दिल्ली में आवारा कुत्तों पर ‘सुप्रीम’ सुनवाई, कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

Authored By: Ranjan Gupta

Published On: Thursday, August 14, 2025

Last Updated On: Thursday, August 14, 2025

Delhi में आवारा कुत्तों पर 'Supreme Hearing on Stray Dogs' के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा, जल्द ही अदालत अपना निर्णय सुनाएगी.
Delhi में आवारा कुत्तों पर 'Supreme Hearing on Stray Dogs' के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा, जल्द ही अदालत अपना निर्णय सुनाएगी.

दिल्ली में आवारा कुत्तों के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महत्वपूर्ण सुनवाई की. तीन जजों की विशेष पीठ ने आदेश पर रोक लगाने के मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रख लिया. सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने-अपने तर्क रखे, जबकि अदालत ने माना कि जिम्मेदार विभागों की लापरवाही से समस्या बढ़ी है.

Authored By: Ranjan Gupta

Last Updated On: Thursday, August 14, 2025

Supreme Court Reserve Order on Stray Dogs: राजधानी दिल्ली और देशभर में आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं के बीच सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मुद्दे पर अहम सुनवाई की. जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए आदेश पर रोक लगाने के सवाल पर फैसला सुरक्षित रख लिया.

सुनवाई के दौरान कुत्तों के हमलों, एबीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल) नियमों, शेल्टर होम की क्षमता और प्रशासनिक लापरवाही जैसे मुद्दों पर तीखी बहस हुई. अदालत ने माना कि समस्या का बड़ा कारण संबंधित विभागों का समय पर कार्रवाई न करना है, जबकि पक्षकारों ने अलग-अलग समाधान सुझाए.

सुनवाई के दौरान तुषार मेहता की दलील

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश में आवारा कुत्तों के हमले अब गंभीर चुनौती बन चुके हैं. उन्होंने कहा कि हर साल करीब 37 लाख लोग और रोज़ाना लगभग 10 हजार लोग कुत्तों के काटने का शिकार होते हैं. इसके अलावा, रेबीज संक्रमण से अब तक 305 लोगों की मौत हो चुकी है. मेहता ने स्पष्ट किया कि जानवरों से नफरत करने का सवाल ही नहीं है और न ही हम उन्हें मारने के पक्ष में हैं, लेकिन उन्हें रिहायशी इलाकों से कुछ दूरी पर रखना ज़रूरी है, ताकि सड़कें बच्चों और बुजुर्गों के लिए सुरक्षित रहें.

मेहता ने यह भी तर्क दिया कि कई लोग खुद को पशु प्रेमी बताते हैं, लेकिन अपने घर में मांसाहार करते हैं और सड़कों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाकर समस्या को और बढ़ा देते हैं.

कपिल सिब्बल ने जताई आपत्ति

उनके तर्कों पर कपिल सिब्बल ने आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद उनके पुनर्वास, नसबंदी और टीकाकरण के लिए समय, संसाधन और उचित ढांचा चाहिए, जो फिलहाल मौजूद नहीं है. सिब्बल के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के बाद प्रशासन ने कुत्तों को पकड़ना शुरू कर दिया है, जबकि शेल्टर होम पहले ही भरे हुए हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि ज्यादा भीड़ से शेल्टर में कुत्तों के बीच झगड़े और हिंसा हो सकती है और बाद में छोड़े जाने पर उनका स्वभाव और आक्रामक हो सकता है. उन्होंने आशंका जताई कि ऐसे कुत्तों को बाद में ‘खतरनाक’ बताकर मार दिया जाएगा.

जस्टिस विक्रम नाथ ने सिब्बल से पूछा कि क्या उनका कहना है कि प्रशासन आदेश का इंतजार कर रहा था और जैसे ही आदेश आया, उन्होंने कुत्तों को पकड़ना शुरू कर दिया? इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि वास्तव में ऐसा ही हो रहा है और प्रशासन पहले से भरे शेल्टर में कुत्तों को ठूंस रहा है.

विभागों की लापरवाही बड़ी समस्या

अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि सरकार को एबीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल) नियमों का पालन करना चाहिए, जिसमें स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी, टीकाकरण और पुनर्वास का प्रावधान है. उन्होंने सवाल किया कि अचानक 24 से 48 घंटे में कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में डालने का आदेश कैसे दिया जा सकता है?

सुनवाई के दौरान पीठ ने माना कि इस समस्या की सबसे बड़ी वजह संबंधित विभागों की लापरवाही है. स्थानीय निकाय वह काम नहीं कर रहे, जो उन्हें करना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा कि वह इस पर विचार करेगा कि क्या पिछले आदेश के दिशानिर्देशों पर फिलहाल रोक लगाई जाए या नहीं.

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About the Author: Ranjan Gupta
रंजन कुमार गुप्ता डिजिटल कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें डिजिटल न्यूज चैनल में तीन वर्ष से अधिक का अनुभव प्राप्त है. वे कंटेंट राइटिंग, गहन रिसर्च और SEO ऑप्टिमाइजेशन में माहिर हैं. शब्दों से असर डालना उनकी कला है और कंटेंट को गूगल पर रैंक कराना उनका जुनून! वो न केवल पाठकों के लिए उपयोगी और रोचक लेख तैयार करते हैं, बल्कि गूगल के एल्गोरिदम को भी ध्यान में रखते हुए SEO-बेस्ड कंटेंट तैयार करते हैं. रंजन का मानना है कि "हर जानकारी अगर सही रूप में दी जाए, तो वह लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर सकती है." यही सोच उन्हें हर लेख में निखरने का अवसर देती है.


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