Bihar Exit Polls: बिहार में कब-कब गलत निकले एक्जिट पोल, 2025 की क्या है स्थिति?

Authored By: Ranjan Gupta

Published On: Thursday, November 13, 2025

Last Updated On: Thursday, November 13, 2025

Bihar Exit Polls 2025 results and political analysis.
Bihar Exit Polls 2025 results and political analysis.

Bihar Assembly Election 2025 के नतीजों से पहले Exit Poll में नीतीश कुमार की वापसी के संकेत दिए जा रहे हैं, लेकिन सवाल है क्या इतिहास भी यही कहता है? पिछले 25 सालों में बिहार के चार विधानसभा चुनावों में एग्जिट पोल कितनी बार सही साबित हुए और कब पूरी तरह चूक गए, इसका ब्यौरा बेहद दिलचस्प है.

Authored By: Ranjan Gupta

Last Updated On: Thursday, November 13, 2025

Bihar Exit Polls: Bihar Election 2025 के परिणामों का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है. सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए एक बार फिर सत्ता में लौटेगी या विपक्षी महागठबंधन कोई चमत्कार करेगा. इस बीच, ज्यादातर एग्जिट पोल्स ने एनडीए को औसतन 125 सीटें और महागठबंधन को करीब 87 सीटें मिलने का अनुमान जताया है. लेकिन क्या एग्जिट पोल्स पर आंख मूंदकर भरोसा किया जा सकता है?

पिछले ढाई दशक के बिहार विधानसभा चुनावों पर नजर डालें, तो कई बार एग्जिट पोल्स ने सटीक अनुमान लगाए हैं, वहीं कई मौकों पर ये बुरी तरह गलत साबित हुए हैं. साल 2020 में जब लगभग सभी एग्जिट पोल्स ने आरजेडी-नीत महागठबंधन की जीत का दावा किया था, तब नतीजों ने बिल्कुल उलट कहानी लिखी थी. ऐसे में 2025 के चुनाव परिणाम से पहले यह समझना जरूरी है कि बिहार में एग्जिट पोल्स का इतिहास क्या कहता है और इनके आंकड़ों की सटीकता पर कितनी विश्वसनीयता रखी जा सकती है.

2020 में एग्जिट पोल फिर हुए गलत

साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए थे. उस समय औसतन 11 एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की थी कि आरजेडी (RJD) नीत महागठबंधन की सरकार बनेगी. कई पोल्स ने दावा किया था कि महागठबंधन को करीब 125 सीटें मिलेंगी, जो बहुमत के आंकड़े 122 से तीन ज्यादा थीं. वहीं, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू (JDU) को करीब 108 सीटें मिलने का अनुमान था.

लेकिन नतीजे बिल्कुल उलट निकले. एनडीए को 17 सीटें ज्यादा मिलीं, जबकि महागठबंधन को उम्मीद से 15 सीटें कम आईं. अंत में एनडीए ने मामूली अंतर से बहुमत हासिल कर लिया. बीजेपी को 74 और जेडीयू को 43 सीटें मिलीं. इस तरह एनडीए को कुल 125 सीटें मिलीं, जबकि महागठबंधन 110 सीटों पर सिमट गया. इनमें आरजेडी को 75 और कांग्रेस को 19 सीटें मिलीं.

साल 2015 में क्या हुआ था?

साल 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार की जेडीयू उस समय महागठबंधन का हिस्सा थी और बीजेपी एनडीए की अगुवाई कर रही थी. उस दौर में छह बड़े एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की थी कि मुकाबला कांटे का रहेगा, लेकिन जीत महागठबंधन की होगी. उनका औसत अनुमान था, महागठबंधन को 123 सीटें और एनडीए को 114 सीटें मिलेंगी.

तीन पोल्स ने कहा कि महागठबंधन बड़ी जीत दर्ज करेगा, जबकि दो ने एनडीए की सरकार का दावा किया. एक पोल ने तो त्रिशंकु विधानसभा की बात कही थी. हालांकि, नतीजों ने सभी को चौंका दिया. महागठबंधन ने दो-तिहाई सीटों पर कब्जा किया और भारी बहुमत से सरकार बनाई. महागठबंधन को कुल 178 सीटें मिलीं. आरजेडी को 80, जेडीयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें. वहीं एनडीए सिर्फ 58 सीटों पर सिमट गया, जिनमें बीजेपी की 53 सीटें थीं.

2010 में एग्जिट पोल्स कहां चूक गए?

साल 2010 में भी एग्जिट पोल्स ने एनडीए की जीत तो जताई थी, लेकिन नीतीश कुमार की लहर का सही अंदाजा नहीं लगा सके. जेडीयू और बीजेपी एनडीए का हिस्सा थे, जबकि एलजेपी ने आरजेडी के साथ गठबंधन किया था. नतीजों में जेडीयू को 115 सीटें और बीजेपी को 91 सीटें मिलीं. वहीं, आरजेडी को सिर्फ 22, कांग्रेस को 4 और एलजेपी को 3 सीटों पर संतोष करना पड़ा. इस बार भी एग्जिट पोल नतीजों से काफी पीछे रह गए.

बिहार विधानसभा चुनाव 2005 में क्या हुआ था?

साल 2005 के चुनाव में एग्जिट पोल्स ने एनडीए की जीत का अनुमान लगाया था. ज्यादातर पोल्स ने एनडीए को 120 से 130 सीटों के बीच दिखाया, जबकि आरजेडी गठबंधन को 90 से 100 सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई.

वास्तविक नतीजों में जेडीयू को 88 और बीजेपी को 55 सीटें मिलीं. आरजेडी को 54, एलजेपी को 10 और कांग्रेस को 9 सीटें मिलीं. यहां भी एग्जिट पोल्स की भविष्यवाणी और नतीजों में बड़ा फर्क देखने को मिला.

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About the Author: Ranjan Gupta
रंजन कुमार गुप्ता डिजिटल कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें डिजिटल न्यूज चैनल में तीन वर्ष से अधिक का अनुभव प्राप्त है. वे कंटेंट राइटिंग, गहन रिसर्च और SEO ऑप्टिमाइजेशन में माहिर हैं. शब्दों से असर डालना उनकी कला है और कंटेंट को गूगल पर रैंक कराना उनका जुनून! वो न केवल पाठकों के लिए उपयोगी और रोचक लेख तैयार करते हैं, बल्कि गूगल के एल्गोरिदम को भी ध्यान में रखते हुए SEO-बेस्ड कंटेंट तैयार करते हैं. रंजन का मानना है कि "हर जानकारी अगर सही रूप में दी जाए, तो वह लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर सकती है." यही सोच उन्हें हर लेख में निखरने का अवसर देती है.
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