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Lawrence Bishnoi’s Gangs: लॉरेंस बिश्नोई जैसे भारतीय गिरोह कैसे बन रहा अंतरराष्ट्रीय खतरा
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Thursday, October 9, 2025
Last Updated On: Thursday, October 9, 2025
कनाडा के सरे में हाल ही में हुई गोलीबारी के बाद, लॉरेंस बिश्नोई गिरोह जैसे गिरोहों के नेतृत्व में भारतीय मूल के संगठित अपराध दुनिया भर में बढ़ रहे हैं। ये गिरोह विदेशों में हिंसा फैलाने के लिए प्रवासी नेटवर्क और डिजिटल साधनों का इस्तेमाल करते हैं। इन गिरोहों को खत्म करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और प्रत्यर्पण समझौते आदि को और मजबूत करने की जरूरत है
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Last Updated On: Thursday, October 9, 2025
Lawrence Bishnoi’s Gangs: विभिन्न देशों (विशेषकर कनाडा) में रहने वाले प्रवासी भारतीयों में से कुछ संगठित अपराध की दुनिया में अपनी पैठ बना रहे हैं. वे भारत सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध कर रहे हैं. कुछ समय पहले तक, ये गिरोह भारत के मुख्य क्षेत्रों तक ही सीमित थे, लेकिन अब ये गिरोह विदेशी धरती पर हिंसा और जबरन वसूली जैसे अपराध कर रहे हैं. कनाडा की उपनगरीय सड़कों से लेकर यूरोप के बंदरगाहों तक, ये गिरोह अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए प्रवासी नेटवर्क, डिजिटल साधनों और असुरक्षित सीमाओं का फायदा उठाते हैं.
कनाडा के सरे में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़ी हालिया गोलीबारी इस बढ़ते अपराध की ओर इशारा करता है. ये गिरोह विदेशों में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए एक गंभीर खतरा और अंतरराष्ट्रीय खतरे पैदा कर रहे हैं.
सरे में गिरोह का हमला
कनाडा के सरे, साउथ सरे और मेपल रिज इलाकों में एक भारतीय रेस्टोरेंट चेन के मालिक से जुड़े ठिकानों पर 7 अक्टूबर को गोलीबारी की कई घटनाएं हुई. लॉरेंस बिश्नोई के सहयोगी गोल्डी ढिल्लों ने सोशल मीडिया के ज़रिए इन घटनाओं की ज़िम्मेदारी ली. ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में व्यवसायी नवी धेसी से जुड़ी संपत्तियों को निशाना बनाया गया.
गुजरात की जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई सिंडिकेट ने अपने सहयोगी फतेह पुर्तगाल द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो के ज़रिए इसकी ज़िम्मेदारी ली. धेसी के स्विफ्ट 1200 एएम रेडियो स्टेशन पर गिरोह-विरोधी सामग्री प्रसारित करने के कुछ ही घंटों बाद ये हमले हुए.
बिश्नोई गिरोह आतंकवादी संगठन घोषित
पिछले महीने ही कनाडा ने बिश्नोई गिरोह को आतंकवादी संगठन घोषित किया था. बताया जाता है कि दुनिया भर में इसके 700 से ज़्यादा सदस्य हैं. कथित प्रतिद्वंद्वी संबंधों के कारण 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और जून 2025 में ब्राम्पटन, ओंटारियो में व्यवसायी हरजीत सिंह की हत्या से भी यह गिरोह जुड़ा है.
इसके अलावा मारे गए हरदीप सिंह निज्जर के चचेरे भाई रघबीर सिंह निज्जर की कंपनी पर भी कई धमकियों के बाद हमला किया गया. सरे स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में भी जबरन वसूली की मांग पूरी न करने पर धमकी दी गई थी। इस बढ़ते अपराध के मद्देनजर कनाडा सरकार ने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया. इससे अधिकारियों को उसकी संपत्ति जब्त करने और उसके वित्तीय नेटवर्क को ध्वस्त करने आदि के अधिकार मिल गया.
गोल्डी बरार गुर्गे
वैश्विक स्तर पर हो रहे इन अपराधों में सिर्फ बिश्नोई गिरोह अकेला नहीं है. पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मास्टरमाइंड गोल्डी बरार जैसे अन्य गुर्गे भी कनाडा से आपराधिक नेटवर्क का संचालन कर रहे हैं. इसी तरह जर्मनी में रहने वाले गोल्डी ढिल्लों पर प्रवासी व्यापारियों से लाखों की जबरन वसूली करने और यूरोप व उत्तरी अमेरिका में गिरोह की गतिविधियों के लिए ‘युवाओं’ की भर्ती करने का आरोप है.
गिरोहों और चरमपंथी संगठनों का गठबंधन
कानून प्रवर्तन एजेंसियां भारतीय गैंगस्टरों और चरमपंथी समूहों के बीच बढ़ते संबंधों की चेतावनी दे रही हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी गिरोह खालिस्तान समर्थक संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और आपसी सुरक्षा और प्रभाव के बदले में धन, रसद और हथियार मुहैया करा रहे हैं.
भारत की कार्रवाई
लॉरेंस बिश्नोई का एक सहयोगी गोल्डी बरार कनाडा में रहता है. भारत ने उसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक ‘व्यक्तिगत आतंकवादी’ घोषित किया है। उस पर भी विदेशों से जबरन वसूली, सुपारी हत्याएं और चरमपंथी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने का आरोप है.
भारत में पुलिस ने कई अन्य गैंगस्टरों की पहचान की है, जो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से विदेश (कनाडा, अमेरिका, यूरोप, संयुक्त अरब अमीरात, आदि) भाग गए हैं. माना जाता है कि वे वहीँ से जबरन वसूली, हत्या, हथियारों की तस्करी जैसे आपराधिक अभियान चलाते रहते हैं.
गिरोहों को रोकने की क्या है चुनौतियां
इन गैंगस्टरों को रोकने में कई चुनौतियां हैं. इनमें प्रत्यर्पण संधियां, पारस्परिक कानूनी सहायता और राष्ट्रों के बीच सहयोग की गति धीमी रहना सबसे महत्वपूर्ण है. बिश्नोई जैसे अपराधी या तो जेल में हैं या विदेश में हैं, फिर भी वह बरार और ढिल्लों जैसे सहयोगियों के माध्यम से बड़े-बड़े अपराध करते रहते हैं.
एन्क्रिप्टेड ऐप्स और सोशल मीडिया के माध्यम से संचार एजेंसियों के लिए पता लगाना भी बड़ी चुनौती और एक वास्तविक खतरा है.
राजनयिक संबंधों को बढ़ावा और इंटरपोल जैसे अंतर्राष्ट्रीय ढांचों का लाभ उठाकर भारत इन अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने का प्रयास कर रहा है. लेकिन इसके लिए अन्य देशों का भारत का सहयोग मिलना जरुरी है. तभी इन संगठित अपराध पर अंकुश लगाने के भारतीय प्रयास सफल हो पाएंगे.
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