Rajkumar के 100 फेमस डायलॉग्स, जिसे सुन दुश्मन भी हो जाते थे कायल
Rajkumar के 100 फेमस डायलॉग्स, जिसे सुन दुश्मन भी हो जाते थे कायल
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Wednesday, July 2, 2025
Updated On: Thursday, July 3, 2025
फिल्म अभिनेता राजकुमार की डायलॉग (Rajkumar Dialogue) डिलीवरी की दुनिया आज तक कायल है. उनकी एक्टिंग, दमदार आवाज और उनका बेजोड़ अंदाज, सब मिलकर उन्हें एक ऐसे कलाकार की पहचान देते हैं जिसे दोहराना आज भी कठीन है। उनके डायलॉग महज संवाद नहीं थे, बल्कि राजकुमार के व्यक्तित्व का विस्तार थे - रौबदार, आत्मविश्वास से लबरेज और अक्सर व्यंग्यात्मक. तो चलिए आज हम इन्हीं लीजेंड्री एक्टर राजकुमार के फेमस डायलॉग (Rajkumar Famous Dialogue) को देखते हैं.
Authored By: Ranjan Gupta
Updated On: Thursday, July 3, 2025

Bollywood को अपनी डायलॉग डिलीवरी से कायल करने वाले राजकुमार आज भी लोगों के दिल-ओ-दिमाग पर छाए हुए हैं। फिल्म अभिनेता राजकुमार (Actor Rajkumar) का स्टाइल असल में ही राजकुमार जैसा था, उनके बोलने, चलने और कपड़े पहनने के ढंग बेहद निराले थे. जिसने भी एक बार राजकुमार को देखा वो उनका कायल हो गया. वह भारतीय सिनेमा (Indian Cinema) के उन गिने-चुने अभिनेताओं में से एक थे जिनकी उपस्थिति मात्र से ही परदे पर एक अलग ही आभा छा जाती थी। उनकी डायलॉग डिलीवरी इतनी प्रभावशाली थी कि वे दर्शकों के जेहन में दशकों तक बसी रहीं और आज भी अक्सर दोहराई जाती हैं। उन्होंने कई लेखकों के कलम को अपनी आवाज दी और उन संवादों को अमर कर दिया.
राजकुमार के फेमस डायलॉग्स (Rajkumar Famous Dialogues in Hindi)

Rajkumar के बहुत से किस्से मशहूर हैं। बताया जाता था कि अगर किसी फिल्म के डायलॉग राजकुमार को पंसद नहीं आते थे तो वे कैमरे के सामने ही डायलॉग अपने मनमाकिफ बदल लेते थे और क्या मजाल की निर्देशक उनसे कुछ बोल पाए। बहरहाल आइए इस लेख की शुरुआत करते हैं जहां हम अभिनेता राजकुमार के ऐसे ही कुछ सदाबहार डायलॉग (Rajkumar Evergreen Dialogues) आप के लिए लाएं हैं।
“जानी, हम तुम्हें ऐसी मौत मारेंगे कि तुम्हारी आत्मा भी सोचकर हैरान हो जाएगी.”– फ़िल्म: तिरंगा (1993)
“आपके पांव देखे, बहुत हसीन हैं। इन्हें ज़मीन पर मत उतारिएगा, मैले हो जाएंगे.” -फ़िल्म: पाकीज़ा (1972)
“हम तुम्हें वो मौत देंगे, जो ना तो किसी कानून की किताब में लिखी होगी और ना ही कभी किसी मुजरिम ने सोची होगी.”-फिल्म: तिरंगा (1992)
“हम तुम्हें मारेंगे और ज़रूर मारेंगे, लेकिन वो बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वक्त भी हमारा होगा.” –फ़िल्म: सौदागर (1991)
“जब राजेश्वर दोस्ती निभाता है तो अफसाने लिक्खे जाते हैं.. और जब दुश्मनी करता है तो तारीख़ बन जाती है.”-फिल्म: सौदागर (1994)
“राजा के ग़म को किराए के रोने वालों की ज़रूरत नहीं पड़ेगी चिनॉय साहब.”-फिल्म: वक्त (1965)
“चिनॉयसेठ, जिनके अपने घर शीशे के हों, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते.”- फ़िल्म: पाकीज़ा (1965)
“हम अपने कदमों की आहट से हवा का रुख़ बदल देते हैं.” -फिल्म: बेताज बादशाह (1991)
“जिसके दालान में चंदन का ताड़ होगा, वहां तो सांपों का आना-जाना लगा ही रहेगा.”-फिल्म: बेताज बादशाह (1991)
“हम भी वो हैं जो खुदा को भूल गए, तुम हमें क्या याद रखोगे.”
राजकुमार के सदाबहार डायलॉग (Rajkumar Evergreen Dialogues)

