Assembly Election News
जरा भी रिस्क नहीं लेना चाहती है BJP, चुनावी राज्यों में सीनियर नेताओं के हाथों में दिया है कमान
Authored By: सतीश झा
Published On: Thursday, September 25, 2025
Last Updated On: Thursday, September 25, 2025
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections ) उसके लिए किसी प्रयोग या जोखिम का मैदान नहीं होंगे. बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राजनीतिक रूप से अहम राज्यों में चुनावी प्रभार सीनियर नेताओं को सौंपकर पार्टी ने संकेत दिया है कि उसकी रणनीति पूरी तरह से परिपक्व और आक्रामक होगी.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Thursday, September 25, 2025
BJP Election Strategy Senior Leaders: भाजपा को भलीभांति पता है कि इन राज्यों में उसकी चुनावी यात्रा आसान नहीं है. बिहार में महागठबंधन की मौजूदगी, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की गहरी जड़ें और तमिलनाडु में द्रविड़ राजनीति की पकड़, पार्टी के लिए कड़ी चुनौती हैं. ऐसे में सीनियर नेताओं को जिम्मेदारी देकर BJP ने यह संदेश दिया है कि वह हर हाल में संगठन को मजबूत कर चुनावी समीकरण अपने पक्ष में करना चाहती है.
बिहार में धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) की नियुक्ति इसी रणनीति का हिस्सा है. यूपी और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में चुनावी अनुभव रखने वाले प्रधान न केवल संगठनात्मक कामकाज में निपुण हैं, बल्कि विपक्ष की रणनीति को भांपकर उसका जवाब देने की क्षमता भी रखते हैं. यह भाजपा की उस सोच को दर्शाता है जिसमें नेतृत्व और संगठन दोनों स्तरों पर तालमेल बैठाकर चुनावी जंग लड़ी जाएगी.
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में भी पार्टी की मंशा साफ है. वह केवल प्रतीक्षा करने वाली ताकत नहीं, बल्कि विपक्षी खेमों में सेंध लगाने और अपने आधार को लगातार विस्तार देने वाली पार्टी बनकर सामने आना चाहती है.पश्चिम बंगाल में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) को प्रभारी और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब को सह-प्रभारी बनाना भाजपा की दूरदर्शिता को दर्शाता है. तमिलनाडु में भाजपा ने ओडिशा से सांसद बैजयंत पांडा (Baijyant Panda) को प्रभारी और महाराष्ट्र से मुरलीधर मोहोल को सह-प्रभारी नियुक्त किया है.
पश्चिम बंगाल में भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं. पार्टी ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को प्रभारी और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब को सह-प्रभारी नियुक्त किया है. यह कदम भाजपा की दूरदर्शी रणनीति और संतुलित दृष्टिकोण का संकेत देता है. भूपेंद्र यादव का संगठनात्मक अनुभव पार्टी के लिए अहम साबित हो सकता है. वे पहले भी कई बड़े राज्यों में चुनावी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं और उनकी रणनीतिक समझ विपक्ष की गहरी जड़ों को चुनौती देने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है. पश्चिम बंगाल जैसे जटिल राजनीतिक परिदृश्य में उनका अनुभव भाजपा को संगठनात्मक मजबूती देगा.
वहीं, बिप्लब देब का पूर्वोत्तर में काम करने का अनुभव पार्टी को बंगाल के स्थानीय समीकरणों और मतदाताओं की मानसिकता को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगा. त्रिपुरा जैसे राज्य में सत्ता हासिल करने का उनका अनुभव बंगाल में भाजपा की चुनावी रणनीति को धार दे सकता है.
इस नियुक्ति से साफ है कि भाजपा केवल केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर नहीं रहना चाहती. पार्टी बंगाल में स्थानीय अनुभव और रणनीति का संयोजन करके टीएमसी के मजबूत गढ़ को चुनौती देने की तैयारी में है.
दरअसल, भाजपा जानती है कि इन राज्यों में सफलता केवल सत्ता समीकरण बदलने तक सीमित नहीं होगी, बल्कि इससे राष्ट्रीय राजनीति में भी उसका आधार और मजबूत होगा. यही वजह है कि पार्टी ज़रा भी रिस्क लिए बिना सीनियर नेताओं के अनुभव और संगठनात्मक क्षमता पर भरोसा कर रही है.
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