बिहार में चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर बवाल: SIR वापसी की मांग तेज, कई संगठन मैदान में

Authored By: सतीश झा

Published On: Monday, September 8, 2025

Last Updated On: Monday, September 8, 2025

Bihar Election Commission SIR Controversy पर प्रदर्शन और विरोध की खबर.
Bihar Election Commission SIR Controversy पर प्रदर्शन और विरोध की खबर.

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) से ठीक पहले चुनाव आयोग (Election Commission of India) द्वारा कराए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर बवाल तेज हो गया है. सामाजिक संगठनों, विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया के तहत लाखों लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया जा रहा है, जिससे उनके लोकतांत्रिक अधिकार का हनन हो रहा है.

Authored By: सतीश झा

Last Updated On: Monday, September 8, 2025

Bihar Election Commission SIR Controversy: नेशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट्स (NAPM) ने चुनाव आयोग से SIR को तुरंत रोकने की मांग की है. संगठन का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया “बेतुकी, अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक” है और इसे जारी रखना करोड़ों भारतीयों के मताधिकार पर सीधा हमला है.

जानकारी के मुताबिक, 25 जून से शुरू हुई इस प्रक्रिया में 65 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए. सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए आयोग को हटाए गए नामों और कारणों की सूची सार्वजनिक करने का आदेश दिया, जिसके बाद कई अनियमितताओं का खुलासा हुआ. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पुनरीक्षण का सिद्धांत बहिष्कार नहीं, बल्कि समावेशन होना चाहिए.

NAPM और कई विपक्षी नेताओं का आरोप है कि SIR के नाम पर मतदाता पंजीकरण को नागरिकता परीक्षण में बदला जा रहा है, जिससे गरीब, महिलाएँ और अल्पसंख्यक सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं. संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग की पूरी प्रक्रिया की जांच कराने और दोषी अधिकारियों को दंडित करने की मांग की है.

एन.ए.पी.एम मांग करता है कि भारतीय निर्वाचन आयोग:

  • बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की बेतुके, लोकतांत्रिक और असंवैधानिक प्रक्रिया को तुरंत रोके.अपनी संवैधानिक जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए, चुनाव आयोग एक पारदर्शी और समावेशी मतदाता पंजीकरण अभ्यास करें, जो सभी भारतीयों के मताधिकार के लिए सुविधाजनक हो.भविष्य में, देश के किसी अन्य भाग / राज्य में, SIR-बिहार जैसी असंवैधानिक प्रक्रिया को दोहराने से चुनाव आयोग को बचना चाहिए.
  • मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करने हेतु, SIR तैयार करने और संचालित करने के लिए, सर्वोच्च न्यायालय चुनाव आयोग में दोषी अधिकारियों को दंडित करे.
  • सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में, चुनावी धोखाधड़ी और धांधली के आरोपों की जाँच कराए.
  • सर्वोच्च न्यायालय इस पूरी प्रक्रिया की संवैधानिकता पर समय रहते हुए, न्यायपूर्ण और समग्र दृष्टिकोण अपनाए तथा भारत निर्वाचन आयोग को निर्देश दे कि वह ऐसा कुछ न करे जिससे लाखों नागरिकों के मताधिकार का हनन हो.

लोकतंत्र के इस बुनियादी अधिकार को बचाने की अपील करते हुए कार्यकर्ताओं ने कहा है – “वोट देने का अधिकार छीनना लोकतंत्र को भीतर से कमजोर करने की साजिश है, इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता.”

दूसरी ओर, कांग्रेस (Congress) नेता प्रमोद तिवारी (Pramod Tiwari) ने बिहार में लागू किए गए SIR को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि इस सिस्टम के ज़रिए बिहार में वोटों की धांधली की गई है. तिवारी ने दावा किया, “बिहार में SIR लागू हुआ, वोटों की चोरी की गई. जिंदा लोगों को मरा हुआ घोषित कर दिया गया और मरे हुए लोगों को जिंदा दिखाया गया. यह लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ है.”

प्रमोद तिवारी ने चेतावनी दी कि यदि यही प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर किया गया तो कांग्रेस और INDIA गठबंधन इसका कड़ा विरोध करेगा. उन्होंने कहा कि अभी तो यह आंदोलन बिहार तक सीमित है, लेकिन इसे जनता का अपार समर्थन मिला है. आने वाले दिनों में यह विरोध कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैल जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में जिन लोगों को भी ज़रा-सा विश्वास है, वे सभी इस कदम का विरोध करेंगे.

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About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है


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