Eating Sugar? No Sir! CBSE का बड़ा फैसला – स्कूलों में बनेगा ‘शुगर बोर्ड’

Eating Sugar? No Sir! CBSE का बड़ा फैसला – स्कूलों में बनेगा ‘शुगर बोर्ड’

Authored By: स्मिता

Published On: Monday, May 19, 2025

Last Updated On: Monday, May 19, 2025

Eating Sugar No Sir: CBSE के नए फैसले के तहत स्कूल में छात्र का शुगर टेस्ट करते हुए स्वास्थ्यकर्मी की छवि, बच्चों की सेहत पर विशेष ध्यान.
Eating Sugar No Sir: CBSE के नए फैसले के तहत स्कूल में छात्र का शुगर टेस्ट करते हुए स्वास्थ्यकर्मी की छवि, बच्चों की सेहत पर विशेष ध्यान.

बच्चों में बढ़ रहे मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज के खिलाफ केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कड़ा कदम उठाया है. देश भर के स्कूली बच्चों में चीनी की खपत पर निगरानी और नियंत्रण के लिए सीबीएसई ने 'शुगर बोर्ड' बनाने का निर्देश दिया है.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Monday, May 19, 2025

Eating Sugar No Sir: बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) और मोटापा (Obesity) के मामले बहुत अधिक देखे जाने लगे हैं. ये न सिर्फ बच्चों और अभिभावकों के लिए परेशानी की बात है, बल्कि शिक्षकों और शिक्षा बोर्ड के लिए भी चिंताजनक है. बच्चे ही देश के भविष्य हैं, इसलिए उनका स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. बच्चों को बीमारी मुक्त रखने के लिए ही केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने देश भर के स्कूलों को बच्चों में चीनी खपत पर निगरानी और नियंत्रण के लिए ‘शुगर बोर्ड (Sugar Board in school) ‘ बनाने का निर्देश दिया है.

कई बीमारियों का कारण  है चीनी (Sugar Side Effects)

टाइप-2 डायबिटीज की समस्या पहले सिर्फ वयस्कों में ही देखने को मिलती थी. अब बच्चों में बहुत अधिक देखी जाने लगी है. सीबीएसई ने देशभर के संबद्ध स्कूलों को लिखे पत्र में कहा है कि बच्चों द्वारा चीनी का अधिक सेवन (Eating Sugar) न सिर्फ मधुमेह (Diabetes) का कारण बन सकता है, बल्कि मोटापा (Obesity) सहित अन्य बीमारियों का कारण भी बन सकता है. बोर्ड का चीनी खपत (Sugar Consumption) पर कार्यशाला आयोजित करने का निर्देश इसलिए जरूरी है, ताकि बच्चे जागरूक (Child Awareness) हों.

क्या कहते हैं आंकड़े (Data on Sugar Consumption)

आईसीएमआर (Indian Council of Medical Research) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 18 साल से कम उम्र के 12 लाख बच्चे मधुमेह से पीड़ित हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (National Family Health Survey 5) के अनुसार 5-19 साल की उम्र के 25% से अधिक बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं. शहरी स्कूलों में बच्चे जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन अत्यधिक करते हैं. औसतन एक बच्चा प्रतिदिन 20-25 चम्मच चीनी का सेवन कर रहा है. डब्ल्यूएचओ (World Health Organization) के अनुसार, दुनिया में 5-19 साल की उम्र के 34 करोड़ बच्चे मोटापा या ज्यादा वजन के शिकार हैं. टाइप-2 डायबिटीज के मामलों में 10 साल में 100% से अधिक की वृद्धि हुई है.

बच्चों के स्वास्थ्य और पढ़ाई प्रभावित (Child Health)

बोर्ड के अनुसार, इसका सीधा असर बच्चों के स्वास्थ्य और पढ़ाई पर पड़ रहा है। चीनी के अत्यधिक सेवन के कारण बच्चों में मोटापा, दांतों की समस्या और अन्य मेटाबॉलिक बीमारियां भी बढ़ रही हैं. इसके कारण अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में स्कूलों में कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. चीनी के खतरों और पौष्टिक आहार के बारे में छात्रों को जागरूक करना सबसे अधिक जरूरी है. इसके लिए स्कूलों को चीनी के सेवन और पोषण पर जागरूकता सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित करने के लिए कहा गया है.

बच्चों को कितनी खानी चाहिए चीनी (Sugar Amount for Child)

सीबीएसई बोर्ड ने सभी स्कूलों को 15 जुलाई से पहले इनसे जुड़े कार्यक्रमों की रिपोर्ट और फोटो अपलोड करने के निर्देश दिए हैं. इससे बच्चों को सही खान-पान के बारे में समझने में मदद मिलेगी. हेल्दी फ़ूड बच्चों के विकास के लिए सबसे अधिक जरूरी हैं. स्कूलों को बोर्ड पर लिखना होगा कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार बच्चों के लिए कितना कैलोरी जरूरी है. साथ ही जरूरी कुल कैलोरी का अधिकतम 5% हिस्सा ही चीनी खानी चाहिए. यानी उन्हें हर दिन करीब 25 ग्राम यानी 6 चम्मच चीनी खानी चाहिए. बोर्ड पर यह भी लिखना होगा कि 1 कोल्ड ड्रिंक के कैन में 7-9 चम्मच चीनी होती है, 1 चॉकलेट बार में 5-6 चम्मच चीनी होती है. इसी तरह बच्चों को कुकीज, पेस्ट्री, चिप्स आदि और पैकेज्ड जूस (Canned Juice) में भी एडेड शुगर की मात्रा के बारे में बताना पड़ेगा.

यह भी पढ़ें :-  Parkinson’s Disease का नया कारण? गोल्फ कोर्स के पास रहना पड़ सकता है भारी!

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
Leave A Comment

अन्य खबरें

अन्य लाइफस्टाइल खबरें