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कौन हैं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति
कौन हैं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Tuesday, April 23, 2024
Updated On: Tuesday, August 27, 2024
एएमयू के पहले कुलपति महमूदाबाद के राजा मोहम्मद अली मोहम्मद खान बने थे। तब यहां की कुलाधिपति एक महिला बेगम सुल्तान जहां बनीं थीं। लेकिन 104 साल के लंबे इतिहास में अभी तक कोई महिला यहां की कुलपति नहीं बनी थीं।
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Updated On: Tuesday, August 27, 2024
महिला सशक्तिकरण का एक हालिया उदाहरण अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना है। विश्विद्यालय के सौ साल से अधिक के लंबे इतिहास में पहली बार किसी महिला को कमान सौंपा गया है। प्रोफ़ेसर नईमा खातून विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति बनी हैं। एक मुस्लिम विश्वविद्यालय का कमान महिला के हाथ में जाना, बदलते भारत की तस्वीर बयान करती है। नईमा खातून ने अपना पदभार संभाल लिया है। आचार संहिता के बीच उनकी नियुक्ति पर कोई सवाल न उठे, इसके लिए केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग से अनुमति भी ली है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने 2020 में अपना स्वर्ण जयंती मनाया था। यह विश्वविद्यालय वर्ष 1920 में बना था। इसके पहले यह एक मुस्लिम कॉलेज हुआ करता था। वर्ष 1875 में बने मुहम्मडन एंग्लो-ओरियंटल कॉलेज, अलीगढ़ को ही 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय नाम दिया गया था। यहां के पहले कुलपति महमूदाबाद के राजा मोहम्मद अली मोहम्मद खान बने थे। तब इस विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एक महिला बेगम सुल्तान जहां बनीं थीं। लेकिन 104 साल के लंबे इतिहास में अभी तक कोई महिला यहां की कुलपति नहीं बनी थीं।
बताया जाता है कि अभी तक इस विश्वविद्यालय में किसी उच्च पदों पर न के बराबर ही महिलाएं पहुंच पाती हैं। पूर्व कुलपति महमूदूर्रहमान ने अपने कार्यकाल के दौरान पहली बार एक महिला को प्रॉक्टर बनाया था। उनका नाम था, प्रो. शाद बानो। वहीं दो साल पहले सितंबर 2022 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय टीचर्स एसोसिएशन (अमुटा) में पहली बार एक महिला अध्यक्ष चुनी गई थी। वह भी निर्विरोध। तब इतिहास विभाग की प्रो चांदनी निर्विरोध अध्यक्ष चुनी गईं थीं। लेकिन एएमयू इंतजामिया ने इस चुनाव को ही रद्द कर दिया।
नईमा खातून न केवल पहली महिला कुलपति बनी हैं बल्कि राष्ट्रपति के पास भेजे गए तीन नामों के पैनल में भी पहली बार किसी महिला को स्थान मिला था। विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिए बनी कार्यकारिणी परिषद् ने पिछले साल 30 अक्टूबर की बैठक में पांच नामों का पैनल बनाया था। 6 नवंबर को एएमयू कोर्ट ने अपनी बैठक में इनमें से तीन नामों (प्रो. फैजान मुस्तफा, प्रो. एमयू रब्बानी और प्रो. नईमा खातून) पर अपनी मोहर लगाकर उसकी सूची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेज दी। एएमयू कोर्ट की सूची में से राष्ट्रपति मुर्मू ने प्रो. नईमा खातून के नाम पर अपनी मोहर लगा दी। विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो. तारिक मंसूर इस पर कहते हैं, ‘एक महिला का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का कुलपति बनना एक सुखद समाचार है। इससे मुस्लिम महिलाओं में जागरूकता आएगी। वे और रफ्तार से आगे बढ़ेंगी।’
प्रोफ़ेसर नईमा खातून इसी विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा ग्रहण कर अब इसके शीर्ष पद पर पहुंची हैं। इन्होंने हाईस्कूल तक की पढ़ाई उड़ीसा से की हैं। 10 वीं की परीक्षा वर्ष 1977 में उड़ीसा बोर्ड से उत्तीर्ण हुई थीं। उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से 12 वीं की परीक्षा उतीर्ण कीं। फिर यहीं से ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल और पीएचडी की डिग्री लीं। 1988 में प्रो. खातून यहां के मनोविज्ञान विभाग में व्याख्याता नियुक्त हुई। फिर 1998 में एसोसिएट प्रोफेसर बनीं। 2006 के जुलाई में वह प्रोफेसर बनीं। फिर जुलाई 2014 में महिला महाविद्यालय की प्राचार्या बनी। प्राचार्या रहते इनकी नियुक्ति कुलपति पद पर हुई है।