- “आपके लिए मैं ज़हर को दूध की तरह पी सकता हूं, लेकिन अपने ख़ून में आपके लिए दुश्मनी के कीड़े नहीं पाल सकता.”– राज तिलक (1983)
- “मिनिस्टर साहब, गरम पानी से घर नहीं जलाए जाते. हमारे इरादों से टकराओगे तो सर फोड़ लोगे.”- पुलिस पब्लिक (1990)
- “ना तलवार की धार से, ना गोलियों की बौछार से.. बंदा डरता है तो सिर्फ परवर दिगार से.”– तिरंगा (1992)
- “काश तुमने हमें आवाज़ दी होती.. तो हम मौत की नींद से उठकर चले आते.” -सौदागर (1991)
- “ये तो शेर की गुफा है. यहां पर अगर तुमने करवट भी ली तो समझो मौत को बुलावा दिया.”– मरते दम तक (1987)
- “इरादा पैदा करो, इरादा. इरादे से आसमान का चांद भी इंसान के कदमों में सजदा करता है.”– बुलंदी (1980)
- “कौवा ऊंचाई पर बैठने से कबूतर नहीं बन जाता मिनिस्टर साहब! ये क्या हैं और क्या नहीं हैं, ये तो वक्त ही दिखलाएगा.”– पुलिस पब्लिक (1990)
- चलो यहां से, ये किसी दलदल पर कोहरे से बनी हुई हवेली है, जो किसी को पनाह नहीं दे सकती. ये बड़ी ख़तरनाक जगह है. -पाक़ीज़ा (1972)
- ताक़त पर तमीज़ की लगाम जरूरी है. लेकिन इतनी नहीं कि बुज़दिली बन जाए. -सौदागर (1991)
- बोटियां नोचने वाला गीदड़, गला फाड़ने से शेर नहीं बन जाता. -मरते दम तक (1987),
राजकुमार के बेस्ट डायलॉग (Rajkumar Best Dialogues in Hindi)

- हम आंखों से सुरमा नहीं चुराते, हम आंखें ही चुरा लेते हैं.- तिरंगा (1992)
- “जिंदगी एक जुआ है, और हम इस जुए के बादशाह हैं.”– फ़िल्म: बुलंदी (1981)
- “हमारा नाम भी राजकुमार है और हम काम भी राजकुमारों वाले करते हैं.”– फ़िल्म: बुलंदी (1981)
- इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं – एक वो जो अपने फैसलों से दुनिया बदलते हैं, और दूसरे वो जो दुनिया के फैसलों से बदल जाते हैं.”– फ़िल्म: बुलंदी (1981)
- “हमारा नाम शंकर है, और हम किसी को भी शक करने का मौका नहीं देते.”– फ़िल्म: तिरंगा (1993)
- “हम मौत से डरते नहीं, मौत हमसे डरती है.”– फ़िल्म: बेताज बादशाह (1994)
- “जब तक हम खड़े हैं, किसी की हिम्मत नहीं कि आंख उठा कर देखे.”– फ़िल्म: बेताज बादशाह (1994)
- “हम जहां खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है.”– फ़िल्म: बुलंदी (1981)
- “जानी, अगर आप किसी को कुछ देना चाहते हैं तो उससे मांगने की उम्मीद मत कीजिए.”-फ़िल्म: धर्मकांटा (1982)
- “हमारा नाम वो नहीं जो तुम जानते हो, हमारा नाम तो वो है जो हम तुम्हें बताएंगे.”– फ़िल्म: राम बलराम (1980)
- “जिंदगी में कुछ भी हासिल करना हो तो उसके लिए कीमत चुकानी पड़ती है.”– फ़िल्म: राम बलराम (1980)
- “आपके ये बाल, आपके चेहरे की पहचान हैं, इन्हें ज़ुल्फ़ें मत कहिएगा.” – फ़िल्म: लाल पत्थर (1971)
- “ईमानदारी का कोई मोल नहीं होता, पर बेईमानी की कीमत ज़रूर होती है.”– फ़िल्म: लाल पत्थर (1971)
- “हम भी वो हैं जो किस्मत को अपनी मुट्ठी में रखते हैं.” – फ़िल्म: हीर रांझा (1970)
- “जानी, अगर हम किसी को कुछ दे सकते हैं, तो वो सिर्फ़ इज्ज़त.” – फ़िल्म: हिंदुस्तान की कसम (1973)
- “वतन से बढ़कर कुछ नहीं, ना दौलत, ना शोहरत.” – फ़िल्म: हिंदुस्तान की कसम (1973)
- “इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं.”– फ़िल्म: धर्मपुत्र (1961)
- हार और जीत तो जिंदगी का हिस्सा हैं, असली बात तो लड़ने की है.”– फ़िल्म: नीला आकाश (1965)
- “हम वो हैं जो किसी के एहसान नहीं लेते, सिर्फ़ अपना हक लेते हैं.”– फ़िल्म: नीला आकाश (1965)
राजकुमार के दमदार डायलॉग (Rajkumar Top Dialogues)

