Jolly LLB 3 Review: ड्रामा थोड़ा जरूरत से ज्यादा, यहां पढ़ें पूरा रिव्यू
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Friday, September 19, 2025
Updated On: Friday, September 19, 2025
‘जॉली एलएलबी 3’ सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. इस बार अक्षय कुमार और अरशद वारसी आमने-सामने नजर आते हैं और किसानों के मुद्दे पर जोरदार बहस करते हैं. फिल्म हंसी, व्यंग्य और गंभीर सामाजिक संदेश का मेल है.
Authored By: Ranjan Gupta
Updated On: Friday, September 19, 2025
Jolly LLB 3 Review: लंबे इंतजार के बाद आज यानी 19 सितंबर 2025 को ‘जॉली एलएलबी 3’ सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. सुभाष कपूर के निर्देशन में बनी यह फिल्म सिर्फ कोर्टरूम ड्रामा नहीं, बल्कि किसानों की जमीन और उनके संघर्ष की कहानी भी है. अक्षय कुमार और अरशद वारसी की मजेदार टक्कर, सीमा बिस्वास का भावुक अभिनय और समाज पर व्यंग्य करती स्क्रिप्ट इसे और खास बनाती है. फिल्म दर्शकों को हंसाने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करती है.
बता दें कि ‘जॉली एलएलबी’ फ्रेंचाइजी की पहली फिल्म साल 2013 में रिलीज हुई थी, जिसमें अरशद वारसी, बोमन ईरानी, अमृता राव और सौरभ शुक्ला अहम रोल में नजर आए थे. जबकि दूसरा पार्ट 2017 में रिलीज हुआ था जिसमें अक्षय कुमार, हुमा कुरैशी, अन्नू कपूर और कुमुद मिश्रा जैसे सितारे भी नजर आए थे. लेकिन अब तीसरे पार्ट ‘जॉली एलएलबी 3’ में अक्षय और अरशद के साथ सौरभ शुक्ला, अमृता राव, हुमा कुरैशी और अन्नू कपूर अहम किरदार में नजर आ रहे हैं.
जॉली एलएलबी 3 की कहानी
‘Jolly LLB 3’ की कहानी एक किसान परिवार से शुरू होती है. एक किसान अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष करता है, लेकिन दबंग लोगों और भ्रष्ट नेताओं के दबाव में आकर वह आत्महत्या कर लेता है. उसकी पत्नी (सीमा बिस्वास) न्याय की लड़ाई के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाती है. कोर्ट में जॉली मिश्रा (अक्षय कुमार) और जॉली त्यागी (अरशद वारसी) आमने-सामने आते हैं. दोनों अलग-अलग पक्षों की पैरवी करते हैं, लेकिन आगे जाकर हालात ऐसे बनते हैं कि उन्हें साथ काम करना पड़ता है. इसके बाद कोर्टरूम बहस में गंभीरता और कॉमेडी का ऐसा मिश्रण देखने को मिलता है, जो दर्शकों को बांधे रखता है. कहानी का बड़ा संदेश ‘जय जवान, जय किसान’ है, जो किसानों और सैनिकों की अहमियत को याद दिलाता है.
जॉली एलएलबी 3 का निर्देशन
निर्देशक सुभाष कपूर ने इस फिल्म में सीरीज की पुरानी आत्मा को बनाए रखा है. हालांकि, शुरुआती 15-20 मिनट थोड़ा धीमे लगते हैं क्योंकि फिल्म की पृष्ठभूमि को समझाने में वक्त लगता है. लेकिन इंटरवल के बाद कहानी गति पकड़ लेती है. किसानों की जमीन हड़पने और आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दे को केंद्र में रखकर बनाई गई इस फिल्म में कई दृश्य भारी हो जाते हैं. फिर भी, निर्देशक ने हर जगह हल्की-फुल्की कॉमेडी डालकर गंभीरता को संतुलित करने की कोशिश की है.
कलाकारों का अभिनय
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी कास्ट है. अक्षय कुमार अपने चिर-परिचित अंदाज में कोर्टरूम को हंसी से भर देते हैं, लेकिन साथ ही गंभीर हालात का वजन भी दर्शकों तक पहुंचाते हैं. अरशद वारसी हमेशा की तरह सहज और मजेदार दिखते हैं. उनके व्यंग्य और छोटे-छोटे संवाद दर्शकों को गुदगुदाते हैं. दोनों की जोड़ी स्क्रीन पर एक अलग जादू बिखेरती है. सीमा बिस्वास अपने किरदार में गहरी भावनाएं लेकर आती हैं. वहीं, राम कपूर और गजराज राव जैसे कलाकार भी अपनी-अपनी भूमिकाओं में असर छोड़ते हैं.
कमजोर पहलू
फिल्म कई जगह मजबूत है, लेकिन कुछ हिस्से निराश कर जाते हैं. कुछ दृश्य इतने ज्यादा नाटकीय लगे कि वे असली नहीं लगते. इसके अलावा, फिल्म का संगीत साधारण है और ज्यादा याद नहीं रह पाता. महिला किरदारों को भी ज्यादा गहराई नहीं दी गई, जो थोड़ी कमी महसूस कराता है.
देखें या नहीं: फाइनल वर्डिक्ट
‘जॉली एलएलबी 3’ हंसी और संदेश दोनों का संगम है. इसमें अक्षय और अरशद की टक्कर, सीमा बिस्वास का भावुक अभिनय और गजराज राव का दमदार नकारात्मक किरदार इसे रोचक बनाते हैं. फिल्म के ओवरड्रामेटिक हिस्से और फीके गाने थोड़ी कमी जरूर छोड़ते हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह फिल्म आपको हंसाती भी है और सोचने पर मजबूर भी करती है. अगर आप अक्षय कुमार के फैन है तो आप इस फिल्म को देखने सिनेमाहॉल में जा सकते हैं.
रिव्यू: 3.5/5
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