 नवंबर की समय सीमा से पहले प्रभावित वाहन मालिकों को अस्थायी राहत देता है।
Authored By: संतोष आनंद
Last Updated On: Tuesday, August 12, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) में 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के खिलाफ कोई सख्त कदम न उठाने का आदेश दिया है, जब तक कि अगला आदेश नहीं आता है। यह आदेश दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें जुलाई 2025 के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के निर्देश को चुनौती दी गई थी। इस निर्देश में कहा गया था कि ऐसे वाहनों को फ्यूल स्टेशनों पर तेल नहीं दिया जाएगा और 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार इन्हें स्क्रैप करना होगा।
यह विवाद 2015 से शुरू हुआ, जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने दिल्ली-NCR में हवा के प्रदूषण को कम करने के लिए 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इस आदेश को सही ठहराया था। 2024 में दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर पुराने वाहनों को हटाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। फिर जुलाई 2025 में CAQM ने घोषणा की कि 1 जुलाई से दिल्ली और कुछ NCR जिलों में इन वाहनों को फ्यूल स्टेशनों पर तेल नहीं मिलेगा।
लोगों का विरोध और देरी
जुलाई में इस नियम को लागू करने के बाद वाहन मालिकों ने गलत तरीके से वाहनों को चिह्नित करने की शिकायत की। दिल्ली सरकार ने तकनीकी समस्याओं का हवाला देकर इस नियम को लागू करने में देरी की मांग की थी। 8 जुलाई को CAQM ने दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद और सोनीपत में इस नियम के लागू होने को 1 नवंबर, 2025 तक टाल दिया।
दिल्ली सरकार की याचिका
26 जुलाई को दिल्ली सरकार ने 2018 के आदेश में बदलाव के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर की। सरकार का कहना था कि 2018 के बाद से उत्सर्जन की सख्त निगरानी, व्यापक प्रदूषण टेस्टिंग और BS-VI नियम लागू हो चुके हैं, जिसके चलते उम्र के आधार पर प्रतिबंध जरूरी नहीं है। याचिका में केंद्र सरकार और CAQM से वैज्ञानिक अध्ययन कराने की मांग की गई ताकि यह पता लगे कि क्या यह प्रतिबंध वास्तव में पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। अगस्त की शुरुआत में RTI जवाबों से पता चला कि CAQM ने इस साल प्रतिबंध को फिर से लागू करने से पहले कोई नया शोध नहीं किया था।
सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम राहत
मंगलवार की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का जिक्र किया। चीफ जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच ने केंद्र को नोटिस जारी किया, जिसका जवाब चार हफ्तों में देना है। कोर्ट ने कहा कि तब तक इन वाहनों के मालिकों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया जाएगा।
मामला क्या है?
यह मामला इस सवाल को उठाता है कि क्या भारत को वाहनों की उम्र के आधार पर प्रतिबंध लगाना चाहिए या सभी वाहनों के लिए प्रदूषण स्तर की जांच को अपनाना चाहिए। अभी के लिए कोर्ट का आदेश 1 नवंबर की समय सीमा से पहले प्रभावित वाहन मालिकों को अस्थायी राहत देता है।