- “हमारी जिंदगी एक खुली किताब है, जो चाहे पढ़ ले.”- फ़िल्म: काजल (1965)
- “हमारा नाम नहीं, हमारा काम बोलता है.”– फ़िल्म: काजल (1965)
- “ये पैसा नहीं, इंसान की नियत होती है जो उसे बदल देती है.”– फ़िल्म: हमराज़ (1967)
- “शक और वहम इंसान को अंदर से खोखला कर देते हैं.”– फ़िल्म: हमराज़ (1967)
- “हम सिर्फ़ एक बात जानते हैं – कि ज़ुल्म सहना भी ज़ुल्म है.”– फ़िल्म: मेरे हुज़ूर (1968)
- “हम वो हैं जो अपने दुश्मनों को भी इज़्ज़त देते हैं.”– फ़िल्म: मेरे हुज़ूर (1968)
- “ये दुनिया एक नाटक है, और हम इस नाटक के कलाकार.“- फ़िल्म: उजाला (1959)
- “हमारा अंदाज़ ही कुछ ऐसा है, कि हर कोई हमें पहचान लेता है.”– फ़िल्म: दिल एक मंदिर (1963)
- “प्यार में कोई शर्त नहीं होती, सिर्फ़ विश्वास होता है.”– फ़िल्म: दिल एक मंदिर (1963)
- “जानी, अगर तुम्हें किसी से दोस्ती करनी है, तो पहले उसे परख लो.”– फ़िल्म: राजकुमार (1964)
- “हमारा नाम ही काफी है, किसी को डराने के लिए.” – फ़िल्म: राजकुमार (1964)
- “ये दुनिया नहीं, एक अखाड़ा है, और हमें यहां जीतना है.“- फ़िल्म: राजकुमार (1964)
- “प्यार में कोई समझौता नहीं होता, सिर्फ़ समर्पण होता है.” – फ़िल्म: नील कमल (1968)
- “हमारा नाम सुनकर दुश्मनों के पसीने छूट जाते हैं.” – फ़िल्म: धरती (1970)
- “जानी, हम किसी के गुलाम नहीं, हम अपने फैसले खुद लेते हैं.”– फ़िल्म: मर्यादा (1971)
- “इज्ज़त कमाई जाती है, मांगी नहीं जाती.”– फ़िल्म: मर्यादा (1971)
- “हमारा उसूल है, कि हम किसी को धोखा नहीं देते.”– फ़िल्म: मर्यादा (1971)
- “हम वो हैं जो अपनी ज़ुबान के पक्के हैं.”– फ़िल्म: दुश्मन (1971)
- “बदला लेना हमारी फितरत में नहीं, लेकिन हम भूलते भी नहीं.”– फ़िल्म: दुश्मन (1971)
- “दुनिया हमें डरा नहीं सकती, हम दुनिया को डराते हैं.”– फ़िल्म: दुश्मन (1971
- “हमारा रास्ता सीधा है, और हम किसी से नहीं भटकते.”– फ़िल्म: दिल का राजा (1972)
- “किस्मत भी उन्हीं का साथ देती है, जो खुद मेहनत करते हैं.”– फ़िल्म: कहानी किस्मत की (1973)
- “हमारा उसूल है, कि हम किसी बेगुनाह को हाथ नहीं लगाते.”– फ़िल्म: राजतिलक (1984)
- “राजगद्दी पर बैठने के लिए खून बहाना पड़ता है.”– फ़िल्म: राजतिलक (1984)
राजकुमार के रौबदार डायलॉग

- “ये जिंदगी एक शतरंज का खेल है, और हम इसके खिलाड़ी.”– फ़िल्म: एक नई पहेली (1984)
- “जानी, शेर एक बार शिकार करता है.”– फ़िल्म: मोहब्बत के दुश्मन (1988)
- दुश्मनी में भी एक उसूल होता है, और हम उसे निभाते हैं.”– फ़िल्म: मोहब्बत के दुश्मन (1988)
- “हमारा नाम ही काफी है, दुश्मन को पसीना छुड़ाने के लिए.”– फ़िल्म: मोहब्बत के दुश्मन (1988)
- “जंग तभी तक होती है, जब तक दुश्मन सामने हो.”– फ़िल्म: जंगबाज़ (1989)
- “हमारा वार कभी खाली नहीं जाता.”– फ़िल्म: जंगबाज़ (1989)
- “ये दुनिया नहीं, एक बाज़ार है, और हम यहां बेचने आए हैं.”– फ़िल्म: पुलिस और मुज़रिम (1992)
- “कानून अंधा होता है, पर हम नहीं.”– फ़िल्म: पुलिस और मुज़रिम (1992)
- “जानी, अगर आपको किसी पर राज करना है, तो पहले उसे जीतना सीखो.”– फ़िल्म: सौदागर (1991)
- “हमारा नाम सुनकर दुश्मन की रूह कांप जाती है.”– फ़िल्म: तिरंगा (1993)
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