नीतीश-प्रधान मुलाकात, निकाले जा रहे हैं सियासी मायने
Authored By: सतीश झा
Published On: Tuesday, August 26, 2025
Last Updated On: Tuesday, August 26, 2025
बिहार चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीति में हर कदम और हर मुलाकात को नए मायनों में देखा जा रहा है. इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) का पटना दौरा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से मुलाकात चर्चा का विषय बन गई है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Tuesday, August 26, 2025
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से मुलाकात की और इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा कीं. पोस्ट में उन्होंने लिखा कि बिहार के यशस्वी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भावपूर्ण मुलाकात हुई. बिहार (Bihar politics 2025) के सर्वांगीण विकास और उसके प्राचीन गौरव की पुनर्स्थापना पर सार्थक चर्चा हुई.
मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद धर्मेंद्र प्रधान ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला. उन्होंने सवाल उठाया, “क्या वे (विपक्ष) चाहते हैं कि बांग्लादेशी यहां वोट दें? क्या ये लोग बिहार को भोला समझते हैं? क्या वे बिहार की जनता को गुमराह करना चाहते हैं?”
तंज भरे अंदाज़ में भाजपा नेता ने कहा कि “जो दो लोग (राहुल गांधी और तेजस्वी यादव) बिहार की सड़कों पर घूम रहे हैं, ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक गरीबों को वोट डालने से वंचित रखा. क्या बिहार उन्हें नहीं जानता? उनके पास अब कोई जनसमर्थन नहीं बचा है. बार-बार हार की हताशा में वे भारत की संवैधानिक व्यवस्था को तोड़ने में लगे हैं। लेकिन बिहार की जनता सतर्क है.”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के हालिया बिहार दौरे के बाद धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) की यह मुलाकात न केवल औपचारिक शिष्टाचार भर है, बल्कि इसके राजनीतिक निहितार्थ भी गहरे हैं.
क्या संदेश देना चाहते हैं प्रधान?
धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) भाजपा (BJP) के उन नेताओं में गिने जाते हैं, जिनकी पकड़ संगठन पर मजबूत है. वे न सिर्फ़ केंद्रीय मंत्री हैं बल्कि बिहार के चुनावी प्रबंधन में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं. नीतीश (CM Nitish Kumar) से उनकी मुलाकात को यह संकेत माना जा रहा है कि भाजपा (BJP) और जदयू (JDU) गठबंधन अभी भी चुनावी रणनीति को लेकर साझा ज़मीन तलाशने में जुटे हैं.
एनडीए में तालमेल या अविश्वास?
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की भूमिका हमेशा निर्णायक रही है. कभी BJP के साथ, कभी उसके खिलाफ़ खड़े होकर उन्होंने अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखी है. इस मुलाकात से यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या यह आने वाले चुनाव में एनडीए (NDA) में तालमेल का इशारा है या फिर अविश्वास की स्थिति को टालने की कोशिश?
विपक्ष पर दबाव
राहुल गांधी (Rahul Gandhi), प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की “मतदाता अधिकार यात्रा” से विपक्ष ने राज्य में सियासी तापमान बढ़ा दिया है. ऐसे समय भाजपा नेताओं का नीतीश (CM Nitish Kumar) से मिलना इस संदेश की ओर भी इशारा करता है कि NDA किसी भी तरह की अंदरूनी खटपट को खुलकर सामने आने नहीं देना चाहता.
बदलता राजनीतिक माहौल
बिहार की राजनीति में इन दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा मतदाता सूची (Voters List) पर लगाए गए आरोपों को लेकर माहौल गर्म है. NDAइसे विपक्ष की साजिश बता रहा है, वहीं महागठबंधन इसे चुनावी धांधली का मुद्दा बना रहा है. ऐसे हालात में भाजपा अपने लिए स्थिति स्थिर करने और जनता के बीच संदेश देने में जुटी है कि चुनावी मैदान में वह किसी भी भ्रम या अफवाह को जगह नहीं लेने देगी. धर्मेंद्र प्रधान और नीतीश कुमार की मुलाकात चाहे औपचारिक ही क्यों न रही हो, लेकिन बिहार की राजनीति में इसका सियासी असर तय है ? यह मुलाकात बताती है कि NDA चुनाव को लेकर कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहता और शीर्ष स्तर पर समीकरणों को साधने की कोशिशें तेज हो चुकी हैं.