हेमंत सोरेन और पशुपति पारस से कितना लाभ मिलेगा राजद-कांग्रेस को ?
Authored By: सतीश झा
Published On: Sunday, September 7, 2025
Last Updated On: Monday, September 8, 2025
राजद के तेजस्वी यादव(Tejashwi Yadav) और कांग्रेस के राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने करीब 16 दिनों तक बिहार में कई किलोमीटर की यात्रा की और लोगों से संवाद किया. अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के हेमंत सोरेन (Hemant Soren) और लोकजनशक्ति पार्टी के पशुपति पारस (Pashupati Paras) ने भी साथ आने की घोषणा कर दी. ऐसे में सवाल उठने लगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में इससे महागठबंधन (INDIA) को कितना लाभ मिलेगा ?
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Monday, September 8, 2025
Hemant Soren Pashupati Benefit: बिहार की सियासत में महागठबंधन को मजबूती देने के लिए नया समीकरण बनता दिख रहा है. इंडिया (INDIA) गठबंधन की अहम बैठक में आज बड़ा फैसला लिया गया. अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और लोक जनशक्ति पार्टी पशुपति पारस गुट भी बिहार में गठबंधन के साथ मिलकर आगामी चुनाव लड़ेंगे. दोनों दलों को गठबंधन की ओर से सीटें देने पर सहमति बन गई है.
बैठक के बाद कांग्रेस (Congress) के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम (Rajesh Ram) ने बताया कि चर्चा बेहद सकारात्मक रही और अधिकांश सीटों पर फार्मूला तय कर लिया गया है. उन्होंने कहा, “गठबंधन में नए दल शामिल हो रहे हैं. ऐसे में दोनों नए दलों को भी सीट देनी है. इसलिए हर पार्टी सीटों के मामले में कुछ त्याग करेगी. हम जल्द ही सीट फार्मूले को अंतिम रूप देंगे.”
राजेश राम ने यह भी स्पष्ट किया कि गठबंधन में झामुमो और लोजपा (पशुपति) को शामिल करना सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण कदम है. इससे बिहार में महागठबंधन की पकड़ और मज़बूत होगी. इस दौरान उन्होंने केरल कांग्रेस के विवादित ट्वीट पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि ट्वीट को तुरंत हटा लिया गया और उसका अर्थ बिहार में गलत तरीके से लिया गया. मामला अब खत्म हो चुका है.
पशुपति कुमार पारस इन दिनों बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं. इंडिया गठबंधन में शामिल होने की घोषणा के बाद उनके समर्थन आधार और चुनावी ज़मीन पर गहन चर्चा शुरू हो गई है. पशुपति पारस की राजनीति मुख्य रूप से बिहार के खगड़िया, समस्तीपुर, बेगूसराय, हाजीपुर और मधुबनी जैसे इलाकों में प्रभावशाली मानी जाती है. यह क्षेत्र न सिर्फ़ यादव–दलित–पिछड़ा समीकरण से प्रभावित है, बल्कि यहां पासवान समाज का बड़ा जनाधार भी है, जो उनके भाई और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत से जुड़ा हुआ है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पारस की सबसे बड़ी ताकत उनका दलित वोट बैंक, विशेषकर दूसाध समुदाय में मजबूत पकड़ है। यही वजह है कि चाहे NDA हो या अब INDIA गठबंधन, दोनों ही गुट उन्हें अपने साथ रखने में फायदे का सौदा मानते हैं. हालांकि, यह भी सच है कि चिराग पासवान के उभरते कद और युवा छवि ने पारस की ज़मीन को चुनौती दी है. हाजीपुर सीट पर हालिया संघर्ष ने यह साफ़ कर दिया है कि पासवान परिवार की राजनीति अब दो ध्रुवों में बंट चुकी है.
कुल मिलाकर, झामुमो और पशुपति पारस गुट को शामिल करने का फैसला इंडिया गठबंधन के लिए चुनावी रणनीति का बड़ा बदलाव माना जा रहा है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) की मौजूदगी से महागठबंधन को सीमावर्ती जिलों में आदिवासी और झारखंड से जुड़े मतदाताओं पर प्रभाव डालने में मदद मिलेगी. वहीं, पशुपति पारस के जुड़ने से उत्तर बिहार और खासकर पासवान समाज में महागठबंधन अपनी पकड़ मज़बूत कर सकता है. विश्लेषकों के अनुसार, अगर इन दोनों नेताओं का समर्थन जमीनी स्तर तक असर दिखाता है तो आगामी विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) में राजद-कांग्रेस गठबंधन को निर्णायक बढ़त मिल सकती है. हालांकि, इसके लिए संगठनात्मक मजबूती और सीट बंटवारे की रणनीति बेहद अहम होगी.
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