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अमेरिका के एच-1बी वीज़ा शुल्क में भारी वृद्धि: भारत के युवाओं के लिए चुनौती और अवसर
Authored By: सतीश झा
Published On: Sunday, September 21, 2025
Last Updated On: Sunday, September 21, 2025
अमेरिका ने एच-1बी वीज़ा शुल्क में बड़ी बढ़ोतरी की घोषणा की है, जिससे भारत के युवाओं और तकनीकी पेशेवरों के लिए वहां रोजगार और उच्च शिक्षा के अवसर कठिन हो गए हैं. इस फैसले पर कांग्रेस (Congress) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को कमजोर बताने की कोशिश की, लेकिन हकीकत यह है कि दशकों तक कांग्रेस (Congress) की कमजोर नीतियों ने ही युवाओं के लिए रोजगार और अवसरों का अभाव पैदा किया.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Sunday, September 21, 2025
H1B Visa Fee Hike USA: दशकों तक कांग्रेस के शासनकाल में रोजगार सृजन ठहराव का शिकार रहा और युवाओं के लिए देश में ही भविष्य बनाने के अवसर बेहद सीमित रहे. परिणामस्वरूप, पढ़ाई और रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में युवा विदेश का रुख करने लगे. अब अमेरिका द्वारा एच-1बी वीज़ा शुल्क में की गई भारी वृद्धि ने इस समस्या को और गहरा कर दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से भारतीय युवाओं और तकनीकी पेशेवरों के लिए अमेरिका में रोजगार और उच्च शिक्षा के अवसर और कठिन हो जाएंगे.
राजनीतिक हलकों में इसे लेकर कांग्रेस और सत्तारूढ़ दल के बीच बयानबाजी भी तेज हो गई है. कांग्रेस जहां इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है, वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि असली जिम्मेदार कांग्रेस की ही कमजोर नीतियाँ हैं, जिन्होंने रोजगार सृजन को ठप कर देश के युवाओं को विदेश पलायन के लिए मजबूर किया.
कांग्रेस (Congress) के लंबे शासनकाल में रोजगार सृजन, उच्च तकनीकी उद्योगों, स्टार्टअप्स और कौशल विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया. परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में युवा पढ़ाई और रोजगार के लिए विदेश का रुख करने लगे. अब अमेरिकी वीज़ा शुल्क में बढ़ोतरी ने इस समस्या को और स्पष्ट कर दिया है.
वहीं, मोदी सरकार (Modi Govt) ने ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘अटल इनोवेशन मिशन’ जैसी योजनाओं के जरिए युवाओं को देश में ही अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने हाल ही में गुजरात के भावनगर में ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम के दौरान 34,200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करते हुए कहा कि भारत को चिप्स से लेकर जहाजों तक हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना होगा. जितना हम दूसरों पर निर्भर रहेंगे, उतना ही असफलता का खतरा बढ़ेगा.
उद्योग जगत ने भी अमेरिकी फैसले पर प्रतिक्रिया दी है. इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई ने कहा कि एच-1बी वीज़ा शुल्क में बढ़ोतरी से नए आवेदनों में कमी आ सकती है, लेकिन यह धारणा गलत है कि कंपनियां इसे सस्ते श्रम के लिए इस्तेमाल करती हैं.
वहीं, नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत (Amitabh Kant) ने कहा कि इस फैसले से नवाचार और स्टार्टअप की अगली लहर भारत के बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में केंद्रित होगी. उद्योग निकाय नैस्कॉम ने चेताया कि वीज़ा शुल्क में बढ़ोतरी से भारतीय आईटी कंपनियों और वैश्विक परियोजनाओं की निरंतरता प्रभावित हो सकती है, हालांकि भारतीय कंपनियां पहले से ही स्थानीय भर्तियों को बढ़ाकर इस निर्भरता को कम कर रही हैं.
नैस्कॉम का कहना है कि एच-1बी कर्मचारी अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कोई खतरा नहीं हैं, बल्कि उच्च कौशल प्रतिभा वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता और नवाचार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी तकनीकों में तेजी से प्रगति हो रही है.
कुल मिलाकर, अमेरिका का यह कदम भारत के लिए एक चुनौती भी है और अवसर भी. चुनौती इसलिए कि यह भारतीय युवाओं के लिए विदेश में काम और पढ़ाई को कठिन बनाता है. अवसर इसलिए कि इससे भारत में ही नवाचार, स्टार्टअप्स और कौशल विकास को नई गति मिलेगी. यही आत्मनिर्भरता का रास्ता भारत को विदेशी निर्भरता से बाहर निकालकर वैश्विक मंच पर और सशक्त बना सकता है.
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