राहुल गांधी को चुनाव आयोग की नसीहत, ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों पर जताई कड़ी आपत्ति
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Thursday, August 14, 2025
Last Updated On: Thursday, August 14, 2025
चुनाव आयोग ने विपक्ष द्वारा ‘वोट चोरी’ और ‘वोट चोर’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई है. आयोग का कहना है कि यह न केवल करोड़ों मतदाताओं पर सीधा हमला है, बल्कि चुनाव कराने वाले लाखों कर्मचारियों की ईमानदारी पर भी सवाल खड़ा करता है.
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Thursday, August 14, 2025
भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission) ने विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, के हालिया ‘वोट चोरी’ कैंपेन पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. आयोग का कहना है कि बिना ठोस सबूत के ऐसे आरोप लगाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया, मतदाताओं और चुनाव अधिकारियों की साख को नुकसान पहुंचाता है. यह बयान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की टिप्पणियों के बाद आया है, जिन्होंने चुनाव आयोग पर भाजपा के साथ मिलकर वोट चुराने के आरोप लगाए थे.
आयोग ने साफ कहा है कि अगर किसी के पास दोहरी वोटिंग या गड़बड़ी के पुख्ता सबूत हैं, तो उन्हें लिखित हलफनामे के साथ पेश किया जाए, न कि बिना प्रमाण पूरे देश के मतदाताओं को ‘चोर’ कहकर बदनाम किया जाए.
बिना सबूत ‘चोर’ कहना सही नहीं
सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग (ECI) का कहना है कि ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ का नियम 1951-52 में हुए देश के पहले आम चुनाव से ही लागू है. अगर किसी के पास यह ठोस सबूत है कि किसी ने किसी चुनाव में दो बार वोट डाला है, तो उसे लिखित हलफनामे के साथ आयोग को जानकारी देनी चाहिए. लेकिन बिना सबूत पूरे देश के मतदाताओं को ‘चोर’ कहना सही नहीं है और यह उनका अपमान है.
सूत्रों ने कहा कि आयोग को चिंता है कि इस तरह के बयान न केवल करोड़ों मतदाताओं पर शक पैदा करते हैं, बल्कि चुनाव कराने वाले अधिकारियों की ईमानदारी और साख पर भी सवाल खड़े करते हैं.
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने की थी टिप्पणी
यह प्रतिक्रिया लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की हाल की टिप्पणी के बाद आई है, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग पर भाजपा के साथ मिलकर “वोट चोरी” का आरोप लगाया. 7 अगस्त को राहुल गांधी ने मीडिया के सामने एक प्रेजेंटेशन दिखाया, जिसमें महादेवापुरा विधानसभा क्षेत्र के कुछ मतदाताओं की सूची पेश की गई.
राहुल गांधी का आरोप है कि चुनाव आयोग डेटा साझा नहीं कर रहा, क्योंकि उन्हें डर है कि महादेवापुरा में जो खुलासा हुआ, वही अगर बाकी सीटों पर हो गया तो देश के लोकतंत्र की असली तस्वीर सामने आ जाएगी. उनका कहना है, “हमारे पास आपराधिक सबूत हैं, लेकिन चुनाव आयोग इन्हें दबाने में लगा है. आयोग भाजपा से मिला हुआ है और उनकी मदद कर रहा है.”
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सुनवाई अभी सुनवाई चल रही है और इस पर फैसला आना बाकी है. गौर करने वाली बात यह है कि विपक्ष का कहना है कि किसी भी वैध मतदाता का नाम मतदाता सूची से हटाया न जाए.
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