क्या राहुल गांधी पार्टी में इंदिरा और सोनिया का स्थान लेने वाले हैं

क्या राहुल गांधी पार्टी में इंदिरा और सोनिया का स्थान लेने वाले हैं

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Friday, May 3, 2024

Updated On: Thursday, May 16, 2024

kya rahul gandhi party me indira aur sonia ka sthan lene vale hai
kya rahul gandhi party me indira aur sonia ka sthan lene vale hai

राहुल गांधी को रायबरेली से पार्टी उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस ने इंडी गठबंधन को साफ संदेश दे दिया है कि यदि उनके गठबंधन की सरकार बनती है तो प्रधानमंत्री उम्मीदवार राहुल गांधी ही होंगे।

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Updated On: Thursday, May 16, 2024

वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी अपनी पुस्तक ‘हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड’ पर चर्चा करने के दौरान कहती हैं, ‘रायबरेली लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कांग्रेस की ओर से गांधी परिवार का वही व्यक्ति करता है, जिसके हाथ में पार्टी और देश का कमान होता है। कांग्रेस पार्टी यहां से इसका अघोषित संदेश देती है।’ तो क्या राहुल गांधी का रायबरेली से चुनाव लड़ना इसी ओर इशारा है। राहुल को रायबरेली से पार्टी उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस ने इंडी गठबंधन को साफ संदेश दे दिया है कि यदि उनके गठबंधन की सरकार बनती है तो प्रधानमंत्री उम्मीदवार राहुल गांधी ही होंगे।

वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी का वक्तव्य इसी ओर इशारा करती है। अपनी पुस्तक और रायबरेली सीट पर एक चर्चा के दौरान महीनों पहले उन्होंने यह भी कहा था कि रायबरेली सीट पर प्रियंका गांधी कांग्रेस की उम्मीदवार नहीं होंगी। उन्होंने साफ कहा था कि यदि सोनिया गांधी इस सीट को छोड़ती हैं तो गांधी परिवार यहां राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाएगा न कि प्रियंका गांधी को। इसका उदाहरण उन्होंने इंदिरा गांधी-संजय और राजीव गांधी के अलावा सोनिया गांधी-राहुल गांधी के कार्यकाल का दिया था।

जब तक इंदिरा गांधी रहीं तब तक न तो संजय गांधी और न ही राजीव गांधी यहां से चुनाव लड़ सके। इंदिरा गांधी 1966 से 1977 तक लगातार प्रधानमंत्री रहीं। उन्होंने 1967 का चुनाव यहां से लड़ा। 1977 तक लगातार उन्होंने यहां का प्रतिनिधित्व किया। 1977 का चुनाव वे जनता पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण से हार गई लेकिन 1980 का चुनाव फिर से यहीं से लड़ी और संजय गांधी को अमेठी से लड़ाई।

इसी प्रकार सोनिया गांधी के कार्यकाल में भी हुआ। उनके सक्रिय राजनीति में रहते गांधी परिवार का कोई दूसरा सदस्य यहां से चुनाव नहीं लड़ा। सोनिया गांधी 1999 में पहला चुनाव लड़ती हैं। उस चुनाव को वह अपने दिवंगत पति राजीव गांधी की सीट अमेठी से लड़ती हैं। रायबरेली से उस चुनाव में कांग्रेस ने गांधी परिवार के सबसे करीबी सतीश शर्मा को मैदान में उतारा। सतीश शर्मा, राजीव गांधी के सबसे घनिष्ठ मित्र और अमेठी से दो बार संसद रहे थे।

वहीं जब 2004 में सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों चुनाव मैदान में उतरे तो सोनिया गांधी अपने दिवंगत पति राजीव गांधी की अमेठी सीट छोड़कर रायबरेली चली गई। क्योंकि उस चुनाव के बाद वह प्रधानमंत्री बनने वाली थीं। राहुल गांधी को अपनी दादी की सीट रायबरेली के बजाय अमेठी से मैदान में उतारा गया। इस को एक बार फिर से दोहराया जा रहा है। अब जब सोनिया गांधी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का मन बनाया और राज्यसभा से संसद गई तो राहुल गांधी की सीट अमेठी से रायबरेली बदल दी गई। जबकि यहां से प्रियंका गांधी चुनाव लड़ सकती थी।

प्रियंका के लिए यह सीट दो कारणों से मुफीद है। एक तो वह स्वयं कहती हैं कि वह अपनी दादी इंदिरा गांधी जैसी हैं। तो उन्हें अपनी दादी की सीट से चुनाव में उतरना चाहिए था।ताकि उन्हें इसका लाभ मिले। दूसरा, कांग्रेस पार्टी कहती है कि अमेठी के लोग 2019 में राहुल गांधी को हराने के बाद से भावुक हैं। वे अपना भूल सुधार करना चाहते हैं। ऐसे में पार्टी को अमेठी की जनता को भूल सुधार करने का मौका देना चाहिए था। इससे कांग्रेस के लिए दोनों सीट सुरक्षित हो जाती। सोनिया गांधी लंबे समय से इस इंतजार में हैं कि राहुल देश का नेतृत्व करें। उनकी इच्छा कब पूरी होती है, यह देखना अभी बाकी है।

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।

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