50/30/20 बजट नियम और आपातकालीन फंड से पर्सनल बजट कैसे बनाएं
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Tuesday, August 5, 2025
Last Updated On: Tuesday, August 5, 2025
Personal Budget 50/30/20 Rule in Hindi: आज के समय में आर्थिक सुरक्षा और Smart Money Management उतना ही जरूरी है जितना एक अच्छी नौकरी या व्यापार। अगर आपकी आय अच्छी है लेकिन खर्च बेकाबू हैं, तो महीने के अंत में हाथ खाली होना तय है। ऐसे में एक सटीक और व्यावहारिक बजट प्लान आपकी सबसे बड़ी जरूरत बन जाता है। यह लेख खास तौर पर उन लोगों के लिए है जो फाइनेंस में एक्सपर्ट नहीं हैं लेकिन अपनी कमाई को बेहतर ढंग से मैनेज करना चाहते हैं। हमने यहां बजट बनाने के 10 आसान स्टेप्स के बारे में बताया है। इसमें Personal Budget कैसे बनाएं, किस बात का ध्यान रखें, और किन गलतियों से बचें इत्यादी को सम्मलित किया है।
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Tuesday, August 5, 2025
कभी आपने महीने के अंत में सोचा है कि पैसा कहां चला गया? शायद हां. यह एक आम समस्या है. हम में से अधिकतर लोग अपनी आय और खर्चों को लेकर योजना नहीं बनाते और इसी वजह से कई बार फिजूलखर्ची, कर्ज या बचत की कमी जैसे हालात सामने आते हैं. पर्सनल बजट बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है. अगर आप सही तरीके से शुरुआत करें और कुछ नियमों का पालन करें, तो आप अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं. इस लेख में हम बात करेंगे कि कैसे आप अपनी मासिक आय और खर्चों को ट्रैक कर सकते हैं, ‘50/30/20 नियम’ के अनुसार बजट बना सकते हैं और आपातकालीन फंड तैयार कर सकते हैं ताकि किसी भी अचानक आने वाली वित्तीय स्थिति में परेशान न हों.
पर्सनल बजट क्या है और क्यों ज़रूरी है?

पर्सनल बजट एक ऐसा योजना-पत्र होता है जिसमें आपकी आय और खर्चों का संतुलन बैठाया जाता है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आप अपनी आमदनी के अनुसार खर्च करें, बचत करें और आर्थिक लक्ष्य हासिल करें.
❝ बिना बजट के पैसे खर्च करना वैसा ही है जैसे बिना नक्शे के यात्रा पर निकलना. ❞
पर्सनल बजट बनाने की प्रक्रिया
पर्सनल बजट बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत होती है यह समझने से कि आपकी मासिक आय और खर्चें क्या हैं. मासिक आय का मतलब है वह कुल पैसा जो आपको हर महीने मिलता है, जिसमें आपकी सैलरी, फ्रीलांसिंग या साइड इनकम, किराये की आमदनी या किसी भी तरह के निवेश से मिलने वाली रकम शामिल हो सकती है. दूसरी ओर, मासिक खर्चों में वे सभी चीजें आती हैं जिन पर आप पैसा खर्च करते हैं जैसे घर का किराया, बिजली-पानी के बिल, राशन, ट्रांसपोर्ट, बच्चों की फीस, मेडिकल खर्च आदि.
बजट बनाने के लिए जरूरी है कि आप पहले अपने आय और खर्चों का पूरा लेखा-जोखा तैयार करें. इसके लिए आप पिछली दो-तीन महीनों की बैंक स्टेटमेंट या खर्च की डायरी देख सकते हैं. यह जानना जरूरी है कि आपका पैसा किन-किन रास्तों से आता है और कहां-कहां खर्च हो रहा है. कुल मिलाकर मासिक आय और खर्चों की ट्रैकिंग काफी जरूरी है.
मासिक आय और खर्चों की ट्रैकिंग कैसे करें

