वैभवशाली रहा है पुरी जगन्नाथ मंदिर का खजाना, लोगों में आज भी बनी हुई है उत्सकुता
वैभवशाली रहा है पुरी जगन्नाथ मंदिर का खजाना, लोगों में आज भी बनी हुई है उत्सकुता
Authored By: सतीश झा
Published On: Monday, July 15, 2024
Updated On: Monday, July 15, 2024
46 साल बाद पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोला गया। इसके लिए कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस विश्वनाथ रथ के नेतृत्व में 11 सदस्यीय टीम ने मंदिर में प्रवेश किया और रत्नों को रखने के लिए 6 संदूक बनाए गए, जिन्हें मंदिर के अंदर सुरक्षित रूप से रखा गया। क्या सब मिला और कितना मिला, मंदिर प्रबंधन की ओर से पूरी जानकारी की प्रतीक्षा है।ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि मंदिर का रत्न भंडार खोलने के बाद जेवरातों व कीमती चीजों की सूची तैयार होगी ।
Authored By: सतीश झा
Updated On: Monday, July 15, 2024
चुनावी बातों और उसके बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद रविवार 14 जुलाई को पंडितों द्वारा बताए गए शुभ मुहुर्त के अनुसार ही 1 बजकर 28 मिनट पर 46 साल बाद पुरी जगन्नाथ मंदिर का बाहर रत्न भंडार खोला गया। वर्ष 2018 में रत्न भंडार खोलने की कोशिश की गई थी, लेकिन खजाने को खोला नहीं गया।
रत्न भंडार खोलने के लिए कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस विश्वनाथ रथ के नेतृत्व में 11 सदस्यीय टीम ने मंदिर में प्रवेश किया। रत्न को रखने के लिए 6 संदूक बनाए गए हैं और इसे जगन्नाथ मंदिर के अंदर लिया गया।
पुरी जगन्नाथ मंदिर का खजाना
पुरी का जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है और इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर का प्रमुख आकर्षण रत्न भंडार है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के गहने और अन्य मूल्यवान वस्तुएं संग्रहीत हैं। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन द्वारा हाई कोर्ट में दिए गए हलफनामे के अनुसार, रत्न भंडार में तीन कक्ष हैं, जिनमें विभिन्न मात्रा में सोना और चांदी संग्रहीत हैं। 25 गुणा 40 वर्ग फुट के आंतरिक कक्ष में 50 किलो 600 ग्राम सोना और 134 किलो 50 ग्राम चांदी है। इनका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ। बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है। इन्हें त्योहार पर निकाला जाता है। वहीं, वर्तमान कक्ष में तीन किलो 480 ग्राम सोना और 30 किलो 350 ग्राम चांदी है। 1978 के बाद से मंदिर के पास कितनी संपत्ति आई, इसका कोई अंदाजा नहीं है।
वर्ष 2018 में में भी हुआ था एक सर्वे
रत्न भंडार की जांच और विवरण के बारे में 2018 में एक सर्वेक्षण किया गया था, लेकिन सुरक्षा और धार्मिक संवेदनशीलता के कारण इसके सभी विवरण सार्वजनिक रूप से नहीं बताए गए। रत्न भंडार में मौजूद खजाने का मूल्य और संग्रह प्राचीन और बहुमूल्य है, जिसे कई सदियों से मंदिर में संचित किया गया है। इस भंडार की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कड़े नियम और प्रबंध किए जाते हैं, ताकि इसे संरक्षित रखा जा सके और इसकी धार्मिक महत्ता बनी रहे।
उड़ीसा हाईकोर्ट के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को यह निरीक्षण करना पड़ा। यह निर्णय एक जनहित याचिका के बाद आया, जिसमें रत्न भंडार की सुरक्षा और संरचनात्मक स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई थी। इस कदम का उद्देश्य रत्न भंडार की संरचनात्मक स्थिति का निरीक्षण करना था। निरीक्षण के दौरान रत्न भंडार की दीवारों, छत, और अन्य संरचनात्मक हिस्सों की जाँच की गई ताकि उनकी वर्तमान स्थिति का आकलन किया जा सके और आवश्यक मरम्मत का सुझाव दिया जा सके। हालांकि, इस दौरान रत्न भंडार के भीतर मौजूद खजाने की विस्तृत जानकारी और सूची सार्वजनिक नहीं की गई। सुरक्षा और धार्मिक संवेदनशीलता के कारण खजाने के बारे में सटीक विवरण और मूल्यांकन को गोपनीय रखा गया है।
पीएम मोदी ने क्यों उठाया था चाभी गुम होने का मुद्दा
ओडिशा विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव प्रचार में प्रभु जगन्ननाथ मंदिर के खजाने की चाभी गुम होने की बात उठाई थी। चाभी गायब होने का मामला तब सामने आया जब मार्च 2018 में ओडिशा हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को रत्न भंडार की संरचनात्मक स्थिति का निरीक्षण करने का आदेश दिया था। निरीक्षण के लिए जब रत्न भंडार खोलने की आवश्यकता पड़ी, तब पता चला कि उसकी चाभी गायब है। इस घटना ने राजनीतिक और धार्मिक दोनों ही स्तरों पर बड़ी हलचल मचा दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे को चुनावी सभा में उठाकर ओडिशा सरकार पर निशाना साधा और इसे प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि इतनी महत्वपूर्ण और पवित्र जगह की चाभी का गायब होना गंभीर चिंता का विषय है और यह घटना प्रशासन की विफलता को दर्शाती है।
इस घटना ने स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया और लोगों के बीच जागरूकता और चिंता का विषय बन गया। इसके बाद ओडिशा सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए और इसे सुलझाने के प्रयास किए गए।
चार अप्रैल 2018 को बताया गया कि रत्न भंडार की चाबियां खो गईं हैं। हो-हल्ला होने के बाद, नवीन पटनायक ने मामले की न्यायिक जांच का आदेश दिया और नवंबर 2018 में आयोग ने 324 पेज की रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद, पुरी के तत्कालीन जिला कलेक्टर को रहस्यमय तरीके से एक लिफाफा मिला, जिसमें लिखा था कि आंतरिक रत्न भंडार की नकली चाबियां, जिसने लंबे समय से चल रहे विवाद को और हवा दे दी थी।
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