अपने खर्चों पर नियमित रूप से नज़र रखने से आपको इस बात की सटीक जानकारी मिल सकती है कि आपका पैसा कहां जा रहा है – और आप उसे कहां जाना चाहते हैं. फिर, बजट का उपयोग करके, आप उन सभी बिलों का सटीक हिसाब लगा सकते हैं जिन्हें आपको आगे चलकर चुकाना है.
A. अपनी कुल मासिक आय जानें
बजट बनाते समय सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि आपकी मासिक नेट इनकम (Net Income) क्या है. यह आपकी सैलरी, फ्रीलांस आय, किराये से मिलने वाली राशि, ब्याज आदि को मिलाकर बनती है.
उदाहरण:
स्रोत | मासिक राशि (₹) |
---|---|
सैलरी | 40,000 |
फ्रीलांस प्रोजेक्ट्स | 5,000 |
किराया | 3,000 |
कुल आय | ₹48,000 |
B. खर्चों को श्रेणियों में बांटें
खर्चों को दो भागों में बांटें: जरूरी (Necessary) और ऐच्छिक (Discretionary)
जरूरी खर्च:
- किराया
- राशन
- बिजली, पानी
- स्कूल फीस
- यात्रा
ऐच्छिक खर्च:
- मूवी, पार्टी
- शॉपिंग
- रेस्टोरेंट्स
- OTT/Subscription
उदाहरण:
खर्च का प्रकार | मासिक राशि (₹) |
---|---|
किराया | 10,000 |
राशन | 6,000 |
बिजली + पानी | 1,500 |
पेट्रोल | 3,000 |
इंटरनेट + फोन | 1,000 |
OTT | 500 |
पार्टी व शॉपिंग | 4,000 |
कुल खर्च | ₹26,000 |
C. खर्चों को ट्रैक करने के तरीके
- एक्सेल शीट: खुद से हर दिन खर्च अपडेट करें
- बजटिंग ऐप्स: जैसे Walnut, Money View, Goodbudget
- डायरी या नोटबुक: पुराने तरीके से लिखना भी कारगर हो सकता है
50/30/20 नियम का उपयोग करें

यह नियम पर्सनल फाइनेंस की दुनिया में एक लोकप्रिय तरीका है जो आपकी मासिक आय को तीन भागों में बांटता है. कुल आय का 50 प्रतिशत हिस्सा आवश्यक खर्चों के लिए निर्धारित होता है, जैसे कि किराया, राशन, बिल और अन्य जरूरतें. 30 प्रतिशत हिस्सा आपकी इच्छाओं से जुड़ी चीजों के लिए होता है, जैसे कि बाहर घूमना, खाना, कपड़े खरीदना या मनोरंजन. जबकि शेष 20 प्रतिशत हिस्सा बचत और कर्ज चुकाने के लिए रखा जाता है.
यह नियम संतुलन बनाए रखने में मदद करता है ताकि आप ज़रूरी चीजें भी मैनेज कर सकें और भविष्य के लिए बचत भी कर सकें.
यह नियम आपकी आय को तीन भागों में बांटता है:
उपयोग की श्रेणी | प्रतिशत | विवरण |
---|---|---|
जरूरी खर्च (Needs) | 50% | भोजन, किराया, बिल, परिवहन आदि |
ऐच्छिक खर्च (Wants) | 30% | मनोरंजन, ब्रांडेड शॉपिंग, घूमना |
बचत और ऋण भुगतान (Savings & Debt) | 20% | इमरजेंसी फंड, निवेश, ईएमआई, SIP आदि |
उदाहरण (₹48,000 की आय पर):
- 50% = ₹24,000 (जरूरी खर्च)
- 30% = ₹14,400 (ऐच्छिक खर्च)
- 20% = ₹9,600 (बचत व निवेश)
पर्सनल बजट के लिए उपयोगी टिप्स
- बजट बनाना जटिल नहीं, आदत की बात है
- अपनी प्राथमिकताओं को समझें
- अपने बच्चों को भी पैसे के मूल्य का ज्ञान दें
- सालाना खर्चों (जैसे LIC Premium, School Fees) के लिए भी बजट बनाएं
- एक फाइनेंशियल डायरी बनाएं
आपातकालीन फंड (Emergency Fund) बनाना क्यों ज़रूरी है

बजट का एक और महत्वपूर्ण पहलू है आपातकालीन फंड. यह फंड एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है जो आपको अचानक आई आर्थिक समस्याओं से बचाता है. इस फंड में आपको कम से कम तीन से छह महीने के ज़रूरी खर्चों के बराबर रकम जमा रखनी चाहिए. यह पैसा आप अलग बैंक खाते या लिक्विड म्यूचुअल फंड जैसे स्थानों पर रख सकते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत काम आ सके. इस फंड का इस्तेमाल केवल उसी स्थिति में करना चाहिए जब कोई वास्तविक आपातस्थिति हो जैसे नौकरी जाना, गंभीर बीमारी या कोई बड़ा नुकसान.
उदाहरण:
- यदि आपके मासिक जरूरी खर्च ₹25,000 हैं, तो आपातकालीन फंड कम से कम ₹75,000 से ₹1,50,000 होना चाहिए.
कैसे बनाएं आपातकालीन फंड
- हर महीने अपनी बचत का एक भाग इस फंड में डालें
- इसे FD, सेविंग्स अकाउंट या लिक्विड म्यूचुअल फंड में रखें
- फंड को केवल आपात स्थिति में ही इस्तेमाल करें
निष्कर्ष
पर्सनल बजट बनाना कोई कठिन काम नहीं है, बस शुरुआत करने की जरूरत है. जब आप अपनी आय, खर्च, बचत और निवेश पर नियंत्रण पाते हैं, तब आप न केवल आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी शांत रहते हैं.